भोपाल. केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट के जस्टिस, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, प्रदेश सरकार के मंत्रियों के भ्रष्टाचार की जांच की अनुमति अब सिर्फ डीजी या उनके समकक्ष के अफसर ही मांग सकेंगे।
केंद्र सरकार ने यह तय कर दिया है कि किस लोक सेवक के पद के दुरुपयोग संबंधित भ्रष्टाचार की जांच की अनुमति किस रैंक के पुलिस अफसर के पत्र पर दी जा सकती है।
केंद्र सरकार ने इस संबंध में प्रदेश पुलिस के मुखिया डीजीपी को पत्र भेजकर यह जानकारी दी है।
केंद्र सरकार ने कुछ महीने पहले भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए में संशोधन किया है। इस संशोधन के बाद लोक सेवकों के पद के दुरुपयोग की जांच के लिए सरकार से अनुमति लेना जरुरी होगा।
अब यह सवाल खड़ा हुआ कि किस लोक सेवक की जांच के लिए पुलिस का कौन सा अफसर अनुमति के लिए शासन को लिखेगा। इसका निर्धारण केंद्र सरकार ने कर दिया है।
केंद्र सरकार ने इस संबंध में हाल ही में प्रदेश के डीजीपी को पत्र के माध्यम से यह जानकारी भेजी है जिसमें बताया गया है कि किस लोकसेवक के लिए पुलिस के किस रैंक के अफसर जांच की अनुमति के लिए निर्धारित प्रोफार्मा में पत्राचार कर सकते हैं।
इसमें डीजी के पत्र पर ही सचिव और उनके ऊपर के अफसरों के पद के दुरुपयोग के मामलों में जांच की अनुमति मिलेगी।
जबकि इनके नीचे के अफसरों के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक या आईजी रैंक के अफसर के पत्र पर अनुमति दी जाएगी।
इसी क्रम में डीआईजी, एसपी या अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के अफसर राज्य प्रशासनिक सेवा या उसके समकक्ष के अफसरों की अनुमति मांग सकेंगे।