National Education Policy: सर्वे में 17 वें नंबर से पांचवें नंबर पर आया MP

मुख्यमंत्री चौहान ने स्कूल शिक्षा विभाग और जनजातीय कार्य विभाग को दी बधाई

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National Education Policy: सर्वे में 17 वें नंबर से पांचवें नंबर पर आया MP

भोपाल: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के दृढ़ संकल्प के कारण एक सर्व सम्मत नई शिक्षा नीति भारत में आई है। इसके अंतर्गत ही शिक्षा व्यवस्था हो रही है। मध्य प्रदेश का स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग यह नीति अच्छी तरह लागू करने के लिए बधाई का पात्र है। मध्यप्रदेश राष्ट्रीय सर्वे में 17 वें नंबर से पांचवें नंबर तक आया है। यह दोनों विभागों के परिश्रम का परिणाम है। शिक्षकों पर भावी पीढ़ी के निर्माण का दायित्व है। नव नियुक्त शिक्षक यह दायित्व निभायें। सिर्फ नौकरी नहीं समाज को बनाने का कार्य है शिक्षण कार्य।

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सीएम निवास में नव नियुक्त शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्यमंत्री श्री चौहान और अन्य अतिथियों ने शुभारंभ किया। मध्य प्रदेश गान के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ। स्कूल शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने शाजापुर से वर्चुअल और जनजातीय कार्य मंत्री सुश्री मीना सिंह ने मंच से कार्यक्रम में प्रारंभिक संबोधन दिया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 6 शिक्षकों सुश्री शेफाली गुर्जर ग्वालियर, श्री शुभम गुप्ता भिंड, श्री राठौर राजगढ़, श्री राजेश घोटे बैतूल, सुश्री ममता गोयल देवास और श्री आनद मीना शामिल हैं।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वे स्वयं शिक्षक की भूमिका में रहे हैं।आजकल लाडली बहना योजना का पाठ पढ़ा रहे हैं। महाविद्यालय में दर्शन शास्त्र में एमए के पश्चात अल्प समय के लिए शिक्षण कार्य से अल्प समय के लिए जुड़े रहे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मध्य प्रदेश गान का निर्माण करने का भी उल्लेख किया जो प्रेरक है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि शिक्षक का कार्यकाल औसत रूप से 30 साल माने तो हमें विचार करना चाहिए कि बेहतर गुरु बनके ऐसे बच्चे तैयार करें जो जमाना बदल दें।शिक्षकों की भूमिका सार्थक होती है तो समाज भी शिक्षकों का आदर करता है उनके चरण धोकर पीता है।

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बेटियों के प्रति समानता का भाव रखना आवश्यक है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शिक्षकों से कहा यदि आपको बच्चों को सकारात्मक दिशा में बदलना है तो पहले स्वयं को बदलना होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने एक मंदिर के निर्माण में लगे 3 व्यक्तियों के अलग-अलग दृष्टिकोण का उदाहरण देते हुए कहा कि सबसे अच्छा दृष्टिकोण यह है कि इस कार्य का हमें शुभ अवसर या सुअवसर मिला है मैं बेहतर से बेहतर योगदान दूंगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बच्चे मिट्टी के लौंदे होते हैं,उन्हें शिक्षक जैसा चाहें बना सकते हैं। स्वयं के लिए गुरु बनने का संकल्प लेंगे तो बच्चों को बनाने, मध्यप्रदेश को बनाने और भारत को बनाने में सबसे बड़ा योगदान देंगे।

आप नया मध्य प्रदेश और नया भारत गढ़ सकते हैं।आचरण से ही हम सिखा सकते हैं सिर्फ भाषण से नहीं। चरित्रवान बच्चों के निर्माण से भारत बनकर खड़ा हो जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने स्वामी विवेकानंद के उस कथन का उल्लेख किया कि शिक्षा मनुष्य को मनुष्य बनाती है। शंकराचार्य जी ने भी शिक्षा को इस लोक और परलोक में भी सही दिशा देने में उपयोगी बताया था। शिक्षा के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं। सीएम ने कहा कि ज्ञान, कौशल और नागरिकता के संस्कार देना शिक्षा के उद्देश्य है।