MP News: प्रेम कहानियों का होता खौफनाक अंत..
छतरपुर से राजेश चौरसिया की रिपोर्ट
छतरपुर: साथ जियेंगे साथ मरेंगे बोध से जनम जनम के साथ की कसम खाने वाले प्रेमियों के ख़ुदकुशी के मामलो की संख्या बढ़ती जा रही है। मोहब्बत में जान देने वाले प्रेमियों के बुंदेलखंड के सागर संभाग में आत्महत्या के मामले चौकाने वाले है। राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान के रिकॉर्ड अनुसार वर्ष 2020 में सागर संभाग के 6 जिलों में 77 प्रेमियों ने आत्महत्या की। जिसमे 47 पुरुष और 30 महिला है।
छतरपुर जिले में पिछले कुछ वर्षो में प्रेमी-जोड़ों के आत्महत्या करने के कई मामले सामने आये हैं। इसी वर्ष 1 मार्च 2022 को लवकुशनगर में एक प्रेमी जोड़े ने सामाजिक जातीय बेड़ियों को तोड़ते हुए घर से भाग विवाह कर लिया। दोनों परिवारों में तनाव बढ़ा और नौबत मारपीट आ गई। इस आघात से प्रेमी जोड़ो ने 3 मार्च को आत्महत्या कर ली। इसके पहले भी मर्जी के खिलाफ शादी तय होने पर कई प्रेमीयों के मौत को गले लगाने के मामले सामने आये है। यह संख्या चौकाते हुए बढ़ती जा रही है।
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में सागर संभाग के 6 जिलों सागर, छतरपुर, दमोह, पन्ना, निवाड़ी और टीकमगढ़ में प्रेम प्रसंग के कारण 77 लोगों ने आत्महत्या की। जिसमे 47 पुरुष और 30 महिलाएं हैं।
सागर जिले में 32, पन्ना में 15, टीकमगढ़ में 12, छतरपुर में 9, दमोह में 7 और निवाड़ी जिले में एक साल में 2 प्रेमियों ने मौत को गले लगाया।
यह कड़वा सच है कि जिसने जन्म लिया है उसे मृत्यु का सामना करना पड़ेगा। फिर भी जीवन से विरक्ति का भाव सभी के मन में सवाल पैदा करता है कि आखिर प्रेम की परिभाषा में समय से पहले जीवन का अंत करना कहाँ तक जायज। इसके पीछे मनोचिकित्सक मुख्य कारण मन का विकार मानते है।
लोग प्रेम के रंग में इस हद तक डूब जाते है कि वह अवसाद का शिकार हो जाते है। इसी अवसाद के लक्षण से असुरक्षा की भावना निर्मित होती है। प्रेम के नशे में डूबने वाला पुरुष बाहरी नशे की लत का शिकार भी हो जाता है। इन कारणों में पारिवारिक कारण भी जुड़ते जाते है जो प्रेम संबंधों में बिखराव की असुरक्षित भावना से ग्रसित होकर आत्मघाती कदम तक पहुंच जाते है।
इसका एक बड़ा कारण मोबाइल संस्कृति है जिसमे फिल्मे, शार्ट फ़िल्म व अन्य माध्यम की कहानियाँ उस दूसरी दुनिया की होती है जिसका आम जीवन से कोई लेनादेना नहीं।
कम उम्र के बच्चों के आत्महत्या करने के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे है जो अभिभावकों के लिये चिंता का विषय है।
भारत में पिछले कुछ वर्षो में आत्महत्या के मामले में कई गुणा वृद्धि हुई है। जिसमे उस प्रेम रस भी जानलेवा बन रहा है जिसकी खुशबू तो जीवन जीने की कला सिखाती है पर जीवन को भटकाव में उलझाकर प्रेम का अंत मौत बन रहा है।