भोपाल: प्रदेश के शहरी क्षेत्रोंं में नगरीय निकायों में अब गौमाता के लिए आहार जुटाने गौ-ग्रास वाहन संचालित किए जाएंगे। इसकी शुरुआत नगर पालिका खरगौन और नगर पालिका करेली से की गई है। अब इस प्रदेश के अन्य निकायों में भी लागू किया जाएगा।
शहरां में लाग घरों से निकलने वाले सूखे और गीले कचरे को तो कचरा गाड़ी में डाल देते है लेकिन घर की बची हुई रोटी और अन्य खाद्य सामग्री कचरा वाहन में डालने में संकोच करते है। बचा हुआ भोजन लोग घरों के बाहर रख देते है। ताकि कोई जानवर आए तो उसे खा ले। लेकिन कई बार यह भोजन बाहर ही पड़ा रह जाता है और उपयोग में नहीं आता है। इसको ध्यान में रखते हुए नगरीय निकायों में गौ-ग्रास वाहन अलग से संचालित करने की शुरुआत दो निकायों में की गई है। इन वाहनों पर गौ ग्रास वाहन लिखा गया है। ये वाहन शहरी क्षेत्रों में घरों के बाहर निकलते है तो इसमें लोग ताजा गौ ग्रास और घर का बचा हुआ भोजन , फलों के छिलके, कटे हुए बिना उपयोग हुए फल भी डाल सकते है।
इस गौ ग्रास वाहन मं शहर की मंडियों, जूस सेंटर के बाहर भी ले जाकर वहां से भी खाद्य सामग्री एकत्रित कर बेसहारा मवेशियों को खिलाई जाएगी। इससे नगरीय निकायों को भी यह फायदा हो रहा है कि कचरे के साथ ही बचा हुआ भोजन एकत्रित होंने लगा है। इससे स्वचछता भी बढ़ी है।और बेसहारा पशुओं को भोजन भी मिलने लगा है। बेसहरा पशु भोजन के लिए अब एक स्थान पर एकत्रित होंने लगे है। जिससे यातायात भी सुधर गया है। नगर पालिका परिषद करेली ने गौ ग्रास वाहन के लिए अलग से कोई खर्च नहीं किया है। नगर पालिका के कबाड़ में रखे वाहन की मरम्मत कर उन्हें उपयोगी बनाया गया है। इस काम में क्षेत्रीय विधायक, सांसद और जनप्रतिनिधि भी मदद कर रहे है। नगरीय आवास एवं विकास मंत्री भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि यह नवाचार अब प्रदेश के अन्य निकायों में भी लागू किया जाएगा।