MP Panchayat Election : कैबिनेट के फैसले पर राजपत्र की मुहर

इंदौर में ओमिक्रॉन के 8 केस सामने आने के बाद सरकार सकते में

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MP Panchayat Election : कैबिनेट के फैसले पर राजपत्र की मुहर

MP Panchayat Election : कैबिनेट के फैसले पर राजपत्र की मुहर

Bhopal : मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव निरस्त किए जाने पर राज्यपाल ने भी मुहर लगा दी। देर शाम को राजपत्र में अध्यादेश वापसी का प्रकाशन कर दिया गया। अब राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव को निरस्त करने का फैसला करना है। शिवराज सिंह चौहान की सरकार की कैबिनेट बैठक में पारित अध्यादेश को वापस ले लिया और इसे अनुमोदन के लिए राज्यपाल को भेजा था।

पंचायत चुनाव को टाले जाने का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि इंदौर में ओमिक्रॉन के 8 केस सामने आए हैं। इससे शिवराज सरकार में अलर्ट में आ गई है। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर पिछले महीने राज्य सरकार ने अध्यादेश पारित कर पंचायत चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया था जिसमें कमलनाथ सरकार के परिसीमन को निरस्त कर दिया था। इसके बाद 4 दिसंबर को राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव कार्यक्रम का ऐलान किया था। तीन चरणों में पंचायत चुनाव का कार्यक्रम घोषित भी किया गया था।

रविवार को कैबिनेट बैठक में नवंबर महीने के अध्यादेश के विधानसभा में पारित नहीं हो पाने की स्थिति में उसकी वापसी का प्रस्ताव रखा गया था। पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने प्रस्ताव रखा और कैबिनेट इसे पारित करते हुए राज्यपाल के अनुमोदन के लिए भेजा है। इसे देर शाम को राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया। राजपत्र में मध्य प्रदेश पंचायत राज और ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश 2021 (क्रमांक 14 सन 2021) प्रकाशित किया गया। इससे अब पंचायत चुनाव के निरस्त होने की पूरी संभावना है और चुनाव निरस्त का फैसला अब राज्य निर्वाचन आयोग को लेना है।

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कोर्ट गई थी कांग्रेस
पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और जाने-माने वकील विवेक तन्खा, पीसीसी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष सैयद जाफर ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। कोर्ट से कई बार की सुनवाई में उन्हें राहत नहीं मिली। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के मामले में महाराष्ट्र के अपने फैसले का हवाला देकर राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने का फैसला सुनाया था। इससे ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव कराने की स्थिति बन गई थी और फिर राज्य निर्वाचन आयोग ने ओबीसी पदों को छोड़कर चुनाव प्रक्रिया को जारी रखा।

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चुनाव नहीं कराने की भूमिका पहले से
ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव पर भाजपा के नेता ही विरोध में उतर आए थे। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का बड़ा बयान भी आया था। इसके बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कोरोना की तीसरी लहर और ओमिक्रॉन की आशंकाओं के चलते पंचायत चुनाव नहीं कराने की मंशा जाहिर की थी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी ऐसे ही संकेत दिए थे। इस तरह पंचायत चुनाव नहीं कराने की भूमिका काफी समय से बन रही थी। आज इस पर मुहर लगी है।