भोपाल
अधीनस्थ अफसरों के कान खींचने वाले कलेक्टर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्राथमिकता वाले मुख्यमंत्री नगरीय भू अधिकार (धारणाधिकार) योजना के क्रियान्वयन को सफल नहीं होने दे रहे हैं। कलेक्टरों की लापरवाही के चलते जिलों में एक लाख 8 हजार से अधिक केस पेंडिंग हैं। चूंकि इन मामलों का निराकरण कलेक्टरों के अलावा कोई अधीनस्थ अफसर नहीं कर सकते, इसलिए केस दर्ज किए जाने और निराकरण दोनों ही मामलों में हीला-हवाली की जा रही है। इसका सीधा असर नगरीय क्षेत्र में लोगों को मिलने वाले भूमि लाभ पर पड़ रहा है। नौ जिले तो ऐसे हैं जहां दस फीसदी केस का निराकरण भी नहीं हो सका है। अप्रेल माह की प्रदेश की रिपोर्ट में यह साफ हो गया है कि कलेक्टर इस काम में रुचि नहीं ले रहे हैं। इसलिए इसकी पेंडेसी घटने के बजाय बढ़ रही है। हालांकि इसमें देरी के पीछे कलेक्टरों को शासन की प्राथमिकता वाले कामों पर फोकस करने को वजह बताया जा रहा है। योजना में अब तक कुल 36140 मामलों का निराकरण हुआ है।
केस दर्ज करने में बेस्ट परफार्मर जिले
ग्वालियर 19676
जबलपुर 14165,
रीवा 6515,
देवास 5894,
गुना 5545
लोअर परफार्मर
मंदसौर 700
, बुरहानपुर 588,
अलीराजपुर 545,
डिंडोरी 154
निवाड़ी 124
केस निराकरण में
अव्वल
ग्वालियर 4252
, रीवा 4065,
देवास 3268,
धार 2123
बड़वानी 1866
फिसड्डी
आगर मालवा में 72,
निवाड़ी 54,
अशोकनगर 50,
कटनी 43
शाजापुर 33
सकारात्मक निराकरण
टॉप फाइव
रीवा 3217,
धार 1087
, इंदौर 955,
बालाघाट 800
सिवनी 525
बाटम फाइव
कटनी 40
,शाजापुर 33,
दमोह 21,
निवाड़ी 04
शहडोल 00
यह है धारणाधिकार योजना
राज्य शासन ने सितम्बर 2020 में धारणाधिकार योजना को लेकर जारी निर्देश में कहा है कि नगरीय क्षेत्र में स्थित शासकीय भूमि पर कब्जा करके रहने वाले ऐसे लोग जो 31 दिसम्बर 2014 या उसके पहले से काबिज हैं और अभी भी भूखंड उनके कब्जे में है, तो उन्हें प्रीमियम और भूभाटक की राशि लेकर तीस साल का स्थायी पट्टा दिया जाएगा ताकि वे उस भूमि पर लोन लेने व अन्य स्वामित्व संबंधी कार्य कर सकें। इसके लिए आवासीय और व्यवसायिक भूखंड को लेकर प्रीमियम और भू भाटक जमा कराने को लेकर गाइडलाइन भी जारी की गई है।