भोपाल
प्रदेश पुलिस चेहरे देखकर जांच करती है, यदि आरोपी उनके ही महकमें का है तो पुलिस की जांच में लचीलापन आ जाता है, इनके मामलों की जांच ऐसी की जाती है कि आरोपी सजा से किसी भी तरह से बच सके।
NCRB की रिपोर्ट में बरी होने वाले पुलिस अफसरों और कर्मियों की संख्या को देखकर यही लगता है कि मध्य प्रदेश पुलिस अपने वालों की जांच उन्हें बचाने की दृष्टि से ज्यादा करती है। देश में कुल बरी हुए पुलिसकर्मियों और अफसरों में से 80 फीसदी पुलिसकर्मी और अफसर मध्य प्रदेश के हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में प्रदेश में 168 पुलिसकर्मी और अफसर आरोपों से बरी हुए हैं। जबकि देश भर में बरी होने वाले पुलिसकर्मियों और अफसरों की संख्या कुल 225 हैं। आरोपी बन बरी होने वाले देश भर में कुल पुलिसकर्मियों और अफसरों में से 80 प्रतिशत मध्य प्रदेश के हैं।
खास बात यह है की पुलिस महकमें के 171 अफसरों और जवानों की ट्रायल वर्ष 2021 में पूरी हुई थी, इनमें से सिर्फ तीन पुलिसकर्मियों को ही सजा मिल सकी। बाकी के सभी बरी हो गए। वहीं 46 पुलिसकर्मी और अफसरों के खिलाफ दर्ज केस वापस ले लिए गए या जांच में ही इन्हें पुलिस ने निर्दोष मान कर नाम हटा दिए। इस तरह से भी 46 पुलिसकर्मियों और अफसरों को प्रकरणों से बाहर निकाला गया। हालांकि इस दौरान पुलिस ने 33 प्रकरण पुलिसकर्मियों के ऊपर दर्ज किए थे। इनमें कोई भी केस अदालत से खारिज नहीं हुआ। इसमें से 18 प्रकरणों में चार्जशीट अदालत में पेश की गई और 15 प्रकरणों की फाइनल रिपोर्ट दी गई।
गिरफ्तार हुए महज 16
प्रदेश में पिछले साल भले ही 33 प्रकरण पुलिसकर्मियों और अफसरों पर दर्ज हुए हो, लेकिन इनमें से सिर्फ 16 पुलिसकर्मियों या अफसरों का गिरफ्तार किया गया। दो दर्जन मामलों की चार्जशीट प्रस्तुत की गई।
आंध्र दूसरे नंबर
इस तरह के मामलों में आंध्र प्रदेश दूसरे नंबर पर है, लेकिन यहां का आंकड़ा देखते ही प्रदेश पुलिस द्वारा अपनों को बचाने की रणनीति समझा में आ जाती है। आंध्र प्रदेश में वर्ष 2021 में सिर्फ 12 पुलिसकर्मियों ही बरी हो सके। मध्य प्रदेश के 168 के बरी होने के आंकड़े के बाद दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश का यह आंकड़ा है।