Navratri 2025: शक्ति, भक्ति और आत्मशुद्धि का पावन पर्व

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Navratri 2025: शक्ति, भक्ति और आत्मशुद्धि का पावन पर्व

– राजेश जयंत

नवरात्रि भारतीय संस्कृति का वह अनुपम पर्व है जिसमें श्रद्धा, विश्वास और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। नौ दिनों तक माता रानी के दरबारों, मंदिरों और दुर्गा पंडालों में आस्था का सैलाब उमड़ता है। हर ओर “जय माता दी” की गूंज, दीपों की ज्योति और भक्तों का उत्साह वातावरण को दिव्य बना देता है।

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*नवरात्रि का महत्व*

नवरात्रि केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और आत्मनियंत्रण का प्रतीक है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि जीवन में शक्ति और भक्ति का संतुलन कितना आवश्यक है।

– नौ दिन तक माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना होती है।

– भक्त उपवास, एकासन, फलाहार और संयम के साथ इस पर्व को मनाते हैं।

– कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर चरण वंदन और भोजन कराया जाता है।

– इस दौरान चुनरी यात्राएं और शक्तिपीठों की यात्रा श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखती हैं।

*शक्ति की उपासना का वास्तविक संदेश*

देवी आराधना का तात्पर्य केवल पूजा-पाठ और अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है। इसका असली अर्थ है अपने जीवन में अनुशासन, पवित्रता और सकारात्मकता लाना।

यह पर्व हमें सिखाता है कि बुराइयों पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है।

शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं, जैसे राधा और सीता के बिना कृष्ण और राम का नाम आधा है।

स्त्री शक्ति का सम्मान करना ही सच्ची भक्ति और उपासना है।

*इस नवरात्रि के लिए आवश्यक संकल्प*

यदि हम सच में मां दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं तो कुछ दृढ़ संकल्प लेने होंगे-

1. नशे को त्यागें- सिगरेट, तंबाकू, गुटखा या किसी भी प्रकार का नशा केवल जीवन को नष्ट करता है। नवरात्रि से बेहतर समय नशे से दूरी बनाने का कोई और नहीं हो सकता।

2. वाणी की पवित्रता बनाए रखें- अक्सर लोग मज़ाक या गुस्से में मां-बहन के नाम पर अपशब्द कहते हैं। यह स्त्री शक्ति का अपमान है और देवी की पूजा के मूल भाव के खिलाफ है।

3. सात्विकता को अपनाएं- नौ दिन सात्विक आहार ग्रहण करने के बाद तुरंत मांसाहार पर लौट आना पर्व की आत्मा को कमजोर करता है। भोजन में संतुलन और सात्विकता जीवनभर बनी रहनी चाहिए।

4. जीव दया और करुणा का पालन करें- यही सच्ची शक्ति साधना है। दूसरों की मदद करना, दया और करुणा दिखाना देवी की आराधना का श्रेष्ठ रूप है।

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*सकारात्मक संदेश*

नवरात्रि केवल दीपों, सजावटों और दिखावे का पर्व नहीं है। यह पर्व हमें भीतर से बदलने का अवसर देता है।

इन नौ दिनों में संकल्प लेकर-

– नशा छोड़ें

– अपशब्दों से दूर रहें

– स्त्री का सम्मान करें

– सात्विक जीवन और करुणा को अपनाएं

तो यही हमारी भक्ति की सबसे बड़ी सफलता होगी।

मां दुर्गा की कृपा से हम सबके जीवन में शांति, समृद्धि और शक्ति का वास हो।

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