मुर्मू के “मन की बात” और उनसे हमारे मन की अपेक्षा …

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गुरुवार को एनडीए राष्ट्रपति प्रत्याशी यशवंत सिन्हा भोपाल में थे, तो शुक्रवार को एनडीए की राष्ट्रपति प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का राजधानी में आगमन हुआ। आदिवासी जनसंख्या वाले बड़े राज्य मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार और संगठन ने मुर्मू के स्वागत में जिस तरह दिल खोलकर रख दिया, उससे उनका मन ह्रदयप्रदेश का कायल हो गया। मुर्मू ने भी अपने “मन की बात” भी दिल खोलकर रख दी कि “भारत के ह्रदय पावन मध्य प्रदेश ने मुझे जिस तरह का स्वागत दिया, ये भव्य स्वागत मेरी ज़िंदगी में पहली बार हुआ है। इसे मैं कभी भी भूल नहीं पाऊंगी।” इसके आगे उन्होंने जोड़ा कि “आदरणीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 4-4 बार मुख्यमंत्री बने हैं। यह राज्य हमारा है इसलिए इस राज्य का सहयोग समर्थन मुझे मिलेगा। लेकिन फिर भी चाहा कि मुझे जाना ही है।” निश्चित तौर से मध्यप्रदेश है ही ऐसा राज्य कि यहां सभी का आने का मन करता है। यहां की आबो-हवा ऐसी है कि संगीत सम्राट कुमार गंधर्व एक बार बीमारी के बहाने आए थे, तो फिर लौटकर नहीं गए।

मुर्मू जी हम भी आपसे थोड़ी सी मन की बात करना चाहते हैं। आज जिस तरह यह देश पहली आदिवासी महिला को सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन करने का मन बना रहा है, इसमें ह्रदयप्रदेश की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी भारत के ऐसे रत्न थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर जनसंघ और भाजपा में संघर्ष करते हुए पार्टी को शिखर तक पहुंचाया था। बीसवी सदीं के आखिरी दशक में ही सही, अंधेरा छंटा था, सूरज निकला था और कमल खिला था…।

पहली बार भाजपा ने गठबंधन सरकार में समझौता करते हुए भी अपनी विचारधारा की खुशबू महसूस की थी। और पार्टी ने तब भारत रत्न डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को सर्वोच्च पद पर आसीन किया था। अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम, जो मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति नाम से भी जाने जाते हैं। भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। वे जानेमाने वैज्ञानिक और  इंजीनियर के रूप में विख्यात थे। उन्होंने सिखाया जीवन में चाहें जैसे भी परिस्थिति क्यों न हों, पर जब आप अपने सपने को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही रहते हैं। अब्दुल कलाम के विचार आज भी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। और अटल के साथ आगे बढ़ी विचारधारा की यही खुशबू राष्ट्रपति प्रत्याशी के तौर पर आपके रूप में महकी है।

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जैसा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुर्मू जी, आपके बारे में बताया कि पूरा देश तो दीदी के साथ खड़ा हुआ है। आपका जीवन सच में प्रेरणा देने लायक है। अभी गजेंद्र सिंह जी बता रहे थे  कि आप बताइए भारतीय नारी के जीवन से पति का जाना कितनी बड़ी घटना होती है पूरी तरह से तोड़ देती है। लेकिन धैर्य और संयम नहीं खोया निष्पृह भाव से लगातार काम में लगी रही। एक बेटा चला गया, दूसरा बेटा छोड़ कर चला गया। बताओ जिंदगी में क्या बचता है।लेकिन हार नहीं मानी शिक्षक रहीं, क्लर्क रहीं लेकिन जहां रहीं वहां अमिट छाप छोड़ी।

परिश्रम करके अपनी कर्तव्यनिष्ठा, मेहनत, प्रमाणिकता उसके कारण स्थान बनते चले गए। अगर हम सबसे छोटा कोई चुनाव मानते है तो वो होता है पार्षद का। पार्षद के चुनाव से, उससे पहले संगठन के काम से आपका सार्वजनिक, राजनैतिक जीवन प्रारंभ हुआ। पहले पार्षद फिर सन् 2000 में विधायक फिर, बीजेपी मंत्री मंडल में स्वतंत्र प्रभार की मंत्री और स्वतंत्र प्रभार की मंत्री के नाते भी आपके पास जो 2-3 विभाग आए, आपने प्रशासनिक दक्षता का अद्भुत परिचय दिया। राज्यपाल नहीं रहने के बाद शहर में रुकने का कोई काम ही नहीं, कोई घर नहीं, कोई मकान नहीं तो वापस अपने गांव।आपने यह भी अखबार में पढ़ा होगा कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार, उन्होंने कभी सोचा ही नहीं। किसी को कुछ कहने का सवाल ही नहीं है। प्रधानमंत्री ने उनको सूचना दी। लेकिन दूसरे दिन उसी शहर में गांव का जो मंदिर था। राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित होने के बाद, दुनिया जानती है कि राष्ट्रपति होने वाली है लेकिन मंदिर में झाड़ू लगा रही थी।

और अब देश जल्दी ही 15वें राष्ट्रपति के रूप में मुर्मू जी आपको देखेगा। आपका संघर्ष भी प्रेरणा योग्य है। और सहजता, सरलता और बेहतर सोच की आप धनी हैं। निश्चित तौर पर हमें आप जैसे महान व्यक्तित्व से अपेक्षा है कि राष्ट्रपति के तौर पर आप अपनी विशिष्ट छवि जरूर छोडेंगीं, जिस तरह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी छोड़कर गए हैं और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी छोड़कर गए हैं। यही अपेक्षा है कि इसी क्रम में देश कल देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति मुर्मू को याद करेगा।