New Congress President in Khandwa : मरणासन्न कांग्रेस कुशल डॉक्टर की शरण में!

वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ मुनीश मिश्रा को शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान सौंपी!

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New Congress President in Khandwa : मरणासन्न कांग्रेस कुशल डॉक्टर की शरण में!

खंडवा से जय नागड़ा की रिपोर्ट

Khandwa : जिले में कांग्रेस लम्बे समय से मरणासन्न स्थिति में थी लेकिन, अब कांग्रेस एक कुशल डॉक्टर की शरण में आ गई। लम्बे समय तक नीम – हकीमों के यहाँ इलाज़ के फ़ेर में पड़े इस संगठन को हाईकमान ने पहली बार गुटीय राजनीति से ऊपर उठाकर संगठन हित में एक अच्छा फ़ैसला लिया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ मुनीश मिश्रा को शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान सौंप दी गई। हालाँकि, डॉ मिश्रा के व्यक्तित्व के आगे यह पद बौना ज़रूर है। लेकिन, यह उनके लिए बड़ी चुनौती भी है कि इसके माध्यम से वे जिले में कैसे कांग्रेस को पुनर्जीवित करते है!

पिछले तीन दशक से खंडवा जिले में कांग्रेस ज्यादातर छोटे-बड़े चुनाव हारने के बाद राजनीति में हाशिये पर ही आ गई थी। लोकसभा से लेकर विधानसभा तक, नगरीय निकायों से लेकर पंचायतों तक कुछ अपवादों को छोड़ दें, तो कांग्रेस पराजय का ही मुंह देखती रही। हालात यह बन गए कि आज़ादी के बाद लम्बे समय तक कांग्रेस के अजेय गढ़ में गुटीय राजनीति की ऐसी दीमक लगी कि यह पता ही नहीं चला कि यह भाजपा के गढ़ में तब्दील हो गया। जिस खंडवा में कांग्रेस के नेता प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते थे वह अपने ही शहर के प्रतिनिधित्व के लिए दूसरे जिलों का मोहताज़ हो गया।

खंडवा ने कभी मध्यप्रदेश को भगवंतराव मंडलोई के रूप में मुख्यमंत्री दिया उसकी यह हालत हो गई कि कालीचरण सकरगाए के बाद कोई स्थानीय सांसद तक नहीं मिला। आपसी खींचतान में कांग्रेस की राजनीति इतनी कमज़ोर हो गई, कि कभी इसकी बागड़ोर बुरहानपुर तो कभी खरगोन के हाथो चली गई। लम्बे समय तक खंडवा की राजनीति में कोई स्थानीय चेहरा इतना प्रभावशाली नहीं बन सका जो यहां की कमान स्वत्रंत रूप से थाम पाता।

हर चुनाव में पराजय के पीछे सबसे बड़ी कमज़ोरी थी यहाँ का संगठनात्मक ढांचा, जिसके चलते यहाँ चुनाव में सारा दारोमदार सिर्फ प्रत्याशी और उसके परिजनों पर आ जाता, संगठन की उसमें कोई भूमिका नहीं रहती। जबकि, इसके ठीक उलट भाजपा में संगठन हमेशा से मज़बूत और सक्रिय रहा जिसकी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। कांग्रेस ने पहली बार संगठन को लेकर गंभीरता दिखाई है जिससे लगता है कि वह आगामी चुनाव के लिए गंभीर है।

खंडवा में गुटीय विवादों के चलते यहाँ संगठन के पदों पर नियुक्ति नहीं हो पा रही थी। दो माह पहले ग्रामीण जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मनोज भरतकर एवं शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मोहन ढाकसे की नियुक्ति हुई। लेकिन, कांग्रेसजनो के भारी विरोध के चलते इन्हे होल्ड पर रख दिया गया था।

ये दोनों पदों पर पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद अरुण यादव की अनुशंसा पर नियुक्तियां हुई थी। मनोज भरतकर पर कांग्रेसजनो का आरोप था कि वे भाजपा नेताओं के ज़्यादा करीब रहे है और कांग्रेस में उनकी कोई भूमिका ही नहीं रही है इसी तरह मोहन ढाकसे ग्रामीण पृष्ठभूमि से है जिन्हे शहर कांग्रेस के कार्यकर्ता स्वीकार नहीं कर पा रहे थे।

दरअसल अरुण यादव के खंडवा से सांसद बनने और फिर प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से यहाँ उनके समर्थकों का दबदबा बढ़ गया था। स्थानीय नेता हाशिए पर आ गए थे। स्थानीय कांग्रेस नेताओं का एक बड़ा तबका उनसे नाराज़ था जिसमे सुलह के कोई गंभीर प्रयास पार्टी हाईकमान ने भी नहीं किए। हाल ही के लोकसभा उपचुनाव में अरुण यादव के बजाए कांग्रेस ने स्थानीय नेता के तौर पर राजनारायण सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया तो हाशिये पर खड़े नेताओ को अपने स्वतन्त्र अस्तित्व का एहसास हुआ, इधर अरुण यादव की भी खंडवा में पकड़ ढीली हुई।

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कड़वी दवाईयां पिलानी होंगी
अब शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद पर डॉ मुनीश मिश्रा की नियुक्ति से पार्टी ने स्पष्ट संकेत दे दिए है कि स्थानीय नेतृत्व को दरकिनार नहीं किया जायेगा। पेशे से ईएनटी विशेषज्ञ डॉ मुनीश मिश्रा कांग्रेस के पुराने परिवारों से आते है। उनके पिता स्व गंगाचरण मिश्रा लम्बे समय तक खंडवा से विधायक रहे है। डॉ मिश्रा भी कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी रहे, लेकिन चुनाव नहीं जीत सके। डॉ मिश्रा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भी क़रीबी माने जाते है।

डॉ मिश्रा के व्यक्तित्व के मान से शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद बौना है लेकिन पार्टी के शीर्षस्थ नेताओं के आग्रह को वे नहीं टाल सके। अब उनके सामने बड़ी चुनौती है मरणासन्न अवस्था में पहुँच चुके संगठन में प्राण फूंकना। सभी गुटों के नेताओं के बीच तालमेल बनाकर संगठन को मज़बूत करना। इसके लिए उन्हें जहाँ कुछ कड़वी दवाईयां पिलानी होंगी तो कुछ कड़वे घूंट भी पीने को तैयार रहना होगा।