अब नक्सलियों से पूछताछ कर हथियार और विस्फोटक बरामद करने चलाया जा रहा अभियान, छत्तीसगढ़ से सटे जंगलों में हो रही सर्चिंग

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अब नक्सलियों से पूछताछ कर हथियार और विस्फोटक बरामद करने चलाया जा रहा अभियान, छत्तीसगढ़ से सटे जंगलों में हो रही सर्चिंग

भोपाल: प्रदेश में बालाघाट, मंडला और डिंडौरी में नक्सल गतिविधियों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए पुलिस और सुरक्षा बलों ने सघन अभियान शुरू कर दिया है। प्रशासन ने स्पष्ट संदेश दिया है कि बालाघाट की जमीन पर एक बार फिर लाल आतंक को पनपने नहीं दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ सीमा से सटे संवेदनशील इलाकों में विशेष चौकसी बरती जा रही है और जंगलों में लगातार तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। गौरतलब है कि हाल ही में मध्य प्रदेश पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो गया है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार नक्सलियों के संभावित ठिकानों, डंप साइट्स और मूवमेंट रूट्स पर विशेष नजर रखी जा रही है। हालिया अभियान के दौरान जंगल क्षेत्र से नक्सलियों द्वारा छिपाकर रखी गई सामग्री बरामद की गई है, जिसमें दैनिक उपयोग की वस्तुएं, बर्तन, सोलर पैनल, दवाइयांऔर अन्य सामान शामिल हैं। इस सामग्री को मौके पर ही नष्ट कर दिया गया। फोकस प्वाइंट के तौर पर अब छत्तीसगढ़ सीमा से लगे दुर्गम जंगल, नक्सली ठिकानों की पहचान, स्थानीय नेटवर्क को तोड़ना और चौबीसों घंटे निगरानी को प्राथमिकता दी गई है।

बताया जाता है कि यह अभियान केवल तलाशी तक सीमित नहीं है, बल्कि नक्सल नेटवर्क की पूरी तरह से कमर तोड़ने की रणनीति के तहत चलाया जा रहा है। स्थानीय स्तर पर नक्सलियों को मिलने वाले सहयोग को खत्म करने के लिए भी ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। संदिग्ध आवाजाही, नए चेहरों और असामान्य गतिविधियों पर गांव स्तर तक सूचना तंत्र को सक्रिय किया गया है। ग्रामीणों से अपील की गई है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस को दें, साथ ही सूचना देने वालों की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी।

जिले में पुलिस, विशेष बल और खुफिया एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया गया है। संयुक्त कार्रवाई के तहत लगातार गश्त, एरिया डोमिनेशन और तकनीकी निगरानी की जा रही है। ड्रोन और आधुनिक उपकरणों की मदद से दुर्गम इलाकों पर भी नजर रखी जा रही है, ताकि नक्सलियों की किसी भी साजिश को समय रहते नाकाम किया जा सके।

इधर नक्सल प्रभावित रहे क्षेत्रों में सुरक्षा के साथ-साथ विकास कार्यों को भी गति दी जाएगी। सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं को मजबूत कर ग्रामीणों को मुख्यधारा से जोड़ने पर जोर है। अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षा और विकास के समानांतर प्रयासों से ही नक्सल समस्या का स्थायी समाधान संभव है।