भोपाल: प्रदेश में 46 नगरीय निकायों के चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद राजनीतिक नियुक्तियां का सिलसिला प्रारंभ होगा। सरकार नगरीय निकायों में एक हजार 930 एल्डरमैन (मनोनीत पार्षद) नियुक्त करेगी। भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर नगर निगम में 12-12 एल्डरमैन नियुक्त किए जाएंगे। यह संख्या अभी छह-छह है। इसमें वृद्धि के लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग आज से प्रारंभ होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र में नगर पालिक और नगर पालिका अधिनियम में संशोधन विधेयक प्रस्तुत करेगा।
प्रदेश के नगरीय निकायों में प्रशासनिक और नगर पालिक व नगर पालिका अधिनियम के जानकारों को एल्डरमैन के रूप में नियुक्त करने का प्रविधान है। आमतौर पर क्षेत्र के सक्रिय पार्टी कार्यकर्ताओं को एल्डरमैन नियुक्त करने के लिए संगठन की ओर से नाम प्रस्तावित किए जाते हैं। परिषद के कार्यकाल तक इनका भी कार्यकाल रहता है। अभी नगर निगम में छह, नगर पालिका में चार और नगर परिषद में दो वरिष्ठ पार्षद मनोनीत किए जा सकते हैं।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि नगरीय निकायों की जनसंख्या बढ़ गई है, इसलिए प्रविधान में संशोधन आवश्यक हो गया है। नई व्यवस्था में दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले निगम (भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर) में 12-12 और शेष निगम (उज्जैन, छिंदवाड़ा, मुरैना, खंडवा, बुरहानपुर, कटनी, रतलाम, देवास, सागर, रीवा, सिंगरौली और सतना) में दस-दस एल्डरमैन मनोनीत किए जा सकेंगे। इसी तरह नगर पालिका में चार की जगह छह और नगर परिषद में दो के स्थान पर चार एल्डरमैन नियुक्त होंगे। प्रदेश में 16 नगर निगम, 99 नगर पालिका और 298 नगर परिषद हैं।
भाजपा के बागियों को मिलेगा मौका
नगरीय निकाय चुनाव के दौरान बहुत सारे बागी प्रत्याशियों ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल कर दिया था, ऐसे लोगों से नामांकन पत्र वापस लेने के लिए उन्हें एल्डरमैन बनाने का वादा किया गया था। यही वजह है कि हर निकाय में एल्डरमैन की संख्या बढ़ाकर दोगुनी की जा रही है। गौरतलब है कि कमल नाथ सरकार के दौरान भी एल्डरमैन नियुक्ति की प्रक्रिया जोर-शोर से चली थी लेकिन कांग्रेस सरकार एल्डरमैन की नियुक्ति नहीं कर पाई थी।