MP News: नदी जल बटवारा और उपयोग के लिए बनेगी नई नीति

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भोपाल:  मध्यप्रदेश सरकार नदियों के पानी के बंटवारे और उपयोग की मात्रा को लेकर होने वाले राज्यों के बीच का विवाद खत्म करने समेकित नीति बनाएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने बीस साल के अंतराल के बाद नई जल नीति तैयार करने का निर्णय लिया है। इस नीति के पहले ड्राफ्ट का प्रकाशन एक माह में होगा और मार्च 2023 तक राज्य जल नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा।

राज्य सरकार ने वर्ष 2003 में जल नीति घोषित की थी। इसके बाद से अब तक जल नीति को लेकर कोई काम नहीं हुआ। एक दशक पहले इसको लेकर फाइलों का मूवमेंट जरूर हुआ था लेकिन बाद में इसे रोक दिया गया था। अब एक बार फिर राज्य सरकार नई जल नीति बनाने के लिए काम करने जा रही है। इसके लिए जल संसाधन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है जो दूसरे सभी विभागों के साथ मिलकर एक कमेटी तैयार करेगा और संबंधित विभागों की आवश्यकता के आधार पर नीति में प्रावधान किए जाएंगे। नीति के अध्ययन में शामिल मुद्दों में पानी के बंटवारे का मुद्दा भी प्रमुखता से शामिल किया जाएगा क्योंकि नदियों के पानी के बंटवारे से राज्य में जल की उपलब्धता तय होती है जिसके आधार पर पेयजल और सिंचाई व उद्योगों के लिए जल प्रदाय किया जाता है।

इन नदियों का जल एक राज्य से दूसरे में होता है प्रवेश
प्रदेश की जिन प्रमुख नदियों का जल एमपी में आता है या एमपी से जाता है उसमें सोन नदी पर बने बाणसागर डैम, नर्मदा नदी पर बने गांधी सागर बांध मुख्य हैं। इनका पानी यूपी, बिहार और गुजरात जाता है। इनके अलावा केन बेतवा प्रोजेक्ट, काली सिंध पार्वती नदी का पानी यूपी और राजस्थान जाता है। इसके अलावा भी कई नदियों के पानी का उपयोग करने को लेकर राज्यों के जल संसाधन विभागों के बीच पानी के बंटवारे और उसके उपयोग को लेकर विवाद की स्थिति बनती है।

केंद्र का ड्राफ्ट तैयार पर जल राज्य का अधिकार
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि जल नीति का ड्राफ्ट केंद्र सरकार ने तैयार किया हुआ है लेकिन जल राज्य का अधिकार है। इसलिए अपनी आवश्यकता के आधार पर नीति तैयार करने का निर्णय लिया गया है। इसमें आने वाले 20 सालों में सतही और भूगर्भीय जल की उपलब्धता और आवश्यकता का आकलन कर प्रावधान किए जाएंगे जिसके आधार पर सरकार आगे प्लानिंग के साथ काम करेगी।