
Neetu Mathur (IAS 2014) आलीराजपुर जिले की तीसरी महिला कलेक्टर
राजेश जयंत

ALIRAJPUR: मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में 2014 बैच की IAS अधिकारी Neetu Mathur को अलीराजपुर का नया कलेक्टर नियुक्त किया है। यह आदेश 30 सितंबर 2025 को जारी किए गए बड़े प्रशासनिक फेरबदल का हिस्सा है, जिसमें राज्य के 12 जिलों के कलेक्टर बदले गए। यहां कलेक्टर डॉ. अभय अरविंद बेडेकर को पर्यटन विकास बोर्ड भोपाल में स्थानांतरित किया गया है।
Neetu Mathur जिले की तीसरी महिला कलेक्टर होगी। जिले की पहली महिला कलेक्टर Pushplata Singh (18 जनवरी 2012 से 13 मार्च 2013) जबकि सुरभि गुप्ता (2 मई 2019 से 9 सितंबर 2021) यहां की दूसरी महिला कलेक्टर रही है
चुनौतियां अनुभव और उम्मीदें
नीतू माथुर की नियुक्ति को जिले की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनज़र चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। नीतू माथुर 2014 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और प्रशासनिक सेवा में उनका अनुभव उन्हें अलीराजपुर के चुनौतीपूर्ण माहौल में काम करने के लिए सक्षम बनाता है। गुना जिला पंचायत CEO रहते हुए कलेक्ट्रेट में आजीविका कैंटीन(जिसे प्रधानमंत्री सम्मानित कर चुके हैं), रीवा संभाग में अपर आयुक्त (राजस्व) के पद पर रहते हुए उन्होंने भूमि विवाद और राजस्व मामलों को तेजी से निपटाया और प्रशासनिक सुधारों में सक्रिय भूमिका निभाई। ग्वालियर में स्मार्ट सिटी परियोजना के दौरान अतिरिक्त प्रभार संभालते हुए उन्होंने योजनाओं का निरीक्षण खुद जाकर किया, शहर में परिवहन, सड़क और पानी की समस्याओं को स्थानीय लोगों के सामने जाकर देखा और समाधान करवाया। उनकी यह विशेषता कि वे फाइलों तक सीमित नहीं रहतीं बल्कि जमीन पर जाकर काम समझती हैं, अब अलीराजपुर जैसे संवेदनशील जिले में उन्हें बेहद लाभ पहुंचा सकती है।

अलीराजपुर जिला आदिवासी बहुल, सीमावर्ती और विकास के मामले में पिछड़ा हुआ इलाका है। यह जिला महाराष्ट्र और गुजरात की सीमा से लगा होने के कारण भौगोलिक और प्रशासनिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है। यहां शिक्षा का स्तर काफी कम है, स्कूलों की सुविधाएं सीमित हैं और बालिकाओं की पढ़ाई में पिछड़ापन देखा जाता है। उच्च शिक्षा में भागीदारी भी कम है, जिससे युवाओं का पलायन बढ़ रहा है। अधिकांश परिवार कृषि और मजदूरी पर निर्भर हैं और रोजगार के अवसर सीमित होने के कारण युवाओं का पलायन आम है। स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति भी चिंताजनक है, बच्चों और महिलाओं में कुपोषण की दर अधिक है और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सीमित है। बुनियादी ढाचे जैसे सड़क, बिजली और स्वच्छ पेयजल की कमी भी यहां के विकास में बड़ी बाधा है। इन सामाजिक और आर्थिक हालात के बीच नीतू माथुर के सामने काम करना प्रशासनिक जिम्मेदारी के साथ-साथ समाज की संवेदनाओं को समझने की चुनौती भी है।
आलीराजपुर का राजनीतिक परिदृश्य प्रशासन के लिए हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। जिले में भाजपा और कांग्रेस दोनों के प्रभावशाली परिवार सक्रिय हैं। भाजपा खेमे से कैबिनेट मंत्री नागरसिंह चौहान और उनकी पत्नी अनीता चौहान जिले में अपनी सक्रियता रखते हैं। वहीं कांग्रेस के महेश पटेल और उनकी पत्नी सेना पटेल (जोबट की विधायक और जिला अध्यक्ष) भी प्रशासन पर सीधे या अप्रत्यक्ष दबाव डालने की स्थिति में रहते हैं। ऐसे में प्रशासनिक निर्णयों में निष्पक्षता बनाए रखना और सभी पक्षों के बीच संतुलन बनाना कलेक्टर के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण है।

नीतू माथुर के सामने अलीराजपुर में कई जटिल मुद्दे हैं जिन्हें उन्हें सुलझाना होगा। कानून-व्यवस्था का पालन राजनीतिक दबाव और स्थानीय विवादों के बीच चुनौतीपूर्ण रहेगा, क्योंकि जिले में विवादों की जड़ें गहरी हैं। शिक्षा और विकास योजनाओं का कार्यान्वयन भी महत्वपूर्ण है; उन्हें स्कूलों और उच्च शिक्षा में सुधार करना होगा और योजनाओं को आदिवासी समाज की संवेदनाओं के अनुरूप लागू करना होगा। स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति सुधारने के लिए जिला प्रशासन को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य कार्यक्रमों को मजबूत करना होगा। साथ ही, बुनियादी ढांचे जैसे सड़क, बिजली और पेयजल की सुविधाओं में सुधार लाना भी जरूरी है। इन सभी मुद्दों के बीच राजनीतिक संतुलन बनाए रखना और निष्पक्ष प्रशासन सुनिश्चित करना नीतू माथुर की सबसे बड़ी चुनौती होगी।

नीतू माथुर के पिछले अनुभव और उनकी कार्यशैली यह संकेत देती हैं कि वे विकास योजनाओं को जमीन पर जाकर लागू कर सकती हैं। उनकी आदिवासी समाज के प्रति संवेदनशील दृष्टि और जनता से संवाद करने की शैली जिले में विश्वास पैदा कर सकती है। राजनीतिक दबाव के बावजूद उनका निष्पक्ष और पारदर्शी प्रशासन स्थानीय लोगों में उम्मीद जगा रहा है। लोग उनसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बेहतर प्रशासन की अपेक्षा रखते हैं।
बड़ी उम्मीदें
नीतू माथुर की नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब अलीराजपुर जिला शिक्षा, गरीबी, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा और राजनीतिक दबाव जैसी बहुआयामी चुनौतियों से जूझ रहा है। उनकी जमीन पर जाकर निरीक्षण करने और समस्याओं को समझने की शैली ही जिले में वास्तविक बदलाव और उम्मीद की किरण बन सकती है। स्थानीय नागरिक अब उनसे निष्पक्ष शासन, विकास और आदिवासी समाज के लिए संवेदनशील प्रशासन की उम्मीद लगाए बैठे हैं।





