नर्मदा लाइन हुई जर्जर, बार-बार हो रहे हैं बड़े बड़े लीकेज
दिनेश सोलंकी की रिपोर्ट
Mhow (Indore) पिछले कुछ ही महीनों में महू के सैन्य संस्थान मिलिट्री इंजीनियरिंग एंड दूरसंचार के पास रोड किनारे नर्मदा की प्रथम चरण की पुरानी मुख्य लाइन बार-बार क्षतिग्रस्त हो रही है, जिसके कारण हजारों लीटर पानी व्यर्थ में बह जाता है। गत दिवस भी इस लाइन में लीकेज हुआ जिसे सुधारने के बाद दूसरा लीकेज फिर सामने आ गया है। इसके कारण भी रिसाव जारी है।
इधर नर्मदा के चौथे चरण का काम जल्दी ही शुरू होने की संभावना है। वन विभाग की ओर से जमीन उपयोग की स्वीकृति अभी तक मिल नहीं पाई है जबकि महू आर्मी और महू कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा इसकी स्वीकृति दे दी गई है।
*अब तक तीन चरणों में इंदौर आई नर्मदा*
नर्मदा लाइन के लिए जुलूद से लेकर व्हाया महू से इंदौर तक की पाइप लाइन 3 चरणों में अब तक डल चुकी है। गौरतलब है कि नर्मदा के पानी को लेकर इंदौर में कई दिनों तक आंदोलन चला था। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रकाशचंद्र सेठी को यह श्रेय जाता है कि उन्होंने इंदौर को नर्मदा जल उपलब्ध कराने में महती भूमिका निभाई थी।
नर्मदा का पहला चरण सन में 1978 में जुलूद से इंदौर के बीच (118 किलोमीटर) तक लाया गया था। यह योजना उस समय की तकनीकी कमाल कही जाती थी। लार्सन एंड टूब्रो की इंजीनियरिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन और इंडियन ह्यूम पाइप कंपनी ने इसका ठेका लिया था। पाइप लाइन के लिए उस समय मंडलेश्वर में लोहे के पाइप बनाने और महू के बडगोंदा गाँव में सीमेंट के पाइप बनाने का कारखाना लगाया गया था। जुलूस से पाइपलाइन को निमाड़ से मालवा तक पहुंचाने में बहुत मशक्कत का काम किया गया था। कहीं से पहाड़ चढ़ाकर पाइप लाइन निकाली गई थी तो कहीं से पहाड़ काटकर लाइन इंदौर तक लाई गई थी। प्रथम चरण में निर्माण पूरा होने पर इंदौर को जनसंख्या के मान से 90 एमएलडी पानी मिलने लगा था। तहसील के वाचू पॉइंट में जुलूद से पानी महू इंदौर छोड़ने के लिए सिस्टम केंद्र लगाया गया था।
1994 में नर्मदा के दूसरा चरण में इंदौर के दूरस्थ इलाकों में पाइप लाइन बिछाई गई जिससे भी 90 एमएलडी पानी मिलने लगा था।
2010 में 360 एमएलडी पानी के लिए तीसरे चरण का कार्य शुरू हुआ था जिसमें समानांतर लाइन बिछाकर जुलूद से इंदौर तक पानी लाया गया था। यह चरण और भी आधुनिक तकनीकी से पूर्ण हुआ था।
*अब चौथा चरण होगा महत्वपूर्ण*
प्राप्त जानकारी और सूत्रों के अनुसार नर्मदा जल के लिए चौथा चरण अगले 3 साल में पूरा होने की उम्मीद है। सन 2050 तक की जनसँख्या के मान से यह परियोजना होगी जो केंद्र सरकार के अमृत 2 योजना के तहत पूरी होगी, जिसमें 2200 एमएम के पाइप डाले जाएंगे। बताया जाता है कि वन विभाग की तरफ से अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है जबकि महू से आर्मी और कैंटोनमेंट बोर्ड इसकी स्वीकृति दे चुके हैं। यह पाइप लाइन महू शहर के बाहर से पुराने किले नाके से, पुराने ए बी रोड होते हुए इंदौर ले जाई जाएगी।
*पहले चरण की लाइन जर्जर हो गई*
जलूस से इंदौर तक की पहले चरण की नर्मदा पाइप लाइन आज लगभग 50 साल योजना को क्रियान्वित करने में हो गए हैं। लेकिन पहली लाइन अब पानी का दबाव सहन नहीं कर पाती है, जैसे ही शटडाउन होता है कहीं ना कहीं से इसका लीकेज शुरू हो जाता है और यह लाइन फट भी जाती है। इंदौर नगर निगम द्वारा रामकी नामक कंपनी को लाइन के रखरखाव का ठेका दिया गया है। अब कंपनी द्वारा ही पाइपलाइन की खराबी होने पर मरम्मत कार्य को शुरू किया जाता है। हाल ही में महू के पास सेना के एमसीटीई संस्थान के पास रोड किनारे एक साथ दो लीकेज मिलने से हजारों लीटर पानी विगत दो दिनों में ही बह गया है जिसे लेकर कल रात से ही दुरुस्ती का काम चल रहा है।