Balaghat-Sonewani Sanctuary में बाघिन की रहस्यमयी मौत पंजे गायब; शव को तीन जगह जलाकर मिटाने का आरोप वन विभाग में हड़कंप

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Balaghat-Sonewani Sanctuary में बाघिन की रहस्यमयी मौत
पंजे गायब; शव को तीन जगह जलाकर मिटाने का आरोप
वन विभाग में हड़कंप

Balaghat मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के Sonewani Sanctuary में एक बाघिन की मौत और उसके शव के नष्ट होने का मामला वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालों का पहाड़ बनकर सामने आया है। 2 अगस्त को वॉट्सएप पर वायरल हुई मृत बाघिन की तस्वीर ने वन्यजीव प्रेमियों, वन कर्मचारियों और अधिकारियों में हड़कंप मचा दिया। जांच में सामने आया कि बाघिन के शव को 27 से 30 जुलाई के बीच तीन अलग-अलग जगहों पर जलाकर नष्ट कर दिया गया था।

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मामले में 8 कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया है। छह चौकीदार हिरासत में है, जबकि Deputy Ranger टी. आर. हनोते और Forest guard हिमांशु घोरमारे फरार हैं। अधिकारियों ने दावा किया है कि शव को जलाकर नष्ट करना गलती थी, लेकिन वन्यजीव प्रेमी इसे गंभीर लापरवाही और मिलीभगत मान रहे हैं। मृत बाघिन के पंजे गायब होने से शिकार की आशंका भी जगती है।

“मामले का खुलासा और जांच”
Sonewani Sanctuary के एक वॉट्सएप ग्रुप पर मृत बाघइन की फोटो 2 अगस्त को पोस्ट हुई, जिसके बाद वन अमला और वन्यजीव प्रेमी लालबर्रा और वारासिवनी परिक्षेत्र में तलाशी अभियान चलाने लगे। कक्ष क्रमांक 443 में मृत बताए गए बाघिन का शव आसपास नहीं मिला, जिससे कई संदेह उत्पन्न हुए।

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पहली सूचना बहियाटिकुर सुरक्षा श्रमिक हरिलाल ने वनरक्षक हिमांशु घोरमारे को दी थी। बाद में शव को कक्ष क्रमांक 440 में स्थानांतरित किया गया, जहां 29 जुलाई को आरोपी सभी वन श्रमिकों ने सूखी लकड़ी में आग लगा शव पूरी तरह नष्ट कर दिया और राख आसपास फैला दी।

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“वन विभाग की कार्रवाई और आरोप”
एसडीओ बी.आर. सलामे ने आठ लोगों को आरोपित बताया, जिनमें दो अधिकारी फरार हैं और छह चौकीदार जेल में हैं। जांच में मिले राख, हड्डी के टुकड़े और जला मांस मामले की पुष्टि करते हैं। वन विभाग ने दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया है तथा बाकी कर्मचारियों की भी जांच चल रही है।

वन्यजीव प्रेमी और सामाजिक संगठनों ने इस घटना की राष्ट्रीय टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) सहित अन्य नियामक निकायों से भी जांच की मांग की है। वे इस मामले को वन्यजीव संरक्षण के लिए बड़ी खतरा मान रहे हैं।

“स्थानीय लोगों की शिकायतें”
स्थानीय वन संरक्षणकर्ता अजय दुबे कहते हैं कि वन विभाग के कर्मी ठीक से गश्त नहीं करते, जिससे शिकारी खुलेआम जंगल में आए दिन आ जाते हैं। उनका कहना है कि लापरवाही के कारण वन्यजीवों को कभी-कभी बहुत बड़ा नुकसान होता है।

“सोनेवानी अभयारण्य”
इस अभयारण्य में 40 से अधिक बाघ और कई दुर्लभ वन्यजीव मौजूद हैं। ऐसे में वन विभाग की लापरवाही से संरक्षण की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि जांच पूरी पारदर्शिता से होगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

“एक नजर में-
1- सोनवानी अभयारण्य में मृत बाघिन की तस्वीर 2 अगस्त 2025 को सोशल मीडिया पर वायरल हुई।
2- 27-30 जुलाई के बीच शव को तीन अलग-अलग जगह जला कर मिटाने का आरोप वन विभाग के अधिकारियों पर।
3- शव के पंजे गायब होने से शिकार की पुष्टि की संभावना, मामले में दो अधिकारी निलंबित, छह चौकीदार हिरासत में।
4- नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) सहित अन्य निकायों को शिकायत दर्ज, कड़ी जांच जारी।
5- सोनवानी अभयारण्य में 40 से अधिक बाघ हैं, संरक्षण को खतरा।
6- वन विभाग के गश्त में कमज़ोरी और वन कर्मचारियों की लापरवाही पर स्थानीय लोगों की शिकायत।
7- वन विभाग ने जांच तेज की, दोषी कर्मचारियों पर कड़ा कार्रवाई का आश्वासन दिया।
यह मामला वन्यजीव संरक्षण के प्रति समर्पित कार्यों में गंभीर बाधा और वन विभाग की जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है। इसके साथ ही यह घटना वन्यजीवों की सुरक्षा में बुनियादी संरचनात्मक सुधारों की जरुरत को भी उजागर करती है।