New Governor in Rajasthan: राजस्थान के नए राज्यपाल ने आदिवासी क्षेत्रों में सहकारिता आंदोलन पर फोकस करने की बात कर अपनी दूरदर्शी सोच दर्शाई 

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New Governor in Rajasthan: राजस्थान के नए राज्यपाल ने आदिवासी क्षेत्रों में सहकारिता आंदोलन पर फोकस करने की बात कर अपनी दूरदर्शी सोच दर्शाई 

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट 

राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ लेने के बाद प्रदेश के नए राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागड़े ने अपनी पहली प्रेस वार्ता में एक बात का विशेष रूप से उल्लेख किया और कहा कि जनजातीय क्षेत्र में सहकारिता आंदोलन कैसे गति पकड़े, इस पर उनका फोकस रहेगा। राज्यपाल महाराष्ट्र से हैं और महाराष्ट्र एवं गुजरात में सहकारिता आंदोलन की सफलता से हर कोई परिचित है और इसकी बुलंदियों की शोहरत पूरी दुनियां में फैली हुई हैं। देश में श्वेत क्रांति का श्रेय भी सहकारिता आंदोलन को ही जाता है। राजस्थान भी दूध उत्पादन के मामले अग्रणी प्रदेश है और कहा जाता है कि देश की राजधानी दिल्ली को राजस्थान से ही सर्वाधिक दूध की आपूर्ति की जाती है।

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राजस्थान के नए राज्यपाल ने आदिवासी क्षेत्रों में सहकारिता आंदोलन को गति देने पर फोकस रखने की बात रख अपनी दूरदर्शी सोच दर्शायी है। दक्षिणी राजस्थान के गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से लगे आदिवासी अंचल में इससे पलायन की प्रवृत्ति पर अंकुश लग सकता है और यहां के युवा स्वरोजगार की ओर आकर्षित हो सकते हैं। इस अंचल से हर साल रोजगार के लिए हजारों लोग निकटवर्ती प्रदेशों की ओर जाने को मजबूर है। इसी कारण अंचल में पिछले वर्षों से असंतोष और अलगाववादी प्रवृत्तियां भी बढ़ती जा रही है। यहां राजनीतिक रूप से भी भील प्रदेश की मांग जोर पकड़ती जा रही है। इन आदिवासी अंचलों में यदि सहकारिता आंदीदान सच्चे अर्थों में साकार होता है तो यहां विकास के लिहाज से मील का एक नया पत्थर स्थापित किया जा सकता है।

 

भारत के संविधान में राष्ट्रपति को जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए सीधे जिम्मेदार बनाया गया है और राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि होने के कारण इस जिम्मेदारी को निभाते है। आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए सहकारिता को अपनाने का राज्यपाल का विजन उनकी दूरदर्शी सोच को दर्शाता है जो उन्होंने राजस्थान कदम रखते ही उद्घोषित किया है। प्रदेश के आदिवासी इलाकों में डेयरी उद्योग, मत्स्य पालन ,शहद उत्पादन, वन उपज आदि कई क्षेत्रों को सहकारिता से जोड़ कर आदिवासियों के सर्वांगीण विकास की बुनियाद रखी जा सकती है। मत्स्य पालन के लिए इस अंचल में माही बजाज सागर, सोम कागदर, जाखम और जयसमंद जैसे बड़े बांध मौजूद है। राज्यपाल ने शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बताया है जोकि आदिवासी क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से बहुत कारगर साबित हो सकती है।

 

प्रेस वार्ता में राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि मेरा प्रयास रहेगा कि राजस्थान सभी क्षेत्रों में आगे बढ़े । उन्होंने कहा कि राजस्थान के बजट में कृषि को महत्वपूर्ण स्थान मिला है। सहकारिता बढ़ानी है तो अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। सहकारिता का लाभ रेगिस्तान प्रधान पूरे प्रदेश को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि व्यवसाय के लिए राजस्थान और महाराष्ट्र मिलकर काम करें ऐसा मेरा प्रयास रहेगा।

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राज्यपाल ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मेरी पहली प्राथमिकता है।उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में शिक्षा की अव्यवस्था को दूर करने का प्रयास करेंगे। जो भी गलती होगी या जान बूझ कर गलती की जाएगी, उन्हें नहीं छोड़ा जाएगा। नई शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में उद्यमिता को बढ़ाने वाले को कोर्स को प्रोत्साहन दिया जाएगा। प्रदेश में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का समय पर क्रियान्वयन कराया जाएगा। साथ ही शिक्षा को कौशल विकास से जोड़ने का प्रयास भी रहेगा। हम राजस्थान को सभी क्षेत्रों में अग्रसर बनाएंगे। साथ ही संविधान के लिए कलराज मिश्र के कार्यों को आगे बढ़ाएंगे।

