New Identity Campaign: दुखियों और बेसहाराओं का मददगार बन रहा ‘नई पहचान अभियान’

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रतलाम से रमेश सोनी की विशेष रिपोर्ट

Ratlam MP: शहर में चल रहा एक अभियान उन दिन दुखियों, अस्वस्थ, असहाय लोगों और मानसिक रोगियों का सहारा बन रहा है जो अपने घर से भटककर खाने तक को मोहताज हैं। इन्हें न तो खाने की सुध है न नहाने की। ऐसे लोगों का सहारा बनकर उभरा है कुछ समाजसेवियों का दल। इनका ध्येय है, ऐसे लोगों को सेवा करना जो जीवन में किसी कारण से परेशान होकर इधर-उधर भागते फिरते हैं।

सृष्टि समाज सेवा समिति की कार्यकारी अध्यक्ष दिव्या श्रीवास्तव एवं सांई राज ग्रुप के युवाओं ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ माह पहले शुरू किए गए ‘नई पहचान अभियान’ के बाद से हमें कई सूचनाएं मिल रही है। जैसे परिवार के लोगों ने बुजुर्गों को प्रताड़ित करके घर से निकाल दिया हो, बीमारियों से पीड़ित अचेत अवस्था में पड़े लोगों की सूचना मिलते ही हम उन्हें जिला अस्पताल पहुंचाकर असहायों को मदद करते हैं।

साथ ही ऐसे व्यक्ति जो कि गार्डन, सड़क किनारे पर तनावग्रस्त अवस्था में दिख रहे है, उन्हें अपनत्व से प्यार से उनके बारे में जानकारी एकत्र की जाकर जिनके घर परिवार हैं, उनके फोन नम्बर लेकर बात करवाई जाती है। पारिवारिक झगड़े या अन्य कोई भी कारण से यहां वहां भटक रहे हैं, उन्हें समझाइश देकर अपने परिवार के साथ हंसी खुशी जीवन यापन कर सकें, ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें काफी सफलता भी मिल रही है। इस सेवा कार्य अभियान में सृष्टि समाज सेवा समिति सदस्य सतीश टाक, पूजा व्यास, काजल टाक, सांई राज ग्रुप के चिंटू भाई, महेंद्र जारवाल, कुलदीप सिंह, सैनिक भूपेंद्र सिंह वाघेला सेवा कार्य में सहयोग देते हैं।

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दिव्या ने बताया कि शहर में आपकों कोई भी असहाय जरूरतमंद व्यक्ति दिखे तो हेल्पलाइन हैलो तेजस्वी 90094 70706 या हमारी टीम के आशीष सिंह के मोबाइल नंबर 9340955534 पर सूचित कर सकते हैं।

संस्था के माध्यम से मदद

बंटी चौहान जो कई महीनों से सामाजिक संस्था मानव सेवा समिति ब्लड बैंक के बाहर बरामदे में रह रहे हैं। वे बीमारी से सन् 2011 ग्रसित हैं। उनका पूरा शरीर कंपन करता है। उन्हें पार्किंसन बीमारी है। उनसे बात करके परिजनों का मोबाइल नंबर लेकर बात की और उन्हें आश्रम भिजवाने की सहमति ली।

भोपाल के मुकेश वर्मा परिजनों के तानों से तंग आकर कालिका माता उद्यान में रह रहे थे। वे करीब डेढ़ वर्ष से यहीं रहकर मजदूरी कर रहे हैं। बड़े भाई है जो कि भोपाल में होटल मैनेजर है। बहुत समय से उनकी घरवालों से बात भी नहीं हो पाई। तब टीम के कार्यकर्ताओं ने नंबर लेकर अपने फोन से बात करवाई तो पता चला मुकेश के तनाव में उनके माता का निधन हो गया। उन्होंने भोपाल जाने की बात कहकर युवाओं को धन्यवाद कहा।

गुलशन शाह ने कहा कि 25 सालों से भिक्षावृत्ति कर रहे हैं। अगर आप कोई छोटी दुकान खुलवा दें, तो मैं अपना गुजारा कर लूंगा। इसी प्रकार से उज्जैन, छत्तीसगढ़, इंदौर सहित विभिन्न जिलों के व्यक्ति किसी न किसी वजह से अपना जीवन खुले आसमान के नीचे यापन कर रहें हैं, उन्हें टीम के सदस्यों की सहायता से उनके ठिकानों पर या महफूज व्यवस्था करना ही हमारा प्रयास है।