Night Culture : शहर की छवि बार-संस्कृति से बिगड़ रही, ‘ताई’ की आपत्ति
Indore : शहर में बढ़ रही नशाखोरी, ड्रग्स का उपयोग, पब संस्कृति शहर के लिए नासूर बन गई है। स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी रात में घूमकर नशा करते है। इन सभी पर योजनाबद्ध तरीके से काम कर अंकुश लगाने की जरूरत है। छात्रों के बेवजह सड़क पर घूमने, नशा करने के मामले में स्कूल-कॉलेज व होस्टल संचालकों की जवाबदेही भी तय करना जरूरी है।
बढ़ती नशाखोरी से खराब हो रही शहर की छवि को लेकर पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन (ताई), समाजसेवी जनक पलटा, कांग्रेसी नेत्री शोभा ओझा, अर्चना जायसवाल ने पुलिस कमिश्नर व अन्य अधिकारियों से मिलकर अपनी चिंता जताई। पूर्व स्पीकर ने चर्चा करते हुए अफसरों को बताया कि उनके घर के सामने देर रात वाहन में लोग आते है, युवतियां घूमती है। शहर के लिए यह ठीक नहीं है।
सभी ने अफसरों से कहा कि रात में नशा कर युवक-युवतियां घूमते है, आपस में विवाद करते है। कॉलेज के छात्र की स्कूली बच्चे भी नजर आ जाते है। परिजन पढ़ने भेजते है और यहां होस्टल अथवा पेइंग गेस्ट के रूप में रहते है बच्चे नशा खोरी में शामिल हो जाते है, ड्रग्स लेते है। बार संस्कृति शहर को बिगाड़ रही है। ड्रग्स व बार संस्कृति पर लगाम की जरूरत है। अफसरों से मांग की गई कि स्कूल-कॉलेज, हॉस्टल वालों की जिम्मेदारी तय की जाए। होस्टल, पेइंग गेस्ट रहने वाले सभी बच्चों का भी रिकॉर्ड संबंधित थाने में होना चाहिए। बीआरटीएस को रात के समय खोलने की भी समीक्षा होना चाहिए, देखना चाहिए कि किस तरह के लोग वहां घूम रहे है।
नशे की डिमांड खत्म की जाएगी
पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र के मुताबिक, चर्चा नशा खोरी व होस्टल के बच्चों को समझाइश देने को लेकर हुई। पुलिस योजनाबद्ध तरीके से काम करेगी। हाल ही में बड़ी संख्या में नशा बेचने वाले पकड़े गए है। नशा की डिमांड खत्म करने की योजना पर भी काम होगा। नशा करने वाले लोगों की काउंसलिंग की जाएगी, जिन्हें इलाज की जरूरत है उन्हें नशा मुक्ति केंद्र में भेजा जाएगा।
बेवजह घूमने वालों के पालकों को फोन करेंगे
सरकारी नशा मुक्ति केंद्र की मांग भी रखी जा रही है। पब-बारों को तय समय पर बंद कराया जाएगा, अवैध शराब बेचने वाले जेल भेजे जाएंगे। रात के समय स्कूल-कॉलेज के बच्चों के बेवजह सड़क पर घूमने के मामले में भी पुलिस सख्ती करेगी। बच्चों से रात में घूमने पर सवाल पूछे जाएंगे। जरूरत पड़ी तो उनके पालकों को फोन कर बच्चों के बारे में बताया जाएगा ताकि अभिभावकों को भी हरकत पता चले। स्कूल-कॉलेज व होस्टल प्रबंधन की भी बैठक लेकर उन्हें भी बच्चों पर ध्यान देने के लिए ताकीद किया जाएगा।