Neglect of Tourist Places : मध्यप्रदेश पर्यटन के विज्ञापन ‘मोह लिया रे’ से कई ऐतिहासिक स्थल नदारद, कांग्रेस ने सरकार को घेरा!
Bhopal : मध्यप्रदेश के नैसर्गिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता को प्रमोट करने के उद्देश्य से प्रदेश के पर्यटन विभाग ने नया टीवी कमर्शियल बनाया है। इस विज्ञापन में उज्जैन, खजुराहो और ओरछा जैसे प्रसिद्ध स्थलों को ही दिखाया गया। इस नए विज्ञापन में प्रदेश की विश्व धरोहर स्थलों सांची, भीम बेटका, और मांडू को गायब किए जाने को लेकर नाराजगी और सवाल उठाए जा रहे हैं! पर्यटन विभाग पर राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों की अनदेखी के आरोप भी लग रहे हैं।
पिछले टीवी विज्ञापनों में सांची और भीमबेटका जैसे स्थलों को शामिल किया गया था। लेकिन, 2018 के बाद से टीवीसी ‘एमपी की माया’ से शुरू हुए इस बदलाव में ये स्थल लगातार नदारद होते जा रहे हैं। इसे लेकर यह आरोप लगाया जा रहा है कि विभाग जानबूझकर ऐसी धरोहरों को हटा रहा है, जो शायद बाजार या ब्रांडिंग के मानकों पर फिट नहीं बैठते। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने सरकार को जमकर घेरा है। नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता उमंग सिंगार ने आरोप लगाया कि इसके पीछे भी राज्य सरकार राजनीति कर रही है।
सांची की उपेक्षा क्यों
सांची के बौद्ध स्तूप जो सम्राट अशोक की धरोहर है, प्रदेश की एक ऐतिहासिक पहचान है। इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है, जो बौद्ध कला का एक अनमोल उदाहरण माना जाता है। इसके बावजूद ‘मोह लिया रे’ विज्ञापन से सांची को बाहर रखना सवाल खड़ा करता है। यह प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को नजरअंदाज करने जैसा है। इससे लगता है कि पर्यटन विभाग ने ऐतिहासिक स्थलों की अहमियत को किनारे किया गया है।
मोहन बाबू कम से कम पर्यटन के मामले में तो राजनीति में मत कीजिए !!!
पर्यटन की दृष्टि से मध्यप्रदेश के भव्य इतिहास को प्रचारित करने के लिए बने नए विज्ञापन में कई महत्वपूर्ण विश्व प्रसिद्ध धरोहर नदारद है!
सांची के स्तूप, भीम बैटका, मांडू, महेश्वर और ओंकारेश्वर जैसे कई विख्यात स्थल… pic.twitter.com/RmEIHVB1bN— Umang Singhar (@UmangSinghar) November 12, 2024
भीम बेटका के शैलचित्रों का अपमान
यहां की प्रागैतिहासिक गुफाएँ और शैलचित्र पाषाण युग के समय की अमूल्य धरोहर हैं, जो भारतीय इतिहास और मानव सभ्यता का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। लेकिन ‘मोह लिया रे” में भीमबेटका के नदारद रहने से पर्यटन विभाग की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े हुए हैं। इसे नजरअंदाज करना न प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत का अपमान है, बल्कि यह भी कहा जा रहा है कि सरकार पर्यटन को सिर्फ आर्थिक दृष्टिकोण से देख रही है।
पर्यटन विभाग ने इस मामले पर अब तक कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया, जो विभाग की असंवेदनशीलता को उजागर करता है। यह समझ से परे है कि यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त सांची और भीमबेटका जैसे स्थलों को छोड़कर विभाग ने कुछ चुनिंदा स्थलों पर ही फोकस क्यों किया है! लगता है कि सरकार और विभाग का ध्यान केवल वही पर्यटन स्थल हैं, जो लोकप्रियता या आर्थिक लाभ के मापदंडों पर फिट बैठते हैं, न कि सांस्कृतिक धरोहरों की समृद्धि पर।
इनकी उपेक्षा क्यों की गई
मांडू राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी का साक्षी है, और अफगान शैली की अद्भुत वास्तुकला का गढ़ है। लेकिन, मांडू को नवीन विज्ञापन से बाहर रखना न केवल मध्यप्रदेश की धरोहरों के प्रति एक लापरवाही का प्रतीक है, बल्कि इस पर्यटन स्थल के महत्व को कमतर आंका गया है। मांडू में हजारों पर्यटक सालाना आते हैं, और इसे विज्ञापन में न दिखाना प्रदेश के ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों के साथ न्याय नहीं करता।
नेता प्रतिपक्ष की आपत्ति
प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने राज्य के पर्यटन विभाग के इस विज्ञापन में वर्ल्ड हेरिटेज स्थलों सांची, मांडू और भीम बेटका को हटाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि क्या मध्य प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री के नक्शे से इन धरोहरों को गायब करना चाहते हैं? सिंगार ने इस पर तीखा सवाल करते हुए कहा कि इस विज्ञापन में तुरंत सुधार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि न केवल सांची और भीमबेटका, बल्कि राज्य के अन्य धरोहर स्थल, जैसे मांडू को भी पर्यटन विभाग के विज्ञापन में शामिल किया जाना चाहिए।