Mystery and Thriller Story :”एक यात्रा और वो पेट्रोल पम्प ” एक थ्रिलर किस्सागोई

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Mystery and Thriller Story: एक यात्रा और वो पेट्रोल पम्प  एक थ्रिलर किस्सागोई 

डॉ.स्वाति तिवारी 

सालों पहले का एक किस्सा आज अचानक याद आ गया .एक ऐसा किस्सा जो गाहे बगाए याद आता रहता है और आज फिर याद आ गया .
वो सर्दियों का मौसम था और एक सर्द रात की बात है . हमें एक बार किसी आवश्यक काम से प्रयाग राज जाना था .प्रयागराज के लिए सबसे उपयुक्त स्टेशन —- जंक्शन रेलवे स्टेशन भारतीय रेल का एक रेलवे स्टेशन है।  यह स्टेशन मुंबई और पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन के साथ प्रयागराज को अलग अलग रेलवे ट्रैक से जोड़ता है। यहां चार प्लेटफार्म है और लगभग 32 गाड़ियां रूकती है।

यह स्टेशन प्रयागराज  जंक्शन से ८-10 किलोमीटर दूर है। हम उन दिनों प्रयाग राज ही जा रहे थे और उसके आसपास जाने का प्रोग्राम बना था .हमारी ट्रेन इसी  जंक्शन पर समाप्त हुई थी। आगे का सफ़र हमें कार से करना था हमने एक रेंटेड कार ली और हम निकल गए थे। हम दोनों ही थे उस यात्रा में .हम नैनी स्टेशन से थोड़ा आगे निकले थे और मेरे सहयात्री को याद आया रात के ग्यारह बजने वाले है और हमें अभी दो घंटे का सफ़र और करना है और गाडी में फ्यूल कम है .आगे पता नहीं हमें कोई पेट्रोल पंप मिलेगा या नहीं .

यह उन दिनों की बात है जब जीपीएस वगैरह नहीं होते थे .ड्राइवर भी एक बुजुर्ग आदमी था .उसने कहा कि सर मुझे याद है इस रास्ते पर कोई पेट्रोल पंप नहीं है। अगर आप कहें तो हम वापस चल कर पहले पेट्रोल भरवा लेते हैं . हम दोनों ही नाराज हो गए थे उस ड्राइवर पर तुम्हे जब यह पता था तो तुम खाली गाड़ी लेकर क्यों आ गए ?ड्राइवर ने कहा सॉरी सर गलती हो गई .वह गाड़ी टर्न करने वाला था कि उसे रास्ते पर थोड़ी दूरी पर एक रौशनी दिखाई थी जैसे कोई व्यक्ति आगे जा रहा है .मैंने ड्राइवर से कहा उस व्यक्ति तक चलो हो सकता कोई पेट्रोल पंप स्टेशन हो .ड्राइवर ने कहा नहीं मैडम मुझे पता है, नहीं है इस रास्ते में .उन्होंने पूछा तुम कब आये थे इधर ?शायद एक साल पहले .तो फिर उस आदमी से पूछ लेते हैं ,हो सकता है , खुल गया हो, इतने दिनों में .ड्राइवर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।
गाडी की आवाज सुन कर भी वह नहीं रुका .ड्राइवर ने हार्न बजाया और उसके पास जाकर जैसे ही गाड़ी रोकी उस आदमी ने रुक कर अपने हाथ का लालटेन उठाकर ड्राइवर को देखा। ड्राइवर ने पूछा भाई यहाँ कोई पेट्रोल पम्प है आसपास ?वह आदमी चुप चाप पहले कुछ सोचता रहा फिर उसने कहा हाँ हैं ना ,आधा किलोमीटर आगे जाकर आप थोड़ा सा लेफ्ट में जायेंगे तो एक पेट्रोल पम्प मिलेगा .पर वह देर होने से शायद बंद हो गया होगा .देख लीजिये .

ड्राइवर ने कहा सर चलते हैं देख लेते हैं ,अगर खुला होगा तो हमारी परेशानी दूर हो जायेगी .हम उस आदमी को भूल गए और चलते बने.उस जगह पंहुचे तो पेट्रोल पम्प सुनसान था वहां केवल एक गाडी खड़ी थी और एक आदमी खाट पर आँखे मूंदे लेटा हुआ था .ड्राइवर ने कहा “अरे ये पेट्रोल पंप फिर चालू हो गया यह तो कई साल पहले आग लगने पर बंद हो गया था”.

