NEET-PG Counselling 2021 : सुप्रीम कोर्ट का फैसला, नीट-पीजी काउंसलिंग में OBC और EWS आरक्षण मिलेगा

मार्च के तीसरे हफ्ते में याचिका पर अंतिम सुनवाई की जाएगी

624
Long Live-in

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने आज मेडिकल स्नातकोत्तर एडमिशन (PG Admission) में EWS और OBC आरक्षण को नहीं बदला, उसे बरकरार रखा है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ ने यह फैसला सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक OBC की वैधता बरकरार रखी गई है। EWS में भी वर्तमान क्राइटेरिया बरकरार रखा गया। इससे अकादमिक सत्र के लिए एडमिशन में दिक्कत न आएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पांडेय समिति की सिफारिशों को अगले साल से लागू करने को मंजूरी देती है। पीठ ने मार्च के तीसरे हफ्ते में याचिका पर अंतिम सुनवाई करने का फैसला किया। तब पांडेय समिति की ओर से द‍िए गए EWS क्राइटेरिया की वैधता तय की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद गुरुवार को फैसला सुरक्षित रखा था। याचिकाओं में OBC के लिए 27% आरक्षण और स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए अखिल भारतीय कोटा सीटों में EWS के लिए 10% आरक्षण को चुनौती दी गई थी।

NEET के माध्यम से चयनित उम्मीदवारों में से MBBS में 15% सीटें और MS और MD पाठ्यक्रमों में 50% सीटें अखिल भारतीय कोटा के माध्यम से भरी जाती हैं।

गुरुवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि काउंसलिंग शुरू करने की इजाजत दी जाए। वहीं, याचिकाकर्ताओं ने कोटे का विरोध किया।

याचिकाकर्ता ने EWS कैटेगरी के लिए 8 लाख रुपए के क्राइटेरिया का विरोध किया और कहा कि वैकल्पिक तौर पर 2.5 लाख की लिमिट तय की जा सकती है।

अदालत में केंद्र ने कहा

केंद्र सरकार की और से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 27% OBC कोटा और 10% EWS के लिए आरक्षण दिया जा रहा है। यह जनवरी 2019 से लागू है। UPSC में भी यही कोटा दिया जा रहा है।

इस मामले में जनरल कैटेगरी को सीटों की हानि नहीं हुई, बल्कि सीटों की संख्या 25% बढ़ा दी गई है। PG Course में रिजर्वेशन के लिए कोई मनाही नहीं है।

जबकि, केंद्र सरकार ने 29 जुलाई को नोटिफिकेशन जारी कर मेडिकल कोर्स में एडमिशन के लिए आयोजित होने वाली NEET परीक्षा में ऑल इंडिया कोटा के तहत OBC को 27% और आर्थिक रूप से कमजोर स्टूडेंट को 10% आरक्षण देने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी।