

Neena Gupta..Achari Ba:
१९८९ की कोई सुबह रही होगी..मुंबई, अंधेरी वेस्ट के आराम नगर वन में फिल्म्स डिवीजन में ऑफिसर रहे मेरे आदरणीय ताऊजी स्व. द्वारिका प्रसाद सक्सेना के घर के पिछवाड़े टायलेट से निकलकर.. वाश बेसिन में हाथ धोते हुए.. अचानक किसी ने टोका.. ‘एक्सक्यूज मी.. प्लीज क्लोज द टॉयलेट डोर:…
गुस्से की आवाज़ से घबरा कर पहले टॉयलेट का दरवाज़ा बंद किया.. पीछे पलटकर… सॉरी कहा..
नाक पर चढ़े गुस्से के सुपरिचित एक्सप्रेशन्स में ये थीं नकचढ़ी नीना गुप्ता.. ‘इट्स ओके’.. कहते हुए.. वो अपने किचन की तरफ से घर में … चलीं गईं…मुझे.. अपनी भूल पर.. खुद से खीझ महसूस हुई.. टॉयलेट का दरवाजा ठीक.. सटे हुए.. नीना जी के किचन की तरफ खुलता था…
आराम नगर.. नाम के मुताबिक वो एकमात्र जगह है… ‘आक्खी मुंबई’ में, आज भी..जहां मल्टी स्टोरीज बिल्डिंग से राहत और सुकून के चलते वाकई आराम और चैन महसूस होता है..
१५३ एम नामक कॉटेज में .. खपरेल नुमा छत के नीचे… ताऊजी के परिवार ने कोई चार दशक बिताये..मेरा आकर्षण था.. बहुमंजिला ईमारतों के जंजाल में.. आराम नगर… कई बार.. फ़िल्मी दुनिया के खिंचाव में यहां..पहुंचकर लम्बे दिन काटे..
पीछे के हिस्से में, आधी दीवार के उस पार… आराम नगर सेकंड है.. जहां.. कई सारे कलाकार… निर्देशक, गायक, निर्माता..अपने नसीब का जी रहे हैं… वरना.. मुंबई.. तो .. जन समुद्र.. कई दशक पहले बन चुका…
आकाशवाणी, विविध भारती में..काम कर रहीं.. ताऊजी की बेटी सुरुचि दीदी ने… मेरे अनुरोध पर मकान के पीछे… जाकर.. पड़ोसन नीना जी को आवाज लगाई..अच्छी दोस्ती जो उनकी रही..
मुझे… नीना गुप्ता से बतौर फ़िल्म पत्रकार.. इंट्रोड्यूज करवाया..

मौक़े का लाभ उठाकर.. अगले दिन १५ मिनट का वक़्त.. मांग कर..तब भी अपनी पसंदीदा.. अभिनेत्री का.. १ घंटा बर्बाद कर ही डाला..खुद की बनाई चाय भी पी… दैनिक जागरण भोपाल के रंगीन पेज पर बातचीत छाप कर… अगले टूर में फिर.. धमक गया..
और…जान पहचान तक तो … बात बना ली.. ये उन दिनों की बात है… ज़ब.. नीना… विवियन रिचर्डसन की बेटी की बिन ब्याही माँ बनकर ताजी ताजी चर्चाओं में बनी हुईं थीं.

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फिर तो..अक्सर जाना होता रहा, ज़ब तक कि ताऊजी की फेमिली.. ठाकुर विलेज़, कांदिवली शिफ्ट नहीं हो गई..
टाटा थिएटर के किसी फ़िल्म फेस्टिवल में… नीना जी की बनाई डॉक्यूमेंट्री देखी थी.. जिसमें उन्होंने.. दिल्ली के खतरनाक.. डेन्स.. इलाके पहाड़गंज की तंग गलियों के बीच.. अपने ठेठ गुप्ता बनिया परिवार के पुश्तेनी मकान में अपने जन्म.. बीते बचपन.. से लेकर.. रंगकर्म.. अभिनय प्रशिक्षण.. से लेकर.. रमण कुमार … निर्देशित ” साथ साथ'” से सिनेमा में.. डेब्यू तक की रामायण.. सुनाई- दिखाई थी..

दीप्ति नवल -फारुख शेख़ के..कॉलेज कैंपस वाले अल्हड़ रोमांस और जगजीत सिंह- चित्रा जी के गीतों गज़लों वाली ‘साथ – साथ’…में.. तरो ताज़ा.. २२ साल की चश्मिश, शर्मीली स्टूडेंट नीना बेहद.. प्यारी.. मासूम लगीं..पहली बातचीत में… पहाड़गंज.. और साथ साथ की बात आने पर.. उनके चेहरे की बदलती.. वो रंगत.. शायद मैं कभी भुला ना पाऊँ…
नीना गुप्ता की व्यक्तिगत बातों से इतर..’उत्सव’ .. से… ‘ वो छोकरी’ तक..उनके…बेबाक, बिंदास..अभिनय की क्रमशः पॉलिश्ड.. चमक.. मुझे यक़ीनन दीवाना बनाती रही…
बरसो बाद छोटे पर्दे पर..
मेरे एक और पसंदीदा.. एक्टर कंवल जीत सिंह के साथ.. ‘सांस ‘ ..में.. नीना गुप्ता के भीतर का दर्द… खुलकर.. अभिव्यक्त हुआ..
६५ से ऊपर की नीना जी.. को अमिताभ बच्चन जी के साथ’ गुड बाई’.. और ‘ऊंचाई’ में देखना सुखद लगा..
ऑटोटी पर… लगातार.. नीना जी की आधा दर्ज़न… फ़िल्में… वेब सीरीज..पंचायत… पंगा.. बधाई हो..मुल्क..मसाबा मसाबा.. वध..मस्त में रहने का.. दिल दोस्ती और डॉग.. और अभी अभी…
” अचारी बा ” में… एक और… जीवंत भूमिका में देखकर… मैंने घर बैठे नीना गुप्ता फ़िल्म फेस्टिवल.. मना लिया..
पंचायत की मुखिया.. एकदम आंचलिक.. परिवेश से… गोआ की.. बुजुर्ग.. क्रिश्चियन फेलो.. कभी ख़ालिस गुजराती.. फ्लेवर.. कभी.. यूपियाना.. मध्यवर्गीय..सर पर पल्ला रखे.. घरेलू..
यक़ीनन… वर्सटाइल… बहुअयामी सरीखे.. तमाम.. एडजक्टिव्स में.. फिट है ये..अभिनेत्री..
स्वस्थ रहें…सिंगल मदर से..सास तक.. कई सारे.. दायित्व के.. सफल निर्वहन से.. लेकर.. एक दिन.. खाली नहीं बैठकर..कितनों की प्रेरणा बनती रहें..
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