Nobel Peace Prize : नोबेल शांति पुरस्कार के लिए हर्ष मंदर को नामित किया गया
पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो (Peace Research Institute Oslo) के निदेशकों ने नोबेल शांति पुरस्कार समिति को अपनी व्यक्तिगत सिफारिशें दी है। भारतीय मानवाधिकार एक्टिविस्ट और पूर्व IAS हर्ष मंदर के नेतृत्व वाले संगठन ‘कारवां-ए-मोहब्बत’ ने इस सूची में जगह बनाई है। पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की समिति के वर्तमान निदेशक हेनरिक उरदल ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा।
भारत में हिंदू-मुस्लिम सद्भाव के लिए लंबे समय से काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता और भूतपूर्व IAS हर्ष मंदर का नाम ‘नोबेल शांति पुरस्कार ओस्लो’ के लिए नामित किया। यह जानकारी ब्लूमबर्ग ने दी।
हर्ष मंदर के अलावा भारत में ऑल्ट न्यूज़ (फैक्ट चेक) नाम की न्यूज़ वेबसाइट के संस्थापक मोहम्मद जुबेर और प्रतीक सिन्हा का नाम भी इस पुरस्कार के लिए सुझाया है। ‘ऑल्ट न्यूज़’ झूठी खबरों का भंडाफोड़ करने वाली एक प्रतिष्ठित और विश्वसनीय वेबसाइट है। हर्ष मंदर भारत में सांप्रदायिक नफरत को ख़त्म करने के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं।
हर्ष मंदर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में IAS अफसर रहे हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में कलेक्टर रहने दौरान काफी काम किया। इस इलाके के आदिवासियों में आज भी हर्ष मंदर के कामकाज की यादें मौजूद है। वे छत्तीसगढ़ के भी कुछ जिलों में कलेक्टर रहे हैं।
प्रस्तावित नामों (और संगठनों) की सूची में ‘धार्मिक उग्रवाद से लड़ने और अंतर्धार्मिक संवाद को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देने’ में उनके योगदान का ध्यान रखा गया। इसमें हर्ष मंदर का संगठन भी शामिल हैं। पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो (Peace Research Institute Oslo) के नामांकन को सम्मानजनक माना जाता है। लेकिन, इस संस्थान और उसके निदेशक का नोबेल संस्थान या नॉर्वेजियन नोबेल समिति से कोई संबंध नहीं है और अंतिम निर्णय पर इसका कोई असर नहीं होता। पुरस्कार विजेता की घोषणा अक्टूबर में की जाएगी। उरदल का नोबेल संस्थान या नॉर्वेजियन नोबेल समिति से कोई संबंध नहीं है।
हर्ष मंदर, ‘कारवां-ए-मोहब्बत’ और ऑल्ट न्यूज़
‘द क्विंट’ की खबर के अनुसार, उरदल के आधिकारिक बयान में कहा गया कि नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने के पीछे एक सम्मोहक तर्क, धार्मिक उग्रवाद से लड़ना और अंतर्धार्मिक संवाद को बढ़ावा देना है। इसलिए इस पुरस्कार के योग्य प्राप्तकर्ता हर्ष मंदर अपने अभियान ‘कारवाने मोहब्बत’ के ज़रिए चुने जाते हैं।
उरदल ने कहा कि महात्मा गांधी की छवि से सजी भारत में धार्मिक सहिष्णुता और बहुलवाद की गौरवपूर्ण परंपरा रही है।
उन्होंने आगे कहा हर्ष मंदर ‘धार्मिक सहिष्णुता और संवाद’ और उनके अभियान ‘कारवां-ए-मोहब्बत’ के लिए एक महत्वपूर्ण आवाज है, जो ‘अंतरधार्मिक संघर्ष और हिंसा का विरोध करने वालों’ के लिए एक महत्वपूर्ण रैली बिंदु है। ‘कारवां-ए-मोहब्बत’ एक अभियान है, जिसे 2017 में घृणा अपराधों के पीड़ितों के समर्थन और एकजुटता दिखाने के लिए शुरू किया गया था। हर्ष मंदर नई दिल्ली में सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज के निदेशक भी हैं।