‘नमस्ते ट्रंप’… अब मत कहना ‘हाउडी मोदी’…

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‘नमस्ते ट्रंप’… अब मत कहना ‘हाउडी मोदी’…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति के रूप में दूसरा कार्यकाल अमेरिका को दुनिया से अलग-थलग करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ट्रंप का रवैया इसी बात से समझा जा सकता है कि जो एलन मस्क अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की परछाई बनकर सामने आए थे, उस परछाई को ट्रंप ने एक झटके में समुद्र में फेंक दिया। और अगर अब देखा जाए तो शांति का नोबेल पुरस्कार पाने के लिए ट्रंप ने पूरी दुनिया को अशांत करने का बीड़ा उठा लिया है। और ट्रंप के इसी विकृत स्वभाव को भारत के संदर्भ में भी महसूस किया जा सकता है। भारत पर 25% से बढ़ाकर 50% टैरिफ करना ट्रंप की इसी विकृति का नमूना है। भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का क्रेडिट लेने के लिए मचलना ट्रंप की नोबेल पाने के लिए एक बड़ी उपलब्धि बटोरने की नाकाम कोशिश और जगहंसाई बनकर सबके सामने है। और रूस से तेल खरीदी बंद करने का फरमान सुनाना डोनाल्ड ट्रंप का नासमझी भरा रवैया ही माना जा सकता है। और शायद अब नरेंद्र मोदी को भी यह लग रहा होगा कि किस सनकी व्यक्ति को दोस्त बनाने के लिए उन्होंने अमेरिका में ‘नमस्ते ट्रंप’-‘हाउडी मोदी’ जैसे बड़े आयोजन में शिरकत की थी।

भारत की जो विदेश नीति आजादी के समय से ही रही है उसमें तटस्थता का भाव, मित्रता का भाव और अपने हितों से कोई समझौता न करने का भाव शामिल है। भारत, अमेरिका और रूस को लेकर पहले भी पूरी तरह से साफ नजरिया रखता था। उसे दौर में भी भारत ने रूस से विशेष नाता जोड़कर रखा था, तो अमेरिका से भी मधुर संबंध रखने की नीति अपनाई थी। ऐसे में यह डोनाल्ड ट्रंप का नासमझी भरा रवैया ही है कि रूस से तेल आयात के चलते उसने भारतीय व्यापार पर टैरिफ 25 से बढ़कर 50 फीसदी कर अतिरिक्त दबाव बनाने की रणनीति पर अमल किया है। और वह यह मानकर चल रहा है कि भारत ट्रंप की मांगों के आगे झुक जाएगा। ट्रंप के इस पागलपन के दौर में ही शायद भारत और रूस की दोस्ती का चरम स्वरूप देखने को मिल सकता है और तेल के अलावा महत्वपूर्ण रक्षा सौदों के रूप में भी मिल ही रहा है। और यह डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी असफलता ही है कि दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद पिछले 7 महीने में रूस और यूक्रेन युद्ध को रोक नहीं पाया है। और अब पुतिन पर जोर जबरदस्ती दिखाने की असफल कोशिश ही कर रहा है। तो उधर मध्य पूर्व में इजराइल का घर और बाहर दोनों तरफ ही विरोध तेज हो गया है। ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और तुर्की ने इजरायल पर सीधा दबाव बनाने की कोशिश की है। बहरहाल मोदी ने भी ट्रंप से फोन पर लंबी बात कर उन्हें यह जता दिया था कि भारत एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न देश है और भारत की संप्रभुता पर अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप क्या, किसी का भी दबाव नहीं चल सकता है। और आजादी के बाद भारत का इतिहास साक्षी है कि पूरी दुनिया के विरोध के बाद भारत ने सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण कर खुद को परमाणु शक्ति संपन्न देशों में शामिल कर लिया। और अमेरिका की लाख विरोध के बाद भी भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर उसे छिन्न-भिन्न कर दिया था। और तब के भारत से अब के भारत की तस्वीर लाख गुना बेहतर है। अब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अब डोनाल्ड ट्रंप के कहने से भारत की यह स्थिति बदल नहीं सकती। रक्षा, अंतरिक्ष और वैज्ञानिक शोध के मामले में भी भारत अग्रणी पंक्ति में शुमार है। ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर मूर्खता का ही परिचय दे रहे हैं।

तो फिर एक बार बात नमस्ते ट्रंप की। पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका में 22 सितंबर 2019 को आयोजित होने वाले कार्यक्रम ‘हाउडी’ मोदी में शामिल हुए थे, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शामिल हुए थे। खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में करीब 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे, जिसे पीएम मोदी ने संबोधित किया था। इस कार्यक्रम का नाम ‘हाउडी’ मोदी रखा गया। इस ‘हाउडी’ का मतलब विशेष था। ”हाउडी’ शब्द का प्रयोग ‘आप कैसे हैं?’ के लिए किया जाता है। हाउडी का मतलब होता है, हाउ डू यू डू? तो शायद यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के दूसरी बार राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप को यही कहेंगे कि हम अच्छे हैं और यह पूछने की जरूरत नहीं है कि हम कैसे हैं यानि ‘हाउडी मोदी’। और साथ ही यह भी कहेंगे कि ट्रंप अब हमारे बीच नमस्ते जैसा कोई व्यवहार नहीं बचा… अब तो बस अलग-अलग राह चलने के लिए ‘नमस्ते’, ट्रंप…।