50 करोड़ तक की MSME इकाईयों को अब मंजूरी के लिए उद्योग विभाग के पास नहीं जाना होगा

राइजब्रान, सोया और सरसों से जुड़ी इकाईयों में निवेश पर अब मिलेगी रियायतें

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50 करोड़ तक की MSME इकाईयों को अब मंजूरी के लिए उद्योग विभाग के पास नहीं जाना होगा

भोपाल: मध्यप्रदेश में अब राइसब्रान, सोयाबीन और सरसों के प्रसंस्करण, ग्रेडिंग और इनसे जुड़ी वस्तुओं के निर्माण के लिए लगने वाली लघु सूक्ष्म एवं मध्यम इकाईयों को भी विभाग द्वारा दी जाने वाली सभी रियायतों का लाभ मिलेगा। विभाग ने इन तीनों क्षेत्रों को अपात्रता की श्रेणी से बाहर कर दिया है।

अभी तक प्रदेश में एमएसएमई विभाग ने मध्यप्रदेश में सोया, सरसों और राइजब्रान से जुड़ी औद्योगिक इकाईयों को प्रदेश में एमएसएमई की पात्रता श्रेणी से बाहर कर रखा था। अब इन्हें पात्र घोषित कर दिया गया है। सभी नवीन इकाईयों को मिलने वाली सबसिडी और सुविधाओं का लाभ अब मिल सकेगा।

एमएसएमई में दस करोड़ से पचास करोड़ रुपए तक कानिवेश करने वाली पात्र एमएसएमई इकाईयों को रियायतें देने और दस एकड़ या अधिक क्षेत्रफल वाले औद्योगिक क्षेत्र, क्लस्टरर के विकास पर हुए व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए अब एमएसएमई विभाग ही सीधे मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय साधिकार समिति के समक्ष प्रस्ताव ले जा सकेगा। अब इन प्रस्तावों को उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव के जरिए प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी।

अभी तक दस करोड़ से अधिक और पचास करोड़ रुपए तक प्लांट और मशनरी में निवेश करने वाली पात्र इकाईयों को रियायतें का लाभ देने के लिए उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव के जरिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय साधिकार समिति के समक्ष प्रस्तुत करना होता था। राज्य स्तरीय साधिकार समिति में मुख्य सचिव अध्यक्ष और प्रमुख सचिव वाणिज्य कर विभाग, अपर मुख्य सचिव,प्रमुख सचिव वित्त, उर्जा विभग के प्रमुख सचिव, लघु सूक्ष्म और मध्यम उद्यम विभाग के प्रमुख सचिव, सचिव सदस्य है। उद्योग आयुक्त सदस्य सचिव है। यह समिति रियायतों के साथ ही दस एकड़ या अधिक क्षेत्रफल वाले औद्योगिक क्षेत्र, क्लस्टर पर हुए व्यय की प्रतिपूर्ति स्वीकृत करती है।