भोपाल: प्रदेश में गेहूं खरीदी में किए जाने वाले घालमेल को खत्म करने के लिए राज्य शासन ने इस काम से संबद्ध सभी विभागों के डेटा मैच करने का काम करेगा। इस नई व्यवस्था के लिए एमपी वेयर हाउसिंग कारपोरेशन डिजिटल प्लेटफार्म तैयार कर रहा है। इस प्लेटफार्म से वे सभी संबंधित विभाग जुड़ेंगे जो गोदामों में गेहूं और अन्य सामग्रियां रखवाने से संबंधित काम करते हैं। इसके लिए कंसल्टेंट फर्म की नियुक्ति कर दी गई है।
वेयरहाउसिंग सेक्टर में आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करने के उद्देश्य से शुरू की जाने वाली इस व्यवस्था का असर यह होगा कि किसी एक स्थान से जितना माल (स्टाक) निकलेगा, उसकी जानकारी सभी संबंधित प्लेटफार्म तक अपने आप पहुंचेगी और अगर किसी ट्रांसपोर्टर, अधिकारी या कर्मचारी ने गफलत करके इसमें गड़बड़ की तो यह डिजिटल कोडिंग के चलते पकड़ में आ जाएगा।
एमडी एमपी वेयर हाउसिंग कारपोरेशन दीपक सक्सेना बताते हैं कि माडर्नाइजेशन और अपग्रेडेशन के फार्मूले के अंतर्गत यह व्यवस्था तय की जा रही है। इसके लिए कंसल्टेंट फर्म केपीएमजी को नियुक्त किया गया है जो खाद्य विभाग, नागरिक आपूर्ति निगम, सहकारिता विभाग, वेयरहाउसिंग कारपोरेशन, एफसीआई को एक साथ लिंक करेगा।
इसका फायदा यह होगा कि अगर कहीं से उपार्जन के बाद गेहूं गोदाम के लिए रवाना हुआ तो उसकी मात्रा उस सेंटर पर जो दर्ज होगी, वह गोदाम में एंट्री होने वाले रिकार्ड में डिजिटल फार्म में रहेगी। इसमें बैंक और एनजीओ का भी इन्वाल्व मेंट रहेगा क्योंकि बैंक भुगतान करता है और एनजीओ गेहूं की खरीदी से संबद्ध जिम्मेदारी निभाते हैं। इस नवीन व्यवस्था से डाटा मिसमैच नहीं किया जा सकेगा और अगर कहीं गड़बड़ की गई तो वह पकड़ में आ जाएगा।
राशन दुकानों से भी जुड़ सकेगी व्यवस्था
इसका फायदा यह होगा कि गोदाम से राशन दुकान तक जितना अनाज पहुंचता है, वह भी हेराफेरी से बच सकेगा क्योंकि इसकी एंट्री हर लेवल पर रहेगी। राशन दुकान संचालक और समूह के लोग राशन की कालाबाजारी करेंगे तो उन्हें पकड़ने में आसानी होगी। चूंकि आने वाले समय में राशन दुकानों को फेयर प्राइस शॉप के रूप में कनवर्ट किया जाना है, तो इसका फायदा भी नई पालिसी में होगा।