भोपाल: विदिशा जिले के लटेरी में वन अमले की गोली से मारे गए आदिवासी के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। वन अमले ने चेतावनी दी है कि बिना अधिकार के शासकीय सर्विस रिवॉल्वर और बंदूक दी गई है, यदि इस तरह के मामलों में वन अमले पर कार्यवाही होती है तो 16 अगस्त से वे अपने शासकीय हथियार जिलों के दफ्तर में जमा कर देंगे। इसके बाद विभाग में हड़कंप मच गया है।
स्टेट फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर्स (राजपत्रित) एसोसिएशन ने प्रधान मुख्य वनसरंक्षक एवं वनबल प्रमुख को लिखा है कि प्रदेश के वन रक्षक से लेकर रैंजर तक दिन-रात एक कर हर मौसम में वन एवं वन प्राणियों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहकर अपना कर्तव्य निभा रहा है। इसलिए ही वनसुरक्षा में तैनात वन अमले को शासकीय बंदूकें एवं रिवॉल्वर उपलब्ध कराई गई थी, जो नाम मात्र के लिए शोपीस बनी हुई है।
एसोसिएशन ने अफसर को भेजे ज्ञापन में कहा है कि राज्य शासन ने हथियार तो दे दिए, लेकिन अब तक वन अमले को दंड प्रक्रिया संहिता के तहत सशस्त्र बल घोषित नहीं किया और न ही वन सुरक्षा के दौरान बंदूक चालन के संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता के तहत वन अमले को कोई संरक्षण प्रदान किया।
ऐसी स्थिति में वन अमले को प्रदाय शासकीय रिवॉल्वर एवं बंदूक प्रदाय किये जाने का कोई औचित्य नहीं रहा है। उल्टा वन सुरक्षा के दौरान शासकीय बंदूकों से चालन के दौरान क्षेत्रीय वनाधिकारियों एवं कर्मचारियों पर अपराधिक प्रकरण दर्ज किये जा रहे हैं। इससे वन अमला हतोत्साहित होकर स्वंय को असुरक्षित एवं असहज महसूस कर रहा है। इसका उदाहरण गुना एवं विदिशा जिले की घटनाएं हैं।
यह है मामला
विदिशा जिले के लटेरी के जंगलों में पिछले सोमवार को वन अमले को सागौन की लकड़ी चोरी किये जाने की सूचना मिली थी, जिस पर वन अमले और आदिवासियों में मुठभेड़ हो गई। इस दौरान वन अमले की गोली से एक आदिवासी की मौत हो गई। इस मामले में वन अमले को आरोपी बनाया गया है। इसके बाद से वन अमले में रोष व्याप्त है।