No Kidney Transplant Facility : सुपर स्पेशलिटी में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बाहर से डॉक्टर बुलाया!

अस्पताल की स्थापना को दो साल हो गए, सुविधाएं अभी भी नहीं!

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No Kidney Transplant Facility : सुपर स्पेशलिटी में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बाहर से डॉक्टर बुलाया!

Indore : ब्यावरा की 60 साल की एक महिला ने अपने 38 साल के बेटे को किडनी देकर उसकी जान बचा ली। एमजीएम के अधीन सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में यह ऑपरेशन किया गया जो सफल रहा। लेकिन, इस अस्पताल की स्थापना के दो साल बाद भी यहां किडनी ट्रांसप्लांट के विशेषज्ञ नहीं होने से निजी अस्पताल से डॉक्टरों को बुलाया गया
बच्चे के लिए दुनिया में मां से बड़ा कोई योद्धा नहीं होता। यह बात सहीं भी है, क्योंकि एक मां अपने बच्चों के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है। बचपन से उसे कमाने योग्य बनाने तक ही मां अपना फर्ज नहीं निभाती, बल्कि जब तक वह जीवित रहती है, अपना सबकुछ अपने बच्चों पर न्यौछावर कर देती है। यह किडनी ट्रांसप्लांट शासकीय अस्पताल में 26 अक्टूबर को हुआ।

मां ने बताया कि जब मुझे पता चला कि मैं अपने बच्चे को कि़डनी दे सकती हूं, तो मैंने एक पल भी नहीं सोचा कि मुझे क्या होगा। क्योंकि, मेरे लिए अपने बच्चों से बढ़कर कुछ नहीं है। समाज के कई लोगों ने बोला कि इस उम्र में कि़डनी देना सहीं नहीं है। लेकिन, मैंने किसी कि एक नहीं सुनी। क्योंकि मेरे बेटे के भी छोटे बच्चे हैं। अभी मां और बेटा दोनों स्वस्थ है। मरीज ने बताया कि मेरी डेढ़ साल से तबीयत खराब है। डायलिसिस भी करवाया, लेकिन फिर बंद कर दिया।

हमें परिचित डाक्टर ने ट्रांसप्लांट के बारें में बताया हमने घर पर बात कि तो मां तैयार हुई। उन्होंने कहा मैं अपनी कि़डनी दान करूंगी। इसके बाद आयुष्मान से आपरेशन हुआ, अब मैं स्वस्थ हूं। डॉक्टरों ने बताया कि किडनी का आपरेशन लेप्रोस्कोपिक पद्धति से किया गया, जिस कारण किडनी देने वाले व्यक्ति को कम समस्या का सामना करना पड़ता है। आने वाले समय में भी उन्हें किडनी की वजह से कोई भी समस्या नहीं होगी।

निजी अस्पताल से डॉक्टर बुलवाया
एमजीएम के अधीन सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की स्थापना वर्ष 2020 में हुई थी। यहां कई स्पेशिएलिस्ट डाक्टरों की भी भर्ती की गई, जिनकी लाखों में सैलरी है। लेकिन, दो साल बाद भी यहां किडनी ट्रांसप्लांट के लिए निजी अस्पताल से डॉक्टरों को बुलवाना पड़ा। इस अस्पताल की स्थापना ही ट्रांसप्लांट जैसे मरीजों के इलाज के लिए हुई थी। यहां कई स्पेशिएलिस्ट होने के बावजूद भी मरीजों को जिस तरह का इलाज देने का वादा किया था, वह नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण यह सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल ही नहीं बन पाया।