नितिन अग्रवाल बने उप्र विस के डिप्टी स्पीकर, क्रासवोटिंग से भाजपा चिंतित

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नितिन अग्रवाल

लखनऊ से रामेन्द्र सिन्हा की विशेष रिपोर्ट

लखनऊ। सपा के बागी नेता नितिन अग्रवाल बम्पर अंतर से उप्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर चुन तो लिए गए लेकिन आशंका है कि भाजपा, सपा-बसपा के कई विधायकों ने क्रासवोटिंग की है।

विधानसभा परिसर के भीतर बैलेट पेपर के जरिए सोमवार को हुई वोटिंग में भाजपा उम्मीदवार नितिन अग्रवाल को 304 वोट मिले तो वहीं सपा उम्मीदवार नरेंद्र वर्मा को केवल 60 वोट मिले।
समाजवादी पार्टी को मिले 60 वोटों ने सत्तारुढ़ खेमे में चिंताएं बढ़ा दी हैं।

अगर विधानसभा की गणित समझें तो तस्वीर कुछ हद तक साफ हो सकती है। इस चुनाव में सपा के नरेंद्र वर्मा 244 वोट से हार जरूर गए लेकिन सपा जिसके 49 विधायक थे, उसे 60 विधायकों का समर्थन मिल गया। इसमें कितने बसपा के बागी विधायक थे और कितने भाजपाई विधायकों ने सपा का साथ देना जरूरी समझा, यह अहम सवाल है।

भाजपा के 304 और उसके सहयोगी अपना दल के 9 विधायक हैं। इसके अलावा उसे 3 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है। कांग्रेस व बसपा के कुछ वोट भी भाजपा के पक्ष में जाने की बात आ रही है। इस तरह भाजपा को 316 से ज्यादा वोट मिलना चाहिए थे लेकिन उसे 304 वोट ही मिले।

समाजवादी पार्टी का दावा है कि वह सत्तारुढ़ पार्टी के विधायकों में सेंध लगाने में कामयाब रही है। दूसरी ओर सत्तारुढ़ दल का कहना है कि सपा विपक्ष को एकजुट करने में नाकाम रही वर्ना उसके पास पूरे विपक्ष के 78 वोट होने चाहिए थे। वहीं कांग्रेस व बसपा के कुछ विधायकों के भाजपा और सपा में मतदान करने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

नितिन अग्रवाल सात बार के विधायक नरेश अग्रवाल के बेटे हैं। नितिन ने साल 2017 में सपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। बाद में सपा में अनबन हो जाने के बाद दोनों बीजेपी के खेमे में हैं। साल 2007 में नरेश अग्रवाल के सपा से इस्तीफा देने के बाद 2008 के उपचुनाव में नितिन अग्रवाल बसपा की टिकट पर हरदोई सीट से पहली बार मैदान में उतरे और जीत हासिल की। नितिन अग्रवाल इसके बाद पिता के साथ सपा में शामिल हो गए और 2012 का चुनाव सपा से लड़ा और जीते भी। सपा सरकार में उन्हें स्वास्थ्य राज्यमंत्री और बाद में लघु उद्योग विकास में स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री भी बनाया गया था।

डिप्टी स्पीकर के चुनाव पर नजर डालें तो सपा विधायक नितिन अग्रवाल तो भाजपा के साथ थे ही। सपा विधायक शिवपाल गैरहाजिर थे। सपा के हरिओम भी भाजपा के साथ हैं। चुनाव का कांग्रेस और बसपा ने बहिष्कार किया था, लेकिन कांग्रेस के बागी राकेश सिंह व आदिति सिंह भी भाजपा के साथ आ गए। सीतापुर सदर के भाजपा विधायक राकेश राठौर भी सपा के साथ पहले ही आ चुके हैं। अपना दल के भी एक विधायक सपा के साथ हैं। सपा प्रत्याशी नरेंद्र वर्मा ने कहा कि हम लोग तो वास्तव में 46 थे। हमें तो नतीजा पता था लेकिन हम लोग 60 हो गए और आपकी नीयत का पर्दाफाश भी कर दिया। दो दर्जन से ज्यादा विधायक वोट डालने नहीं आए।