MP Minister’s Portfolios : कई बड़ों के पर कतरे, कुछ को नए पंख लगे!  

हेमंत पाल की त्वरित टिप्पणी

855

MP Minister’s Portfolios : कई बड़ों के पर कतरे, कुछ को नए पंख लगे!  

मंत्रिमंडल के गठन के बाद मंत्रियों को उनके विभागों के बंटवारे में इतना समय लग सकता है, ये अब से पहले कभी नहीं देखा गया। इसका नतीजा ये हुआ कि अनुमानों वाले विभागों की लिस्ट ज्यादा बांची गई। सोशल मीडिया पर तो स्थिति ये हुई कि जिसे जो लिस्ट बनाना था, वो बनाकर पोस्ट करता रहा। जिससे फर्जी लिस्टों की भीड़ लग गई। जब असली लिस्ट सामने आई तो कुछ देर उसे भी फर्जी ही माना गया। इससे ये समझा जा सकता है कि भाजपा के लिए मुख्यमंत्री का चयन जितना आसान था, उससे कहीं ज्यादा मुश्किल मंत्रियों के नाम फ़ाइनल करना और अब उससे भी ज्यादा मुश्किल उन्हें विभाग देना रहा। इस सबके पीछे उस दबाव को समझा जा सकता है, जो मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और पार्टी पर होगा। लेकिन, अंततः मंत्रियों को उनके दफ्तर सौंप दिए गए। निश्चित रूप से कुछ मंत्री विभाग पाकर खुश होंगे, तो कुछ दुखी भी और ये स्वाभाविक भी है!

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने पास सामान्य प्रशासन,गृह, जनसंपर्क, नर्मदा घाटी विकास, उद्योग, जेल, खनिज संसाधन, विमानन सहित महत्वपूर्ण विभाग रखे हैं। खास बात यह कि मुख्यमंत्री के बाद दोनों उप मुख्यमंत्रियों को भी महत्वपूर्ण विभागों से नवाजा गया। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा को वित्त, वाणिज्यिक कर, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग दिया गया। जबकि, राजेंद्र शुक्ला को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा विभाग का मंत्री बनाया गया है। पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और राकेश सिंह जैसे नेताओं को कई बड़े विभाग दिए जाएंगे, पर ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि, इन्हें लीक से हटकर विधानसभा चुनाव में उतारा गया था। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दिग्गजों को उनके कद के मुकाबले कम विभाग सौंपे गए। हालांकि, कैलाश विजयवर्गीय को शायद उनके पुराने अनुभव के कारण अच्छा विभाग अच्छा दिया गया। मुख्यमंत्री ने गृह, खनिज समेत जितने विभाग रखे, उससे लगता है कि इन विभागों की वजह से ही विभागों के बंटवारे में पांच दिन लगे।

collage 12 1

गृह, जनसंपर्क और खनिज जैसे महत्वपूर्ण विभाग मुख्यमंत्री ने अपने पास रखे इस संकेत को स्वतः समझा जा सकता है। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा पहले वाली सरकार में भी वित्त मंत्री थे, उन्हें फिर उसी दफ्तर की जिम्मेदारी दी गई। कैलाश विजयवर्गीय को नगरीय प्रशासन और संसदीय कार्य जैसे जनता से जुड़े विभाग सौंपे गए हैं। विजयवर्गीय पहले भी यह विभाग संभाल चुके हैं। प्रहलाद पटेल को पंचायत एवं ग्रामीण विकास और श्रम मंत्री बनाया गया। जबकि, वे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे खड़े थे।

 

सांसद से विधायक और अब मंत्री बनाए गए राकेश सिंह को जरूर लोक निर्माण जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया। विभागों के बंटवारे में इस बार विजय शाह के पर कतर दिए गए। उन्हें जनजातीय कार्य, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास जैसे विभाग दिए गए। निश्चित रूप से ये उनके कद और जिस तरह की उनकी पहचान है उस हिसाब से इसे छोटा माना जा सकता है। सांसद से विधायक बने उदय प्रसाद सिंह को परिवहन और स्कूली शिक्षा जैसे दमदार विभाग दिए गए।

सिंधिया कोटे वाले तीन मंत्रियों में से तुलसी सिलावट और प्रद्युम्न सिंह तोमर के विभाग नहीं बदले गए। प्रधुम्न सिंह को फिर ऊर्जा विभाग दिया गया, जो पिछली सरकार में भी उनके पास था। जबकि, तुलसी सिलावट को फिर जल संसाधन की जिम्मेदारी दी गई। सिंधिया गुट के तीसरे मंत्री गोविंद राजपूत को खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का मंत्री बनाया गया। राजपूत के पास शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल वाली सरकार में राजस्व और परिवहन जैसे बड़े विभाग थे। इसे सीधे से पर कतरने वाली बात कहा जा सकता है।

इस बार करण सिंह वर्मा को राजस्व दिया गया, दो दशक पहले भी वे इस विभाग को संभाल चुके हैं। जिनके पर कतरे गए उनमें विश्वास सारंग का नाम भी लिया जा सकता है। उन्हें खेल एवं युवा कल्याण, सहकारिता विभाग का मंत्री बनाया गया हैं। जबकि, दूसरी बार मंत्री बनी आदिवासी कोटे की निर्मला भूरिया को महिला एवं बाल विकास का मंत्री बनाया गया। पहली बार मंत्री बने आदिवासी नेता नागरसिंह चौहान को वन, पर्यावरण, अनुसूचित जाति कल्याण जैसे बड़े विभाग का मंत्री बनाया गया। पहली बार कैबिनेट में आए जैन समाज से जुड़े चेतन कश्यप को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की जिम्मेदारी दी गई। वे खुद उद्योगपति हैं, इसलिए बतौर मंत्री उनका अनुभव काम आएगा।

मंत्रिमंडल में पहली बार शामिल की गई कृष्णा गौर को पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, विमुक्त, घुमंतू और अर्ध घुमंतू कल्याण विभाग दिया गया। लगता नहीं कि ये विभाग उन्हें रास आएंगे। स्वतंत्र प्रभार वाले दूसरे मंत्री गौतम टेटवाल को तकनीकी शिक्षा और धर्मेंद्र लोधी को संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास विभाग का मंत्री बनाया गया। जिस तरह से विभागों का बंटवारा हुआ उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि संतुलन का ध्यान दिया गया। कुछ के पंख कतरे गए तो ऐसे भी मंत्री हैं जिन्हें नए पंख लगाकर ताकतवर बनाया गया हैं।

Author profile
images 2024 06 21T213502.6122
हेमंत पाल

चार दशक से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हेमंत पाल ने देश के सभी प्रतिष्ठित अख़बारों और पत्रिकाओं में कई विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। लेकिन, राजनीति और फिल्म पर लेखन उनके प्रिय विषय हैं। दो दशक से ज्यादा समय तक 'नईदुनिया' में पत्रकारिता की, लम्बे समय तक 'चुनाव डेस्क' के प्रभारी रहे। वे 'जनसत्ता' (मुंबई) में भी रहे और सभी संस्करणों के लिए फिल्म/टीवी पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। फ़िलहाल 'सुबह सवेरे' इंदौर संस्करण के स्थानीय संपादक हैं।

संपर्क : 9755499919
[email protected]