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हमने उससे पेट्रोल भरवाया .पेमेंट के लिए इन्होने पूछा खुले पैसे है ,जब उसने कहा हाँ ,तो मुझे लगा ये आवाज तो जानी पहचानी है .जब वाशरूम के लिए पेट्रोल पंप के पीछे गए तो वहां एक चाय की गुमटी भी दिखी .ये बोले वाह ये बहुत बढ़िया हुआ चलो चाय पी लेते हैं .हमें पेट्रोल पम्प वाले उस आदमी ने चाय बनाकर भी पिलाई और बिस्किट भी दिए .हम वहां पेमेंट करने लगे तो उसने कहा केवल पेट्रोल के ही पैसे दीजिये चाय मेरी तरफ से . हम रात तीन बजे अपनी मंजिल पर पहुंचे .सारे रास्ते वह आवाज किसके जैसी है यह बात मेरे मन में आती जाती रही ,हम एक हफ्ते की प्रयागराज की यात्रा पर थे .वापसी भी हमारी उसी रास्ते से होनी थी ,हुई जब हम उसी जगह के आसपास पहुंचे तो इन्होने कहा “चलो पेट्रोल पंप वाली चाय पी जाए .’

हाँ ,चलो थोड़ा रिलेक्स भी हो जायंगे .पैर सीधे हो जायेंगे “

“हाँ .सर मुझे भी चाय पीना है ,”ड्राइवर भी बोला

हम उस रास्ते पर मूढ़े और चलते रहे लेकिन कोई पेट्रोल पम्प नहीं दिखा .हाँ एक आदमी वहां सडक के किनारे एक खेत में काम कर रहा था .ड्राइवर ने गाडी रोकी और पूछा “भाई यहाँ एक पेट्रोल पंप है ना .”
उस आदमी ने गर्दन उठाई और हमारी तरफ देखा मुझे वह जाना पहचाना सा लगा .उसने हाथ उठाया और इशारा किया .हम उस तरफ गए जब हम वहां पहुंचे तो वहां वही पेट्रोल पम्प था लेकिन सालों पहले जला हुआ और उस पर एक बोर्ड भी लगा था क्लोस्ड का .वहां एक अध् जली सी गाड़ी भी थी ,वह वही गाड़ी थी जो उस दिन चालू हालत में चमक रही थी .चाय की एक गुमटी थी पर वहां केवल उसके अवशेष थे .ड्राइवर ने कहा ,मैंने आपसे उस दिन कहा था .सर ?

हम तीनों ही शाक्ड थे .हम जैसे भोंचक्के थे ,अचानक मुझे खेत में खड़ा वो आदमी याद आया और फिर उस दिन पेट्रोलपंप वाला वह आदमी .ओह वो वही था .और आवाज रात को रास्ता दिखाने वाले आदमी की थी .तो क्या वो तीनों एक ही व्यक्ति था .

हम जल्दी से जल्दी वहां से निकलना चाहते थे.हमें आगे फिर से नैनी स्टेशन से ट्रेन पकड़नी थी .पता चला नैनी जेल के पास स्थित  ‘भूतहा’ जगहों में से एक है. इस जेल के बारे में कहा जाता है कि ब्रिटिश काल के दौरान अधिकारियों द्वारा पीटे जाने से कई स्वतंत्रता सेनानियों की मौत हो गई थी.

 रेलवे स्टेशन इस जेल से ज्यादा दूर नहीं है.जब हम ट्रेन में बैठने लगे तो टैक्सी कार से उतरते वक्त मैंने ड्राइवर को धन्यवाद दिया और कुछ पैसे देने के लिए हाथ बढाया और उसके चहरे की तरफ देखा तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए और मैं चक्कर आने लगे थे    , मेरे साथी ने मुझे पानी के छींटे मारे, हमारे आसपास भीड़ एकत्र हो गई थी मैंने उस समय भीड़ में उस ड्राइवर  के पीछे थोड़ी दूरी पर जिस आदमी को देखा  वो वही लग रहा था जिसने हमें  पेट्रोल दिया था   ..हम घबराए हुए से ट्रेन में बैठ चुके थे . ट्रेन ने जैसे ही सिटी दी  जैसे सांस में सांस लौट आई .बहुत बाद में समझ आया वो तो उसी पल से हमारे साथ था जब से हमने स्टेशन पर टैक्सी बुलाई थी . वो जो भी हो  उसने हमारी मदद ही की थी .और संकट में जो मदद करे उसे सकारात्मक ही तो कहेंगें .

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डॉ.स्वाति तिवारी