सोनीपत और इंदौर में भी पकड़ाए थे मुन्नाभाई
अजमेर – इंदौर: अजमेर पुलिस ने NEET, JEE और कॉमेड परीक्षा में फर्जी पेपर सॉल्वर बैठाकर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के तीन मुन्नाभाइयों को पकड़ा है। अजमेर रेंज के IG एस. सेंगाथिर ने जानकारी दी कि इन प्रतियोगी परीक्षाओं में पढाई में कमजोर परीक्षार्थियों से पैसे लेकर होशियार लड़कों से परीक्षा दिलाकर उन्हें पास कराने की जिम्मेदारी लेते थे। एक परीक्षार्थी से एक लाख रुपए अग्रिम, परीक्षा वाले दिन 7-8 लाख रुपए तथा परीक्षा के बाद कॉलेज चयन के नाम पर 21-22 लाख रुपए वसूलते थे। इस तरह वे प्रति परीक्षार्थी 30 लाख रुपए तक वसूलते थे।
देश में मची खलबली
अजमेर रेंज पुलिस ने नीट परीक्षा से पहले सीटों पर धांधली का बड़ा खुलासा कर न केवल राजस्थान बल्कि देश में खलबली ला दी। ऐसा ही एक गिरोह दो सप्ताह पहले मध्यप्रदेश में भी पकड़ाया था। पुलिस को इसका सेंटर इंदौर में होने की पुष्ट जानकारी मिली है।
IG सेंगाथिर ने बताया कि इस तरह की जानकारी मिलने के बाद और उसकी पुष्टि के बाद पुलिस थाना सिविल लाइंस अजमेर में एक प्रकरण दर्ज कराया गया। स्वयं उनके निर्देशन में पुलिस अधिकारियों की टीम गठित कर कार्रवाई शुरू की गई। इस प्रकरण में आरोपी अर्पित स्वामी, गजेंद्र स्वामी, मोहम्मद दानिश रजा को गिरफ्तार किया गया। उनके पास से 4 लैपटॉप, 40 मोबाइल, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क, मार्क शीट, मूल पहचान पत्र, फर्जी विद्यार्थियों को बैठाने के संबंध में संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए। इन तीनों के लिए दिल्ली, कोटा, जयपुर में दबिश दी गई, जिसके चलते इस गैंग का पदार्फाश संभव हो सका।
योजना बद्ध तरीके से की कार्यवाही
यह पूरी कार्रवाई योजनाबद्ध तरीके से की गई जिसमें पुलिस के साथ साथ अन्य लोग भी सहयोगी रहे। उन्होंने कहा कि दलालों का बड़ा वर्ग सोशल माध्यम से एक्टिव होकर पूरे देश में सक्रिय हैं। गैंग कितना बड़ा है और इसकी गहराई कहां तक है यह अनुसंधान का विषय है।
इंदौर से पकड़ाए मुन्नाभाई
JEE Mens 2021 की परीक्षा देते हुए सोनीपत में सीबीआई ने 7 युवकों को पकड़ा था। इसमें एक आरोपी रणजीत विजयनगर में पानी की टंकी के पास तीन कमरों में किराए से रहता था। वह यहां एफिलिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड में दलाली करता था। अपने साथ पुणे की सीमा नायर को भी जोड़ रखा था, वह पुणे के छात्रों को झांसे में लेती थी। दलाल रणजीत मूलरूप से पुणे का रहने वाला है। उसकी पुणे में इडियू इंडिया कंसल्टेंसी है। यहां से वह सिंडिकेट के रूप में भी काम करता है। सिंडीकेट में उसके मददगार सोनू ठाकुर और सीमा नायर थे।
पुणे में रणजीत आवास निर्माण करने वालों के साथ मजदूरी करता था। अधिक पैसा कमाने की लालच में उसने मुन्नाभाई बनने की प्लानिंग की। कक्षा 12 वीं तक पढ़ा होने से कम्प्यूटर का ज्ञान था। इंटरनेट से उसने दिल्ली, पुणे, बैंगलोर, सोनीपत के कुछ ऐसे युवाओं को ढूंढा, जो पूर्व में मुन्नाभाई बन चुके हैं। इसके बाद वह खुद मुन्नाभाई बन गया। तीन साल में कई छात्रों के लिए 5 से 7 लाख रुपए लेकर परीक्षाएं दी। देखते ही देखते वह विलासिता का जीवन जीने लगा। सीमा उसकी क्लासमेट रह चुकी है। इसलिए वह आसानी से रणजीत से जुड़ गई। रणजीत ने दिल्ली, बैंगलोर, इंदौर के विजय नगर में किराए के कमरे ले रखे थे। यहां छात्रों को बुलाने के लिए व्हाट्सएप का इस्तेमाल करता था। किसी प्रकार का बोर्ड या विज्ञापन नहीं लगाया। यही कारण रहा कि पुलिस को भी भनक तक नहीं लग पाई। आसपास के लोग भी शक नहीं कर पाए। सीबीआई को जब उसके ठिकाने का पता चला तो सादी वर्दी में तीन जवान आए थे। रात होने के कारण ज्यादा कुछ पता नहीं चल सका। जवान यहां से आपत्तिजनक सामग्री व रंजीत को लेकर गए थे। सुबह पता चला कि रणजीत मुन्ना भाई के रूप में काम करता था। वह दिनभर छात्रों को ढूंढता था।
दिन में घर नहीं रहता
रणजीत के पड़ोस में रहने वाले महेश चौकसे ने बताया कि वह रोज सुबह 10 बजे अपने दोपहिया वाहन से निकल जाता था और शाम 6 बजे वापस लौटता था। अवकाश के दिन घर में रहता था। आसपास में किसी के ज्यादा बात नहीं करता था। पूछने पर बताता था कि प्रॉपर्टी ब्रोकर्स के साथ काम करता है। कभी-कभी एक-दो दिन के लिए एक युवती आती थी, जिसे वह अपनी बहन कहता था।