

National Herald Case : मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED का एक्शन, राहुल, सोनिया और पित्रोदा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल!
कांग्रेस का तर्क ‘किसी राजनीतिक दल की ओर से कर्ज देना अपराध नहीं और न गैरकानूनी!’
New Delhi : प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, सोनिया गांधी और कांग्रेस ओवरसीज प्रमुख सैम पित्रोदा के खिलाफ दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट (चार्जशीट) दाखिल की है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने चार्जशीट में सुमन दुबे और अन्य लोगों का नाम भी शामिल किया है। चार्जशीट पर संज्ञान लेने की सुनवाई 25 अप्रैल को तय की गई है।
12 अप्रैल 2025 को जांच के दौरान कुर्क संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई की गई। ईडी ने दिल्ली, लखनऊ और मुंबई में 661 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियों को कब्जे में लेने के लिए नोटिस जारी किया था। इससे पहले, मंगलवार को ही सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा प्रवर्तन निदेशालय के ऑफिस पहुंचे। जहां उनसे गुरुग्राम के शिकोहपुर लैंड घोटाले में पूछताछ हुई है। इस तरह सरकार ने गांधी परिवार पर शिकंजा कस दिया है।
ईडी द्वारा राहुल, सोनिया गांधी और अन्य के खिलाफ पीएमएलए की धारा 44 और 45 के तहत शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें आरोप लगाया है कि आरोपी व्यक्तियों ने धारा 3 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया है। ईडी को निर्देश दिया कि शिकायत और संबंधित कागजों की साफ-सुथरी कॉपी और ओसीआर (रीडेबल) कॉपी अगली सुनवाई से पहले अदालत में दाखिल करें।
फिलहाल ये मामला दिल्ली स्थित राऊज एवेन्यू कोर्ट के एसीजेएम-03 अदालत में ट्रायल के तहत है। मामले की सुनवाई इस अदालत में इसलिए की जा रही है क्योंकि जब कोई मामला मनी लॉन्ड्रिंग और अपराध से जुड़ा होता है तो दोनों मामलों की सुनवाई एक ही अदालत में होनी चाहिए। चूंकि प्रस्तावित आरोपी राज्यसभा और लोकसभा के वर्तमान सांसद हैं, इसलिए यह मामला इस अदालत में सौंपा गया है। अब मामले की सुनवाई 25 अप्रैल को तय की गई है। इस दिन सरकारी वकील और जांच अधिकारी को केस डायरी के साथ अदालत में उपस्थित होना होगा।
इस मामले में कांग्रेस के तर्क
कांग्रेस का तर्क है कि साल 1937 में स्थापित नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली कंपनी, एसोशिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को लगभग 10 साल के लिए और करीब 100 किस्तों में चेक से अपनी देनदारी के भुगतान के लिए 90 करोड़ की राशि दी गई थी। इसमें से 67 करोड़ की राशि का इस्तेमाल नेशनल हेराल्ड ने अपने कर्मचारियों के भुगतान के लिए किया और बाकी पैसा बिजली बिल, किराया, भवन आदि पर खर्च किया गया।
किसी राजनीतिक दल की ओर से कर्ज देना अपराध नहीं है और न ही इसे गैरकानूनी माना जाता है। कांग्रेस का दूसरा तर्क यह है कि नेशनल हेराल्ड अखबार आय के अभाव में यह कर्ज चुकाने में सक्षम नहीं था, इसके एवज में एजेएल के शेयर यंग इंडियन को दिए गए, जो कि कानून में एक ‘नॉट फॉर प्रॉफिट’ कंपनी है।