MP Politics : ‘बकवास’ पर ‘रार’…
पूर्व मुख्यमंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने ‘बकवास’ शब्द का प्रयोग कर एक बार फिर लोकतांत्रिक बहस को बुलावा दे दिया है। भाजपा संगठन ने कठोर आपत्ति दर्ज कराई है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कमलनाथ पर सदन के अपमान का आरोप चस्पा कर उनके खिलाफ कार्यवाही की मांग की है। तो संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने आगामी सत्र में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने की बात कही है।
वहीं कांग्रेस का मानना है कि कमलनाथ ने सदन पर टिप्पणी नहीं की है, बल्कि भाजपा नेताओं पर तंज कसा है। पर फिलहाल ‘बकवास’ पर ‘रार’ आसानी से खत्म होने वाली नहीं है। गेंद विधानसभा अध्यक्ष के पाले में पहुंच गई है। सदन में ही पता चलेगा कि नाथ को बेबाकी का खामियाजा भुगतना पड़ता है या फिर वह बिना किसी सोच-विचार के बेबाकीपन का सफर जारी रखेंगे।
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मामले में जांच किस तरफ मुड़ेगी, यह विधानसभा अध्यक्ष के स्वविवेक पर निर्भर है। पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया में संवैधानिक प्रावधानों की नाग पाश में बांधने की पर्याप्त गुंजाइश भी मौजूद है। और जिस तरह से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के तीखे तेवर सामने आए हैं और फिर संसदीय कार्य मंत्री ने प्रतिक्रिया दी है, उसके बाद सदन की अवमानना के नाम पर कदम किसी भी तरफ आगे बढ़ाए जा सकते हैं।
और जिस तरह इसी सदन ने चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी और कल्पना पारुलेकर के खिलाफ तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष रोहाणी का कठोरतम रवैया देखा था, उसके बाद सदन की गरिमा की मिसाल पेश हुई थी कि सदन में विधानसभा अध्यक्ष की शक्ति मानो भूचाल भी ला सकती है।
हालांकि बाद में अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए उन्होंने उदारता का भी परिचय दिया था। और तब जाकर चतुर्वेदी और पारुलेकर को जीवनदान मिला था। अब सदन में कम समय देने की वजह नाथ ने भाजपा नेताओं की बकवास सुनने से परहेज को बताया है और यह भी कहा है कि इससे बेहतर दो सौ मिलने वालों से मुलाकात ज्यादा ठीक है।
तो भाजपा की आपत्ति पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम किसी भी नतीजे पर पहुंचने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि हो सकता है कि विधानसभा अध्यक्ष नाथ की सफाई सुनकर उनके प्रति उदार मन से भर जाएं या फिर कठोरता का रवैया अख्तियार कर लें।
खैर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की आपत्ति है कि विधानसभा की कार्रवाई को बकवास कहकर कमलनाथ ने लोकतंत्र और विधानसभा का अपमान किया है। प्रदेश अध्यक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए कमलनाथ पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।
और अब आपत्ति जताने वाले भाजपा नेताओं की सूची बढ़ती जा रही है। ऐसे में कांग्रेस पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए फील गुड कर रही है और भाजपा पर निशाना साध रही है। अब देखते हैं कि आगे क्या होता है? ‘बकवास’ पर ‘रार’ फिलहाल इतनी आसानी से नहीं थमने वाली है।