

No Rate List on Liquor Shops : इंदौर की शराब दुकानों से रेट लिस्ट नदारद, सहायक आबकारी आयुक्त ने कहा ‘जल्द लगवाएंगे!’
इंदौर से गोविंद राठौर की खास रिपोर्ट
Indore : प्रदेश के आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने आदेश जारी किया था कि 1 अप्रैल से प्रदेश की सभी देशी शराब दुकानों पर रेट सूची लगाई जाएगी। उन्होंने हर शराब बोतल की कीमत भी तय कर दी थी। उनके इस आदेश का मकसद दुकानों पर ज्यादा कीमत लिए जाने की शिकायतों पर अंकुश लगाना है। लेकिन, नए ठेके की दुकानों को खुले 15 दिन हो गए, पर अभी भी जिले की दुकानों पर रेट लिस्ट नहीं लगी। इस बारे में जब सहायक आबकारी आयुक्त (इंदौर) से पूछा गया तो उनका कहना था कि मुझे भी यह जानकारी मिली है, आज सीएम ड्यूटी के बाद में कंट्रोलर से इस बारे में बात करूंगा।
आबकारी आयुक्त के निर्देश की इंदौर में खुलेआम अनदेखी की जा रही। जिले के सहायक आबकारी आयुक्त अभिषेक तिवारी की लापरवाही के चलते अब तक कई शराब दुकानों पर यह सूची नहीं लगाई गई। इसका नतीजा ये हुआ कि उपभोक्ताओं को मनमाने दामों पर शराब खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। 1 अप्रैल से अभी तक शराब दुकानों पर रेट लिस्ट नहीं लगे होने से उपभोक्ताओं को देशी शराब की असली कीमत का पता नहीं होता और उसे दुकानदारों की मनमानी कीमत चुकाना पड़ती है। कहा जा रहा कि ऐसी स्थिति में दुकानदारों ने लाखों रुपए की अवैध कमाई की है।
आबकारी विभाग द्वारा जारी की गई सूची में देशी शराब की विभिन्न कैटेगरी प्लेन, मसाला, कांच और पेट (प्लास्टिक) के दाम स्पष्ट रूप से तय किए गए हैं। इस सूची को सार्वजनिक करने का उद्देश्य गरीब और निम्न आय वर्ग के उपभोक्ताओं को ठगी से बचाना है। इसके बावजूद इंदौर जिले में न तो सूची लगी है और न खरीददारों को सही दाम बताए जा रहे।
शराब खरीदने वाले ग्राहकों ने बताया कि 75 रुपये वाली शराब 100 रुपए में और 100 रुपए वाली बोतल 120 रुपए तक बेची जा रही है। कई बार ठेकेदार खुले पैसे न होने का बहाना बनाकर अधिक राशि वसूलते हैं। उदाहरण के तौर पर मसाला पैट (180 एमएल) का अधिकतम मूल्य 106 रुपए है, लेकिन यह 120-130 रुपये तक में बेची जा रही है। इसी तरह प्लेन पैट (90 एमएल) की अधिकतम कीमत 43 रुपए है, वह 60-70 रुपए में ग्राहकों को दी जा रही।
आबकारी विभाग ने जिला प्रशासन को भी निर्देशित किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सभी दुकानों पर रेट लिस्ट स्पष्ट रूप से चस्पा की जाए और उसकी नियमित निगरानी भी की जाए। लेकिन, फिलहाल इंदौर में इस आदेश का क्रियान्वयन होते नहीं दिख रहा। आखिर सहायक आबकारी आयुक्त इस कार्य को गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे? उपभोक्ताओं की ओर से यह मांग भी उठ रही है कि रेट लिस्ट को दुकानों पर केवल चिपकाया न जाए, बल्कि दीवारों पर स्थायी रूप से पेंट कर दिया जाए, ताकि कोई उसे फाड़ न सके या छेड़छाड़ न कर सके।