धरातल पर उतरे ‘नेहा’ की सोच…

307

धरातल पर उतरे ‘नेहा’ की सोच…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

21 अप्रैल 1947 को सरदार वल्‍लभभाई पटेल ने सिविल सर्वेंट्स को ‘स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया’ कहा था। उन्होंने स्वतंत्र भारत की ब्यूरोक्रेसी की नई मर्यादाएं तय की थीं। एक ऐसा सिविल सर्वेंट, जो राष्‍ट्र की सेवा को अपना सर्वोत्तम कर्तव्य माने। जो लोकतांत्रिक तरीके से प्रशासन चलाए। जो ईमानदारी से, अनुशासन से, समर्पण से भरा हुआ हो। जो देश के लक्ष्यों के लिए दिन-रात काम करे।

तो 21 अप्रैल 2025 को सिविल सर्वेंट्स डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘आज जब हम विकसित भारत बनाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं, तो सरदार वल्‍लभभाई पटेल की ये बातें और ज़्यादा प्रासंगिक हो जाती है। मैं आज सरदार साहब के विजन को नमन करता हूं। संवेदनशील रहिए, गरीब की आवाज सुनिए, गरीब की तकलीफ समझिए, उनका समाधान करना अपनी प्राथमिकता बनाइए, जैसे अतिथि देवो भव: होता है, वैसे ही नागरिक देवो भव: इस मंत्र को लेकर के हमें चलना है। आपको सिर्फ भारत के सिविल सर्वेंट्स के रूप में ही नहीं, विकसित भारत के शिल्पकार के रूप में अपने आपको दायित्व के लिए तैयार करना है।’ तो मोदी ने यह भी कहा कि ‘मैंने लाल किले से पंच प्राण की बात कही है। विकसित भारत का संकल्प, गुलामी की मानसिकता से मुक्ति, अपनी विरासत पर गर्व, एकता की शक्ति और कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाना। आप सभी इन पंच प्राणों के प्रमुख वाहक हैं।


Read More…

PM Excellence Award: सिविल सर्विस डे पर PM मोदी के हाथों सम्मानित हुई झाबुआ की कलेक्टर नेहा मीना


तो एक आईपीएस अफसर पर बनी फिल्म ‘ट्वेल्थ फेल’ में कोचिंग क्लास के टीचर के डॉयलाग को सुना,जो मेरे दिल को छू गया। टीचर क्लास में प्रवेश करते हैं तो सभी बच्चे खड़े होते हैं। बैठिए बैठिए संबोधन के साथ टीचर बोलते हैं कि ‘इस क्लास से अब तक हजार-दो हजार बच्चे सिलेक्ट हो चुके हैं। कोई आईएएस बना, कोई आईपीएस बना, कोई पीसीएस, सभी बड़े अफसर हैं। वो भी जब यहां पढ़ते थे तब आपकी तरह ही खड़े होते थे। पर सच बात यह है कि हजार-दो हजार में से मुश्किल से 10-15 ऐसे हैं, एक परसेंट मान लीजिए। जब मैं उन्हें देखता हूं तो मैं खड़ा हो जाता हूं। पता है क्यों, इसलिए क्योंकि उनको देखता हूं तो यह भरोसा होता है कि कुछ भी हो जाए उनका ईमान बिकेगा नहीं। यह भरोसा होता है कि उनके हाथ में देश और देश का संविधान सुरक्षित है। आईएएस बनना बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात यह है कि जिस कुर्सी पर आप बैठेंगे न, उससे आपकी इज्जत न हो बल्कि आपसे उस कुर्सी की इज्जत बढ़े। और फिर एक दिन आएगा, जब आप मुझसे मिलने आएंगे…आप नहीं मैं खड़ा होऊंगा उस दिन।

यह सभी कथन यह साबित करते हैं कि राष्ट्र निर्माण में ‘आईएएस’ का कितना बड़ा योगदान है। और मध्यप्रदेश में झाबुआ कलेक्टर नेहा मीना ने कुपोषण को मिटाने में प्रभावी योगदान देकर पूरे देश में नाम रोशन किया है। सिविल सर्विस दिवस पर पीएम मोदी ने मध्यप्रदेश कैडर की 2014 बैच की आईएएस नेहा मीना को सम्मानित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विभिन्न राज्यों के 16 प्रशासनिक अफसरों को सम्मानित किया। नेहा मीना को आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम के तहत उत्कृष्ट प्रशासनिक कार्य के लिए प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार 2024 के लिए चुना गया। नेहा की मोती आई पहल, जो एक सामुदायिक आधारित कुपोषण उन्मूलन मॉडल है। इस पहल से गंभीर कुपोषण की स्थिति में बदलाव आया है।

नेहा को कई अवार्ड मिल चुके हैं। 15वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर 25 जनवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नेहा मीना को बेस्ट इलेक्टोरल प्रैक्टिस अवार्ड से सम्मानित किया था। यह अवॉर्ड उन्हें लोकसभा चुनाव में मतदाता जागरुकता अभियान के तहत शुभंकर चुनावी काका-काकी के साथ किए गए नवाचार के लिए मिला था। इसके अलावा नीमच में अपर कलेक्टर रहते हुए नेहा को 18 जुलाई 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लैंड इक्वल प्लेटिनम अवार्ड से सम्मानित किया था। चोरल नदी के पुनर्जनन के लिए उन्हें साल 2020 में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से राष्ट्रीय जल पुरस्कार भी मिल चुका है।

तो समाज को लौटाने की यह कवायद चाहे ‘नेहा मीना’ करें या पुरस्कार की सूची में दर्ज न हो पाने वाले दूसरे सभी ‘सिविल सर्वेंट्स’। पर बड़ी बात यही है कि देश को अपना मानकर ईमानदारी से कर्तव्य निर्वहन कर पारदर्शी सुशासन के वाहक सभी सिविल सर्वेंट्स बनेंगे तो भारत 2047 नहीं बल्कि 2035 में ही विकसित बनकर विश्वगुरु का खिताब हासिल कर लेगा। और सरदार पटेल, प्रधानमंत्री मोदी या कोचिंग टीचर की अपेक्षाओं पर सिविल सर्वेंट्स खरे उतरकर पद का और देश का मान बढ़ाएंगे। तो नेहा ने पद का मान बढ़ाया है, वह ईमानदारी से काम करती रहें।और यही उम्मीद कि नेहा की सोच धरातल पर उतरे और पुरस्कृत होने के साथ ही उनके नवाचार से आदिवासी बाहुल्य जिला झाबुआ हमेशा के लिए कुपोषण मुक्त होकर इतिहास रचे

…।