NMC’s Action on Medical Colleges : इंदौर के दो मेडिकल कॉलेज ‘इंडेक्स’ और ‘सेवाकुंज’ की 300 सीटें NMC ने हटाई!

355

NMC’s Action on Medical Colleges : इंदौर के दो मेडिकल कॉलेज ‘इंडेक्स’ और ‘सेवाकुंज’ की 300 सीटें NMC ने हटाई!

कार्रवाई को पिछले दिनों हुए सीबीआई के छापे से जोड़कर देखा जा रहा!

Indore : यहां के एक मेडिकल कॉलेज ‘इंडेक्स मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर’ की सभी 250 सीटें हटा दी गई। नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने शनिवार को नीट की फर्स्ट काउंसिलिंग के लिए जो शेड्यूल और कॉलेज की लिस्ट जारी की यह कार्रवाई उसके तहत की गई। इसमें इंदौर के दो मेडिकल कॉलेजों की 300 सीटें हटाने का फैसला किया गया।

‘इंडेक्स’ के लिए यह जीरो ईयर होगा। वहीं, एलएनसीटी कॉलेज और सेवाकुंज हॉस्पिटल की 150 में से 50 सीटें कम की गई हैं। कार्रवाई को पिछले दिनों हुए सीबीआई के छापे से जोड़कर देखा जा रहा है। यह पहली बार है, जब किसी एजेंसी की कार्रवाई के बाद एमसीआई ने वहां की सभी सीटें शून्य घोषित कर दी। कुछ वर्ष पहले एक कॉलेज के लिए भी जीरो ईयर घोषित किया गया था, पर छात्र कोर्ट चले गए थे तो अन्य मेडिकल कॉलेज में उनकी पढ़ाई का इंतजाम किया गया था।

सालाना मान्यता के नवीनीकरण को लेकर सीबीआई ने पिछले दिनों मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के 40 से ज्यादा संस्थानों पर कार्रवाई की थी। इन पर मान्यता रिन्यू कराने में फर्जीवाड़े का आरोप है। मामले में 35 से ज्यादा लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। सीबीआई अभी मामले की जांच कर रही है। इस बीच 19 जुलाई को एनएमसी ने एमबीबीएस की सीटों पर काउंसिलिंग के फर्स्ट राउंड के लिए देशभर के कॉलेजों की सूची जारी की है। एक्सपर्ट का मानना है कि पहली ही काउंसिलिंग में जिन कॉलेजों की सीटें कम की गई हैं तो आगे भी उन्हें जोड़ना संभव नहीं है। बाकी के राउंड में सिर्फ सीट अपग्रेड होती हैं, नई सीटें नहीं जोड़ी जाती हैं। इस विषय में दोनों ही कॉलेज प्रबंधन चुप हैं।

स्टेट और नेशनल की आधी-आधी सीटें

राज्यों की मेडिकल परीक्षाएं बंद होने के बाद से नीट में राज्य और नेशनल कोटे की 50–50 फीसदी सीटें कर दी गई हैं। काउंसलिंग मेरिट के आधार पर होती हैं। आधी सीटें राज्य की मेरिट के आधार पर और बाकी नेशनल मेरिट के आधार पर भरी जाती हैं। मप्र में एकदम 300 सीटें कम होने से स्टेट और नेशनल दोनों ही तरह के छात्रों को खासा नुकसान उठाना पड़ेगा।

फर्जी फेस रिक्गनाइजेशन एप

एनएमसी ने सभी टीचर्स के लिए फेस रिक्गनाइजेशन सिस्टम लागू किया है। इसके तहत माना गया था कि टीचर्स को कॉलेज आना ही पड़ेगा, लेकिन कुछ कंपनियों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। एक कंपनी मात्र सात हजार रुपए में ऐसा मोबाइल उपलब्ध करा रही है, जिसके आधार पर टीचर्स घर बैठे अटेंडेंस लगा रहे हैं। मेडिकल काउंसिल ने जब थम्ब इम्प्रेशन अनिवार्य किया, तो कई कॉलेजों ने टीचर्स के थम्ब स्कैन कर अटेंडेंस लगाना शुरू कर दिया। कई टीचर्स आधी तनख्वाह में केवल नाम के लिए रोल पर रहते हैं ताकि प्रोफाइल बनी रहे और आगे सरकारी कॉलेज में मौका मिल सके।
इसके अलावा मरीजों के लिए तय मापदंडों के अनुसार मेडिकल कॉलेज के अस्पताल की 80% बेड फुल होने चाहिए। हकीकत में यह संभव नहीं होता। ऐसे में कई मेडिकल कॉलेज वोटर लिस्ट से नाम उठाकर 12 रु. में मरीज की फर्जी फाइल तैयार कर लेते हैं। सीबीआई ने अपनी जांच में इंडेक्स समेत कई कॉलेजों में ऐसी गड़बड़ी पायी थी।