Nag Panchami : सर्प काटने से आम लोगों से ज्यादा सांप पकड़ने वालों की मौतें
Ratlam : भारत में सांपों के काटने से आम लोगों की बजाय सांपों को पकड़ने वाले स्नेक हैंडलर और रेस्क्यू की हो जाती है।यह बात कहते मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के पिपलोदा निवासी गणेश मालवीय।
हां गणेश मालवीय वह शख्स हैं जिन्हें प्रदेश की जनता सर्पमित्र के नाम से जानती हैं।
अपने जीवन में गणेश मालवीय ने अनगिनत लोगों को मौत के मुहाने से वापस बुलवा लिया।इतना ही नहीं गांव गली मोहल्लों और शहर में कहीं भी किसी घर में सांप दिखाई पड़ता हैं तो बस एक ही नाम सामने आता है गणेश मालवीय।
गणेश मालवीय घरों,दुकानों में छुपे हुए सांप को पकड़ते है,और सुरक्षित रुप उन्हें जंगल में छोड़ देते हैं।
वे बताते हैं कि मैंने पिछले 12 वर्षो में 10 हजार से अधिक सांपों को पकड़ा और जंगल में छोड़ा है।वह बताते हैं कि स्नैक बाइट ग्रसित लोगों को 10-12 लोगों की जान भी बचाई है।वह पेशे से 22 वर्ष से शासकीय स्कूल में अध्यापक हैं।वह कहते हैं कि दुनिया में सांपों के सबसे अधिक डसने की दुर्घटना भारत में ही सामने आते हैं।और जानकारी के अभाव में सबसे अधिक सांप भारत में ही मारे जाते हैं।
गणेश मालवीय पिपलोदा शासकीय शिक्षक द्वारा सर्प जीवन रक्षा एवं जागरूकता अभियान को लेकर पिछले 12 वर्षों से निशुल्क सेवाएं दी जा रही हैं।आपको बता दें कि गणेश मालवीय के बेटे समर्पण मालवीय द्वारा सर्प जीवन रक्षा के क्षेत्र एवं सामाजिक जागरूकता को लेकर भारत सरकार द्वारा 2019 में जीवन रक्षा पदक राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
आइए अब हम आपको बताते हैं सांप के बारे में
नागपंचमी पर श्रद्धालुओं द्वारा सांप की पूजा की जाती है उन्हें दुध पिलाया जाता हैं।जो सांपों के यह बहुत ही घातक होता हैं। सपेरे नाग पंचमी से दो सप्ताह पहले सांपों को भूख प्यास रखते हैं फिर गली मोहल्ले में घूम-घूमकर उनकी पूजा करवाते हैं। सांप प्यास के कारण दूध को पानी समझकर पी लेता हैं क्योंकि सांप के दांत और दूध के बैक्टीरिया के कारण सांपों की मृत्यु हो जाती हैं।इसलिए सांप को दूध नहीं पिलाना चाहिए।आपको बता दें कि पूरी दुनिया में सांपों की ढाई लाख से अधिक प्रजातियां हैं वहीं भारत में 500 से अधिक प्रकार के सांप पाए जाते हैं पूरी दुनिया में सांप के काटने के 1 लाख से ऊपर प्रकरण आते हैं। जिसमें भारत में हर साल 50 हजार से ज्यादा मामले सामने आते हैं।भारत में सांपों के काटने का मुद्दा पब्लिक हेल्थ से जुड़ा हुआ है।हालांकि जब हम सांपों के काटने की बात करते हैं तो हम यह भूल जाते हैं कि सांप भी वन्यजीवों का हिस्सा हैं।सांपों के काटने को लेकर चर्चा के बीच सांपों की प्रजातियों के संरक्षण के महत्व के बारे में चर्चा पीछे छूट जाती है।भारत जहां सांपों के काटने के मामले सबसे अधिक आते हैं,वहीं सांपों के मारे जाने की घटनाएं भी सबसे अधिक होती हैं।हालांकि, आधिकारिक रूप से इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
हम आपको बता दें कि सभी सांप जहरीले नहीं होते हैं सिर्फ भारत वर्ष में पांच सांप ऐसे हैं जो बहुत ही जहरीले हैं इसका अर्थ है कि महज 5 प्रतिशत सांप ही जहरीले होते हैं।खास बात है कि सांप कहीं भी उतने चिंताजनक या डरावने नहीं हैं जितना हम सोचते हैं।हम जब विषैले सांपों की प्रजातियों की बात करते हैं तो इनमें से ब्लैक इंडियन कोबरा (नाजा नाजा),कॉमन क्रेट (बंगारस कैर्यूलस),रसेल वाइपर (दबोइया रसेली) और सॉ-स्केल्ड वाइपर (एचिस कैरिनैटस और सांपों का राजा किंग कोबरा शामिल हैं।यह प्रजातियां मानव बस्तियों के करीब रहती हैं।ऐसे में सांपों के काटने से होने वाली अधिकतर मौतों के लिए यही जिम्मेदार होते हैं।सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में घटनाएं होती हैं।
