
NEET-UG Exam Controversy : अंधेरे में नीट-यूजी परीक्षा विवाद पर 47 छात्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे!
New Delhi : ‘नीट-यूजी’ परीक्षा में तकनीकी गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए 47 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बुधवार सुबह करीब 4 बजे ऑनलाइन याचिका दाखिल की गई, जिसमें इंदौर के प्रभावित छात्रों ने दोबारा परीक्षा की मांग की। मामले में छात्रों की ओर से अधिवक्ता मृदुल भटनागर ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट सुनवाई की मांग की, लेकिन रजिस्ट्रार ने इसे अगले सप्ताह की सुनवाई में सूचीबद्ध कर दिया है।
भटनागर ने बताया कि 75 में से 47 छात्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। बाकी छात्रों के कोर्ट नहीं जाने के पीछे अलग-अलग कारण हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि नियमित सुनवाई होती है तो याचिकाकर्ता छात्रों के लिए अलग से काउंसलिंग की मांग की जाएगी। एक दिन पहले ही इंदौर हाईकोर्ट ने नीट यूजी परीक्षा में गड़बड़ी से प्रभावित 75 से अधिक छात्रों की दोबारा परीक्षा की याचिकाएं खारिज कर दी थीं। साथ ही नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से दायर रिट अपील को स्वीकार कर लिया गया। फैसले के दिन ही सभी याचिकाकर्ताओं को ईमेल के जरिए परिणाम भेज दिए गए थे।
विशेषज्ञों की समिति ने की थी जांच
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एनटीए ने छात्रों के विरोध को विरोधी भावना से नहीं लिया, बल्कि एक विशेषज्ञ समिति गठित कर निष्पक्ष जांच करवाई। समिति की सिफारिश के अनुसार, दोबारा परीक्षा की मांग उचित नहीं मानी गई। कोर्ट ने माना कि मामले में पुनः परीक्षा कराना जरूरी नहीं है और एनटीए की अपील स्वीकार की जाती है।
एनटीए ने अपनी सफाई दी
सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एनटीए का पक्ष रखते हुए कहा कि परीक्षा के दौरान देशभर के 22 लाख छात्रों के लिए उचित व्यवस्थाएं की गई थीं। जिन केंद्रों पर बिजली जाने की शिकायत है, वहां पावर बैकअप उपलब्ध था। वहीं, छात्रों की ओर से अधिवक्ता भटनागर ने एनटीए की रिपोर्ट को भ्रामक बताया।
उन्होंने आरोप लगाया कि एनटीए ने छात्रों से 350 करोड़ रुपये की फीस वसूली, फिर भी परीक्षा केंद्रों पर बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी केंद्र का फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं किया गया। लंबी बहस के बाद हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था और अंततः एनटीए के पक्ष में निर्णय सुनाया।





