भोपाल: प्रदेश भाजपा इस बार महापौर के प्रत्याशी में विधायक को मौका नहीं देगी। इतना ही नहीं महापौर की टिकट में परिवारवाद का साया भी इस बार देखने को नहीं मिलेगा.
विधायक और परिवारवाद से दूर रहते हुए महापौर के टिकट का चयन किया जाएगा। इस निर्णय को लेकर संगठन में अंदर ही अंदर खलबली मच गई है।
दरअसल कुछ शहरों से महापौर के टिकट की दावेदारी विधायक भी कर रहे थे, लेकिन इस फैसले के बाद इन्हें झटका लग सकता है। हालाँकि इस निर्णय को पार्टी के अन्य नेता लोगों को आगे बढ़ाने के मौके के रूप में भी देखा जा रहा है।
नगर निगम महापौर के चुनाव में कांग्रेस में परिवारवाद जमकर चल सकता है। महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों पर महापौर के टिकट की दावेदारी करने वाली महिलाएं ऐसे परिवारों से हैं, जिन के पति कांग्रेस के नेता है।
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अपने-अपने घर से टिकट दिलवाने के लिए नेता पूरी ताकत के साथ जुटे हुए हैं और क्षेत्र के संगठन में अपनी मजबूत स्थिति बताने का प्रयास कर रहे हैं।
इधर भाजपा ने विधायकों को महापौर का टिकट नहीं देने का मन बना लिया है। वह इस बार नये चेहरों को महापौर के लिए मैदान में उतारेगी।
खंडवा जिला किसान कांग्रेस अध्यक्ष मांग रहे पत्नी के लिए टिकट
खंडवा नगर निगम ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हैं। महापौर के लिए यहां पर जिला किसान कांग्रेस के अध्यक्ष श्याम यादव अपनी पत्नी लक्ष्मी यादव के टिकट के लिए प्रयास कर रहे हैं।
श्याम यादव खंडवा जिला कांग्रेस में कई पदों पर रह चुके हैं। वहीं पूर्व पार्षद बलराम वर्मा भी अपनी पत्नी के लिए टिकट दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी पत्नी छाया वर्मा भी कांग्रेस की प्रमुख दावेदारों में से एक मानी जा रही है।
बुरहानपुर में तीन महिलाएं ठोक रही दावा
इधर बुरहानपुर नगर निगम अनारक्षित महिला महापौर के लिए है। इस सीट से गौरी यादव प्रयास कर रही है, वे पार्षद रह चुकी हैं और नगर निगम में अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। वहीं सरिता भगत महिला कांग्रेस की अध्यक्ष हैं। अनिता यादव भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं। उनके पति अमर सिंह यादव पार्षद रह चुके हैं।
ग्वालियर में विधायक सिकरवार की पत्नी प्रबल दावेदार
वहीं ग्वालियर भी अनारक्षित महिला महापौर के लिए हैं। यहां से विधायक सतीश सिकरवार की पत्नी शोभा सिकरवार का नाम प्रबल दावेदारों में माना जा रहा है।
हालांकि इस सीट से रश्मि पंवार शर्मा का नाम भी चर्चा में हैं। भोपाल महापौर के लिए कांग्रेस से दो नाम प्रमुख रूप से चर्चा में हैं।
जिनमें महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व महापौर विभा पटेल और जिला महिला कांग्रेस की अध्यक्ष संतोष कंसाना का नाम चर्चा में हैं।
परिवारवाद से बचना चाहती है बीजेपी
इधर बताया जाता है कि इस बार भाजपा विधायकों को महापौर का टिकट नहीं देगी।
हालांंकि इससे पहले के नगर निगमों के चुनाव में भाजपा विधायकों को महापौर का टिकट देती रही है, लेकिन इस बार संगठन ने तय किया है कि वह विधायकों को महापौर का चुनाव नहीं लड़वाएगी।
इस निर्णय ने कुछ विधायकों की महापौर बनने की इच्छा पर पानी फेर दिया है।
बताया जाता है कि भाजपा के पास हर नगर निगम से महापौर के लिए दावेदारों की कमी नहीं हैं, ऐसे में वह विधायकों और परिवारवाद से दूरी बनाकर टिकट देगी। इससे पार्टी के अन्य नेताओं को महापौर बनने का मौका मिल सकेगा।