Munshi Premchand’s birth anniversary : कहानी का जीवन बहुत लम्बा होता है इसलिए कथानक में कहानीपन होना अनिवार्य है-प्रबोध कुमार गोविल ने

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Munshi Premchand's birth anniversary

अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का आयोजन 

Munshi Premchand’s birth anniversary : कहानी का जीवन बहुत लम्बा होता है इसलिए कथानक में कहानीपन होना अनिवार्य है-प्रबोध कुमार गोविल ने

अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का एक अभिनव आयोजन, कहानी संवाद ‘दो कहानी- दो समीक्षक’ 04 अगस्त 2024, रविवार को शाम गूगल मीट पर मुंशी प्रेमचंद जयंती पर विशेष तौर से आयोजित किया गया। इस मौके पर अपने बीज वक्तव्य में संस्था की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने मुंशी प्रेमचंद की कथा भूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि -“मुंशी प्रेमचंद का कथा साहित्य आज भी प्रासंगिक इसलिए है कि वे अनेक प्रकार की गुलामी की जंजीरों से जकड़ी हुई जनता का प्रतिनिधित्व अपनी कलम के माध्यम से कर रहे थे। लेकिन उनकी जीते जी उनका मूल्यांकन नहीं हुआ।”

मुख्य अतिथि डॉ मनु शर्मा ने रानी सुमिता की कहानी “हरफन मौला बंशी” के पात्र ‘शरारती बालक बंशी के चरित्र का चित्रण करते हुए बालकों की किशोरावस्था और युवावस्था के मनोविज्ञान पर बात की। आपने मुंशी प्रेमचंद की दो कहानियों ‘बड़े भाई साहब’ और ‘ठाकुर का कुआँ’ के कथानकों को लेकर इस कहानी की तुलनात्मक विवेचना की।

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अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर प्रबोध कुमार गोविल ने विजय कांत वर्मा की कहानी “पहली किताब” पर बात करते हुए कहा कि अब वो दौर आ गया है कि हम कहानी की समीक्षाओं पर ज़्यादा ज़ोर न दें कहानी कार, कहानी में अपनी निजता घोल रहा होता है। हमें उसकी रक्षा करनी चाहिए। आपने कहानी पर आगे बात करते हुए कहा कि कहानी का जीवन बहुत लम्बा होता है इसलिए कथानक में कहानीपन होना अनिवार्य है।

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यद्यपि इस कहानी ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया और हंसाया लेकिन आपने इस कहानी की समग्र रूप से विवेचना कर उसकी कमियों को रेखांकित किया।जब श्रोताओं में उपस्थित वरिष्ठ कहानीकारों ने भी दोनों कहानियों पर अपनी टिप्पिणियां व्यक्त कीं तब इस कहानी संवाद गोष्ठी ने कहानी की कार्यशाला का रूप ले लिया। दोनों कहानियों को श्रोताओं ने बहुत सराहा और उनके कथानकों पर खुलकर अपने विचार व्यक्त किये।
संयोग से मित्रता दिवस भी था और दोनों कहानियों के कथानक मित्रता पर ही आधारित थे। इस अवसर पर सभी ने एक दूसरे को बधाई भी प्रेषित की।
स्वागत वक्तव्य मध्यप्रदेश इकाई की निदेशक जया केतकी शर्मा ने दिया तो वहीं आभार मध्य प्रदेश इकाई की अध्यक्ष महिमा श्रीवास्तव वर्मा ने व्यक्त किया।
सञ्चालन मध्य प्रदेश इकाई के महासचिव मुज़फ्फर सिद्दीकी ने किया। इस कहानी संवाद में देश – विदेश से अनेक साहित्यकार अंत तक जुड़े रहे।

प्रेमचंद जयंती: पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति भोपाल द्वारा रचना पाठ आयोजित