Notice On Suicide : आदिवासी बहनों की आत्महत्या पर जनजाति आयोग ने नोटिस दिया

कलेक्टर और एसपी से तीन दिन में जवाब माँगा

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Khandwa : जिले के जवार थाना क्षेत्र के ग्राम कोटघट में 27 जुलाई को तीन सगी आदिवासी बहनों के शव पेड़ पर लटके मिले थे। इस मामले में संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes) ने जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से जवाब तलब किया हैं। आयोग ने कहा है कि एसपी और कलेक्टर इस मामले में 3 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट आयोग को स्वयं या प्रतिनिधि के माध्यम से दे। अगर रिपोर्ट तय समय पर नहीं दी गई, तो आयोग अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सकता हैं।

खंडवा कलेक्टर अनूप कुमार ने बताया कि अभी उनकी जानकारी में नहीं है कि (National Commission for Scheduled Tribes) द्वारा कोई नोटिस जारी किया गया हैं। उन्होंने कहा कि अगर नोटिस आया तो उसका तय समय समय सीमा में जवाब दिया जाएगा। मामला पूरी तरह से आत्महत्या का है जिसकी जाँच खंडवा पुलिस द्वारा कर ली गई हैं।
ग्राम कोटघट में आदिवासी समाज की तीन सगी बहनों के शव 26-27 जुलाई की रात खेत में नीम के पेड़ पर लटके मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई थी। इसे लेकर तरह-तरह के सवाल उठने लगे थे। पुलिस की शुरुआती जाँच में इसे आत्महत्या का मामला माना गया था। पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौप दिया था। पुलिस ने इस मामले में बारीकी से तफ़्सीर की। एक कॉन्फ्रेंस कर पुलिस अधीक्षक ने बताया था कि यह मामला पूरी तरह से आत्महत्या का हैं। खंडवा पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह के मुताबिक भी इस मामले का खुलासा हो गया।

उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले कोटाघाट में रात को तीन सगी बहनों सोनू, सावित्री और ललिता ने एक साथ फांसी लगा ली थी। बड़ी बहन सावित्री कुछ ही दिन पहले मायके आई हुई थी। जावर पुलिस ने मामला दर्ज किया और जांच शुरू की। सोनू के मोबाइल की कॉल डिटेल्स और व्हाट्सएप मैसेज खंगाले गए और उससे यह पता चला कि भाभी से तीनों बहनों का विवाद चल रहा था। भाभी ने गेहूं पर ताला लगा दिया था, इस वजह से तीनों ने एक साथ फांसी लगा ली। भाभी न तो गेहूं देती थी न खेत पर काम करने जाने देती थी, इससे वे सभी परेशान थी।

इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि इस घटना के पीछे अलग-अलग कारण सामने आ रहे हैं। निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। वहीं सरकार की तरफ से वन मंत्री विजय शाह ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी। उन्हें हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया था।