MP News: एक लाख से अधिक कुएं होंगे रिचार्ज, 75 हजार में बन रहे कूप रिचार्ज काकपिट

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MP News: एक लाख से अधिक कुएं होंगे रिचार्ज, 75 हजार में बन रहे कूप रिचार्ज काकपिट

भोपाल।मध्यप्रदेश में बंद पड़े और पानी की कमी से जूझ रहे एक लाख से अधिक कुए इस बारिश में पानी से लबालब हो जाएंगे। इन कुओं को बारिश के पानी से रिचार्ज करने का काम किया जा रहा है। इसके लिए कुओं के पास कूप रिचार्ज पिट बनाए जा रहे है। प्रदेश में 75 हजार से अधिक कुओं के पास कूप रिचार्ज पिट बनाने का काम शुुरु हो गया है।

केन्द्र सरकार के ज्ञान अभियान को मजबूती देने एवं प्रकृति, पर्यावरण व जल संरक्षण की दिशा में मध्यप्रदेश सरकार मिशन के रूप में कार्य कर रही है।

प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के अंतर्गत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मनरेगा योजना के तहत प्रदेश के 1 लाख कुओं को बारिश के पानी से रिचार्ज करने का कार्य किया जा रहा है। कुओं के पास कूप रिचार्ज पिट (डगवेल रिचार्ज विधि) बनाया जा रहा है। इधर, कूप रिचार्ज पिट को बनवाने में प्रदेश के किसानों ने भी जागरूकता दिखाई है। कुओं के रिचार्ज होने से कुओं का जल-स्तर तो बढ़ेगा ही साथ में किसानों को सिंचाई व पीने के लिए पर्याप्त पानी भी मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि बारिश के पानी को सहेजने व पुराने जल स्त्रोतों का जीर्णोद्धार करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 30 मार्च 2025 से जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। यह तीन माह यानी 30 जून तक चलेगा। तीन माह तक चलने वाले इस अभियान के तहत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा बारिश के पानी का संयचन करने व पुराने जल स्त्रोतों को नया जीवन देने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में खेत-तालाब, कूप रिचार्ज पिट, चैक, डैम, अमृत सरोवर सहित अन्य कार्य किए जा रहे हैं।

1 लाख 3 हजार कुओं को रिजार्च करने का रखा गया है लक्ष्य, 75 हजार से अधिक में काम शुरू

जल गंगा संवर्धन अभियान में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा प्रदेश भर में 1 लाख 3 हजार कुओं को रिचार्ज करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से 75 हजार से अधिक कुओं के पास कूप रिचार्ज पिट बनाने का कार्य शुरू हो गया है। खंडवा जिले ने तो कूप रिचार्ज पिट बनाने को लेकर दिए गए लक्ष्य को पूरा कर उससे अधिक का निर्माण कराया है। कूप रिचार्ज पिट बन जाने से भू-जल स्तर में वृद्धि होगी। साथ ही गर्मियों में कुओं के सूखने की संभावना भी कम हो जाएगी। सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता बनी रहेगी। जिससे किसानों को खेती में लाभ होगा।