No Female Fiefdom : सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘महिला किसी की जागीर नहीं!’
New Delhi : सिक्किम की एक महिला को आयकर अधिनियम के तहत छूट से बाहर रखे जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए शुक्रवार को बेहद तीखी टिप्पणी की। सिक्किम की महिला को आयकर अधिनियम के तहत छूट से बाहर रखे जाने को SC ने ‘भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक’ बताया। कोर्ट ने कहा कि क्योंकि महिला ने 1 अप्रैल 2008 के बाद एक गैर-सिक्किम व्यक्ति से शादी की थी, महज इसलिए उसे आयकर अधिनियम के तहत छूट से बाहर रखा जाए, ये भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि महिला किसी की जागीर नहीं है। उसकी खुद की एक पहचान है। इसलिए सिक्किम की महिला को इस तरह की छूट से बाहर करने का कोई औचित्य नहीं है। पीठ ने कहा कि इसके अलावा, यह कदम स्पष्ट रूप से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 से प्रभावित है। भेदभाव लैंगिक आधार पर है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है।
पीठ ने कहा कि ‘इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि सिक्किम के किसी व्यक्ति के लिए यह अपात्र होने का आधार नहीं हो सकता कि यदि वह एक अप्रैल, 2008 के बाद एक गैर-सिक्किम व्यक्ति से शादी करता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एसोसिएशन ऑफ ओल्ड सेटलर्स ऑफ सिक्किम’ और अन्य द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 (26एएए) को रद्द करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर दिया।
कोर्ट ने कहा ‘मनमाना और भेदभावपूर्ण’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2008 के बाद एक गैर-सिक्किम व्यक्ति से शादी करने वाली सिक्किम की महिला को आयकर अधिनियम की धारा 10 (26एएए) के तहत छूट के लाभ से वंचित करना‘मनमाना, भेदभावपूर्ण और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 15 धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को रोकने के लिए है, और अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का प्रावधान है।