*मनावर से स्वप्निल शर्मा की रिपोर्ट*
Manawar (Dhar) : दुनिया के कई देशों में विलुप्त हो चुके विशाल आकार के जानवर डायनासोर के जीवाश्म मिले हैं। धार जिले के जीराबाद से लगाकर बाग एक के इलाके में भी डायनासोर के अंडों के जीवाश्म (Fossils of Dinosaur Eggs) मिले थे। ऐसे जीवाश्म अकसर मिलते रहते हैं। प्रशासन ने इन्हें सहेजने के लिए यहाँ व्यवस्था भी कर दी थी।
हाल ही में पुरातत्व विभाग ने बड़वानी जिले के सेंधवा के निकट वरला ग्राम क्षेत्र में डायनासोर के अंडे मिलने का दावा (Claim of finding Dinosaur eggs in Varla village area) किया है। लगभग साठ सत्तर किलो वजनी छह अंडों के जीवाश्म पाए जाने का पुरातत्व विभाग ने जो दावा किया था। लेकिन, उसे जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Geological Survey of India) के अधिकारी ने और जीवाश्म विशेषज्ञ (Paleontologist) ने पुरातत्व विभाग के दावे को खारिज कर दिया।
GSI के अधिकारी का कहना है कि ये डायनासोर के अंडों के जीवाश्म नहीं (No fossils of Dinosaur Eggs) बल्कि ज्वालामुखी के लावे के मैग्मा के ठंडा होने के बाद जो संरचनाएं बनती है, यह गोलाकार अंडे जैसे पिंड उनमें से ही एक है। यह परतदार है। इनके ऊपर की परतें कमजोर और अंदर की कठोर होती है। इस प्रकार की संरचनाएं धरती के बेसाल्टिक मुरूम वाले क्षेत्रों में ही पाए जाती है। लेकिन, ये डायनासोर के अंडों के जीवाश्म नहीं है।
धार जिले में जीवाश्म की खोज करने वाले विशेषज्ञ विशाल वर्मा ने भी मिले अवशेष देखने के बाद बताया कि ये डायनासोर के अंडो के जीवाश्म नहीं है। धार जिले में सबसे पहले विशाल वर्मा ने ही डायनासोर के अंडों और विभिन्न समुद्री जीवाश्मों की खोज की थी। धार के तत्कालीन कलेक्टर राजेश राजौरा (Collector Rajesh Rajoura) ने इस खोज से प्रभावित होकर बाग और मांडू में डायनासोर का म्यूजियम (Dinosaur Museum in Bagh and Mandu) बनाने की योजना बनाई थी, जो आज मूर्त रूप ले चुकी है। यहाँ खोजे गए डायनासोर के अंडों के जीवाश्म सुरक्षित (Dinosaur egg fossils safe) रखे हैं। इसके बाद ही विश्व के कई जीवाश्म वैज्ञानिकों ने बाग और जीराबाद क्षेत्र का दौरा कर यहां इन जीवाश्मों की खोज का प्रयास किया था।