No Mid Day Meal Testing : मध्याह्न भोजन की न तो टेस्टिंग और न सैंपल रिपोर्ट!

हजारों छात्र जो भोजन खाते हैं, उसकी जिम्मेदारी जिसकी, वही लापरवाह!

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No Mid Day Meal Testing : मध्याह्न भोजन की न तो टेस्टिंग और न सैंपल रिपोर्ट!

Indore : सरकार की महत्वाकांक्षी ‘पीएम पोषण आहार योजना’ में नौकरशाहों की लापरवाही साफ़ नजर आती है। जिस पोषण आहार (मध्याह्न भोजन) को जिले के प्राथमिक स्कूलों के हजारों छात्र खाते हैं, उसकी सैंपल रिपोर्ट भी तैयार नहीं की जाती। जिला पंचायत का ही कोई अधिकारी या स्कूल का टीचर उसे टेस्ट तक नहीं करता है।

सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जब इस भोजन की सैंपल रिपोर्ट मांगी गई तो जिला पंचायत इंदौर कार्यालय द्वारा यह लिखित में दिया गया कि पीएम पोषण आहार की कोई सैंपल रिपोर्ट तैयार नहीं की जाती है। ऐसे में सरकार जिस पीएम पोषण आहार (मध्याह्न भोजन) योजना पर लाखों रुपए लोकधन हर महीने खर्च कर रही है, उसी सरकार के अधिकारी उस योजना की मॉनिटरिंग में लापरवाही कर रहे हैं। जानकारी अनुसार जिले के प्राथमिक स्कूलों के छात्रों को पीएम पोषण आहार योजना के तहत बांटे जाने वाले मध्याह्न भोजन के घटिया और खराब होने की शिकायतें मिलती रहती हैं। समाचार पत्रों में भी खबरें प्रकाशित होती रहती हैं, लेकिन जिम्मेदार जिला पंचायत अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।

लापरवाही का आलम तो यह है कि जिन सरकारी स्कूलों में गरीब छात्रों को पीएम पोषण आहार योजना के तहत भोजन बांटा जाता है न तो उन स्कूलों का टीचिंग स्टाफ ही इसे टेस्ट करता है और न इस भोजन की कोई सैंपल रिपोर्ट तैयार की जाती है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जब भोजन की सैंपल पासिंग रिपोर्ट की कॉपी मांगी गई तो मिली जानकारी में बताया गया कि ‘पीएम पोषण आहार योजना’ के तहत छात्रों को बांटे जाने वाले भोजन की सैंपल तैयार नहीं की जाती। ऐसे में स्कूली छात्रों को बांटे जाने वाले मध्याह्न भोजन की क्वालिटी क्या होगी यह एक गंभीर और चिंतनीय है।

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एनजीओ बांटते हैं भोजन
अधिकारियों के अनुसार प्राथमिक स्कूलों में छात्रों को पीएम पोषण आहार योजना के तहत बांटा जाने वाला भोजन तैयार करके जिले के स्वयं सहायता समूहों द्वारा बांटा जाता है। एक स्वयं सहायता समूह 10 स्कूलों के छात्रों को भोजन बांटता है। कुछ समय पूर्व ऐसे ही मामले में एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया था, जिसमें यह सामने आया था कि छात्र इतना घटिया क्वालिटी का मध्याह्न भोजन खाते ही नहीं बल्कि डस्टबिन में डाल देते हैं। इससे लाखों रुपए का लोकधन सरकारी अधिकारियों की लापरवाही की वजह से हर महीने बर्बाद हो रहा है।

कोई कार्रवाई नहीं की गई
घटिया और गंदा मध्याह्न स्कूली छात्रों को दिए जाने की ख़बरें सामने आने के बाद भी जिम्मेदार जिला पंचायत अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। अगर ऐसे घटिया भोजन से कोई छात्र बीमार होता है तो उसका जिम्मेदार कौन अधिकारी होगा। मामले में जिला पंचायत अधिकारियों का पक्ष जानने के लिए जिला पंचायत सीईओ वंदना शर्मा को उनके मोबाइल नंबर पर कॉल किया, लेकिन उन्होंने हमेशा की ही तरह फोन रिसीव नहीं किया।