पिछले कई स्टडी में यह बात सामने आई है कि सांपों के काटने की अधिकांश घटनाएं देश के ग्रामीण क्षेत्रों में होती हैं। इनमें भी सांपों का सबसे अधिक शिकार किसानों और दिहाड़ी मजदूरों बनते हैं।खेतों में काम करते समय या काम के दौरान सांप काटने की घटनाएं सबसे अधिक होती हैं।
आज भी भारतवर्ष में धार्मिक अंधता को लेकर सांप के मामले में अलग-अलग विचार देखने को मिलते हैं। 21वीं सदी में भी लोग सांप के काटने के पश्चात धार्मिक स्थान पर ओझा या झाड़-फूंक करने वाले के पास जाते हैं और अपना समय खराब करते हैं।जहरीले सांप के काटने के पश्चात मरीज को बिना समय गवाएं अस्पताल की ओर जाना चाहिए क्योंकि जहर का सीधा उपाय है एंटी वेनम जब तक उसको anti-venom नहीं लगेगा मरीज का इलाज नहीं होगा।हमारे भारतवर्ष में अज्ञानता और अंधविश्वास के कारण 50,000 से ज्यादा मौतें होती हैं यही कारण है कि आज भी हम शिक्षित होने के साथ-साथ कहीं ना कहीं अंधविश्वासी भी हैं।
यह तो हुआ सांप का एक पहलू सांप का दूसरा पहलू भी बहुत ही रोचक और खूबसूरत है जिसे समझना भी आवश्यक है सांप को हम मौत के रूप में जानते हैं वही दूसरा सांप हमें जिंदगी भी प्रदान करता हैं। सांप मानव सभ्यता के लिए कुदरत का एक खूबसूरत तोहफा है।हमारा मानना है कि सर्प पृथ्वी का बहुत ही खूबसूरत और महत्वपूर्ण जीव हैं।इसका जीवन मानव सभ्यता के लिए आवश्यक हैं।
जानकारी के अभाव और मानव स्वार्थ के कारण इसे लोग मार देते हैं।यह जीव अपने आप में अनेक विशेषताएं लिए पृथ्वी पर हजारों सालों से विचरण कर रहा हैं।मानव सभ्यता से पूर्व का यह जीव वर्तमान में भी इंसानों के बीच,बड़ी ही कठिनाई से अपना जीवन बचाने में लगा हैं। हिंदू समाज में सांपों को बड़ी ही धार्मिक दृष्टि से देखा जाता है,पूजा की जाती हैं और व्रत भी रखा जाता है,क्योंकि भगवान शिव के गले का हार होने के कारण इसे हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्रदान किया गया है
धार्मिक रूप से,नाग पंचमी का दिन,सांपों के लिए विशेष मान्यता प्राप्त होता हैं।इस दिन भारतवर्ष में जगह-जगह इनकी पूजा कर कुशल जीवन की मन्नत मांगी जाती हैं।आज के इस कलयुग में मनुष्य कितना स्वार्थी हो चुका हैं की जिस नाग की बड़े ही आस्था के साथ पूजा करते हैं।घरों में प्रत्यक्ष निकलने पर दिखाई देने पर उसे डंडे से मार दिया जाता हैं।इंसानों ने सांपों को अपना दुश्मन समझ लिया हैं।
इंसान ने पृथ्वी के अधिकतर भूभाग पर अपना अस्तित्व कायम करने के साथ ही,निर्माण भी किया हैं,इस निर्माण के साथ-साथ जंगलों और खेतीहर,जमीनों को समाप्त किया हैं।जिन स्थानों पर जंगली जीव,सांप निवास करते थे वहां आजकल बड़ी-बड़ी कालोनियां विकसित हो गई हैं।सांपों द्वारा आए दिन लोगों के घरों में दिखाई देने की वजह यह है कि मनुष्य द्वारा उनके निवास में अतिक्रमण करना और अंत में सांपों को भय की दृष्टि से देखना।हम इंसानों को सांपों को स्वतंत्र विचरण करने के लिए जगह देना होगी।सांप हमारे दैनिक जीवन में और दिनचर्या में शामिल हैं, जब हमारी पृथ्वी पर लाखों बीघा सिंचित भूमि पर किसान द्वारा बीज बोया जाता है,तो चूहों द्वारा उन बीज को खाकर, खेती समाप्त की जाती है, फिर उसे समय इंसानों की मदद के लिए सांपों द्वारा उन चूहों को समाप्त कर किसानों की मदद करता हैं।इस तरह प्रकृति का एक संतुलन बनाया जाता हैं।इसे हम इकोसिस्टम कहते हैं।इसी तरह सांप किसानों का मित्र कह सकते हैं।