राज्यपाल का मत है कि विश्वविद्यालय में छात्रों की बौद्धिक क्षमता बढ़ाने की जरूरत है।राजस्थान विश्वविद्यालय पूरे विश्व में रैंकिंग में आगे रहे और राजस्थान में सभी विश्विद्यालय ऊंचाई पर जाए यह प्राथमिकता रहेगी। ओलंपिक में मां भारती का नाम हो इसके लिए खिलाड़ियों को सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में काम करूंगा।

उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी का राज्यपाल का दायित्व देने के लिए आभार जताया और कहा कि मैं अपने दायित्व का पूरी निष्ठा से निर्वहन करूंगा। राज्यपाल के रूप में भारत माता के लिए कार्य करूंगा। उन्होंने राजस्थान के गौरवशाली इतिहास का जिक्र करते हुए इस भूमि को त्याग और बलिदान की प्रेरणादायी धरती बताया।

उल्लेखनीय हैं कि हरिभाऊ किशनराव बागड़े महाराष्ट्र के बेहद साधारण परिवार से आते है। उन्होंने अपनी आजीविका चलाने के लिए सालों तक औरंगाबाद के फुलंब्री में अखबार बेचा। उनकी मिलनसारिता और लोकप्रियता देख भाजपा ने बागड़े को 1985 में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया और वे पहली बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे। चार बार विधायक रहे बागड़े ने विधानसभा स्पीकर का पद भी संभाला । उन्होंने महाराष्ट्र में रोजगार मंत्री के रूप में भी बेहतर कार्य किया। एक समय बागड़े की गिनती गोपीनाथ मुंडे के करीबियों में होती थी। हरिभाऊ ने गोपीनाथ मुंडे के साथ मराठवाड़ा में बीजेपी के लिए काम किया।

राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े का जन्म 17 अगस्त 1945 को हुआ। उनका जन्म महाराष्ट्र के औरंगाबाद के चित्तेपिंपळगांव में हुआ। अपनी सादगी और मृदुभाषी के रूप में हरिभाऊ बागड़े की एक अलग ही पहचान रही है। हरिभाऊ बागड़े 6 बार विधायक रहे हैं। वे पहली बार 1985 में औरंगाबाद पूर्व से विधायक बने थे। इसके बाद वे 1985, 1990, 1995 और 1999 में औरंगाबाद पूर्व से विधायक चुने गए । जबकि फुलंब्री विधानसभा से 2014 और 2019 में विधायक का चुनाव जीता। उन्होंने 2019 में कांग्रेस के कल्याण काले को 1 लाख से अधिक वोटों से हराया था।स्वच्छ छवि वाले हरिभाऊ ने हमेशा खुद से ज्यादा काम को तवज्जो दी ।

महाराष्ट्र में सादगी और कर्मठ नेता के रूप में हरिभाऊ की एक अलग पहचान है। वे जबरदस्त जनसंपर्क वाले और अपने क्षेत्र के लोगों में खासे लोकप्रिय है। सफेद कुर्ता, धोती और सिर पर गांधी टोपी हरिभाऊ बागड़े की पहचान है। हरिभाऊ 13 साल की उम्र में आर एस एस से जुड़े थे। 1965 से 1969 तक उन्होंने संघ के मुखपत्र साप्ताहिक ‘विवेक’ में काम किया। वे 1967 से 1972 तक औरंगाबाद में जनसंघ के लिए कार्यकर्ता के रूप में समर्पित हुए। आपातकाल के वक्त भी आर एस एस और जनसंघ के नेताओं की खूब मदद की। साथ ही पत्रकार के रूप में आपातकाल की रोज की खबरें भी जनता तक पहुंचाते थे। ऐसे में धीरे-धीरे अपने क्षेत्र की जनता में हरिभाऊ खासे लोकप्रिय हुए। हरिभाऊ बागड़े ने अपने क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में ‘दूध सोसायटी’ की भी स्थापना की। चीनी मिल में क्षेत्र के लोगों को रोजगार दिलाने का भी काम बखूबी किया. हरिभाऊ देवगिरी नागरी सहकारी को-ऑपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष भी रह चुके है।

राजस्थान के नए राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े गुरुवार से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की चार दिवसीय पर भी आ रहें है। जाहिर है वे अपनी नई दिल्ली यात्रा में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू,उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी,केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय नेताओं से मिलेंगे।

देखना है आने वाले समय में राजस्थान के राज्यपाल के रूप में हरिभाऊ किशनराव बागड़े का कार्यकाल राजस्थान को सहकारिता और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में कितनी बुलंदियों तक ले जाएगा?