New Chief Secretary of Punjab : पंजाब के नए मुख्य सचिव IAS केएपी सिन्हा IIT-ISM धनबाद के पूर्व छात्र रहे!
जानिए, बिहार के छोटे से गांव से निकलकर पंजाब के सीएस तक कैसे पहुंचे!
Chandigarh : केएपी सिन्हा पंजाब के नए मुख्य सचिव नियुक्त किए गए। 1992 बैच के आईएएस अधिकारी सिन्हा ने विभिन्न पदों पर रहते हुए पंजाब की सेवा की है। वे मुख्य सचिव के साथ-साथ प्रधान सचिव कार्मिक, सामान्य प्रशासन और प्रधान सचिव सतर्कता का कार्यभार भी संभालेंगे। धनबाद के 1989 बैच के आईआईटीयन सिन्हा ने अपने अल्मा मेटर से माइनिंग इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। आईएएस अधिकारी केएपी सिन्हा बिहार के रहने वाले हैं।
आईएएस केपीए सिन्हा इससे पहले विशेष मुख्य सचिव (विकास), वित्त आयुक्त (राजस्व) के रूप में कार्यरत थे। इससे पहले उन्होंने वित्त, कर, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, उच्च शिक्षा, पर्यावरण और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संसदीय मामले, सामान्य प्रशासन जैसे महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला है।
वे बठिंडा और गुरदासपुर के उपायुक्त भी रहे
केएपी सिन्हा ने भारत सरकार में विदेश मंत्रालय, उद्योग और वाणिज्य, परमाणु ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में भी सेवा दी हैं। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भी भाग लिया है। पंजाब में फील्ड पोस्टिंग के दौरान सिन्हा ने बठिंडा और गुरदासपुर के उपायुक्त के रूप में भी सेवाएं दी हैं।
बीटेक की डिग्री हासिल की
उन्होंने धनबाद के आईआईटी आईएसएम से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर, एलएलएम और बीटेक (खनन इंजीनियरिंग) की डिग्री प्राप्त की। नालंदा जिले के हिलसा प्रखंड के इंदौत गांव निवासी कुमार अनुग्रह प्रसाद सिन्हा (केएपी सिन्हा) की प्रारंभिक शिक्षा गांव के लिए सरकारी स्कूलों में हुई। केएपी सिन्हा के छोटे भाई कुमार प्रवीण शंकर अभी कोलकाता में लफार्ज सीमेंट कंपनी में काम करते हैं।
उन्होंने बताया कि उनके बड़े भाई केएपी सिन्हा ने गांव के स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद हिलसा के रामबाबू हाईस्कूल से वर्ष 1982 में मैट्रिक परीक्षा पास की। इसके बाद एसयू कॉलेज हिलसा से ही 1984 में इंटर की परीक्षा पास की। इसी दौरान इंडियन स्कूल ऑफ माइंस (आईएसएम) धनबाद में उनका चयन हुआ।
यूपीएससी की तैयारी
इंजीनियरिंग के बाद ही उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। बिना कोचिंग खुद की मेहनत की बदौलत तीसरे चांस में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। वे सबसे पहले जालंधर के एसडीएम बनाए गए। गुरदासपुर और अम्बाला के डीएम रहे। कुछ साल के लिए केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर विदेश मंत्रालय में रहे। इस दौरान राजगीर में स्थापित किया जा रहा अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में भरपूर मदद की।