अब ‘अक्षय’ रह ‘कांति’ बिखेरेगा ‘बम’…!
अभी-अभी ‘आशिक के जनाजे’ की बात चल ही रही थी कि इंदौर में बम का तेज धमाका हो गया। वैसे तो कहा जाता है कि राजनेताओं पर आपराधिक और गैर आपराधिक मामले कितने भी दर्ज हो जाएं, पर इनसे असली नेता की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। उसकी निष्ठा और आस्था को डिगाया तो जा सकता है, पर बहुत आसानी से नहीं। पर इंदौर में तो ऐसा लग रहा है कि 307 के जाल में फंसकर ‘क्षय’ होने से बेहतर ‘बम’ ने यही फैसला किया कि नामांकन फार्म वापस लेकर ‘अक्षय’ ही रहा जाए। जिस तरह 17 साल पुराना ‘जिन्न’ बोतल से निकला है, उसी तरह बोतल में वापस कैद हो जाएगा। वैसे ‘जिन्न’ भी ‘अक्षय’ को ‘क्षय’ करने के लिए नहीं निकला था। उसका लक्ष्य भी ‘बम’ का ‘दम’ निकालकर अपने हित को साधना था। सो हित सधा और ‘अक्षय’ को भी फिलहाल तो जीवनदान मिल गया। पर ‘बम’ का हाल छिंदवाड़ा के मेयर विक्रम अहाके जैसा न हो। विक्रम अहाके ने छिंदवाड़ा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था। पर मतदान की तारीख 19 अप्रैल से पहले आत्मा ने उन्हें इतना कचोटा कि कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ को वोट देने की अपील वह छिंदवाड़ा के मतदाताओं से करते नजर आए।
अब अक्षय के साथ तो ऐसा संभव नहीं है कि भाजपा में शामिल होने के बाद भी इंदौर में मतदान की तारीख 13 मई के पहले उनकी आत्मा कचोटने लगे और वह वीडियो जारी कर नामांकन फार्म वापस लेने की कथा सुनाकर ऐसा रुदन करने लगें कि शंकर भी तिलमिलाकर लाल होने को मजबूर हो जाएं। इंदौर में 13 मई को मतदान के तीन दिन पहले 10 मई को इस बार अक्षय तृतीया भी है। जिस दिन कोई भी काम करने के लिए मुहूर्त शुभ है। एक दल से दूसरे दल में जाने में या घर वापसी में भी कोई हर्ज नहीं है। पर विक्रम अहाके आदिवासी क्षेत्र से आते हैं सो उनकी आत्मा और महानगर से जुड़े अक्षय बम की आत्मा में जमीन-आसमान का फासला है सो अक्षय को लेकर गलतफहमी पालने का कोई मतलब नहीं है। अक्षय अब भाजपा से मोहभंग करने में कोई जल्दबाजी नहीं करेंगे। अक्षय तृतीया पर भाजपा ‘बम’ के अपने दल में ‘अक्षय’ रहने की कामना जरूर करेगी।
वैसे हम आपको बता दें कि ‘अक्षय’ का अर्थ है जो अविनाशी हो, क्षय रहित हो, अनश्वर हो, अनंत हो, शाश्वत हो। अक्षय, यानि जिसका क्षय न हो, धूमिल न हो, कभी नष्ट न हो। तो इस मामले में देखा जाए तो फिलहाल अक्षय की छवि तो धूमिल होती दिख रही है। पर यह धूमिल छवि कब चमक मार दे, यह फिलहाल कह पाना आसान नहीं है। वैसे ब्रह्मा जी के पुत्र का नाम भी ‘अक्षय कुमार’ था। इनका अवतरण अक्षय तृतीया को ही हुआ था। तो अक्षय कुमार रावण का सबसे छोटा पुत्र था। उसकी वीरता देवों के समान थी। वह अपने पिता रावण की आज्ञा से आठ घोड़ों वाले, कनकमय रथ पर सवार होकर हनुमानजी से लड़ने गया था। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में इस प्रसंग को बहुत ही अद्वितीय तरीके से वर्णित किया है। उन्हीं के शब्दों में, ‘जिस रथ पर अक्षय कुमार बैठा है वह उसे तप के बल से प्राप्त हुआ था। यह रथ सोने का बना था। हनुमानजी को देखकर गुस्से से अक्षय कुमार की आंखें लाल हो गईं। अक्षय ने हनुमानजी पर कई बाण छोड़े। हनुमानजी अक्षय की वीरता देखकर प्रसन्न थे। दोनों के बीच घमासान युद्ध होता है। हनुमान जी अक्षय के शौर्य को देखकर विस्मित थे। उन्हें दुःख था, कि ऐसे वीर का उन्हें वध करना पड़ेगा। पर जब अक्षय का बल बढ़ता जा रहा था, तब हनुमानजी ने अक्षय कुमार को मारने का निर्णय कर लिया। वह वायु की तेज गति से उसके कनकमय रथ पर कूदे और रथ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। दोनों के बीच द्वंद युद्ध हुआ और अंततः अक्षय कुमार मृत्यु के मुख में समा गया।’
अब इंदौर के मामले में अक्षय कुमार कौन है, यह सबको पता है। यह भी सबको पता है कि कांग्रेस का अक्षय से मोहभंग नहीं हुआ था। और कांग्रेस से अक्षय को क्षय करने वाले हनुमान की भूमिका कैलाश विजयवर्गीय ने बखूबी निभाई है। तो कैलाश ने अपने हनुमान रमेश मेंदोला के साथ इस काम को बखूबी अंजाम दिया है। फिलहाल कांग्रेस समर्थकों में बम के इस धमाके के प्रति असंतोष की लहर है, तो भाजपा खेमे में इस अक्षय उपलब्धि से हर्ष व्याप्त है। कैलाश विजयवर्गीय ने एक्स पर अक्षय कांति बम की तस्वीर के साथ लिखा, ”इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम जी का माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी में स्वागत है।” अक्षय की कांति में भाजपा के शंकर लालवानी को किसी तरह की चुनौती इंदौर में नहीं मिलेगी। और इंदौर 2024 में सांसद को मध्यप्रदेश में सबसे बड़ी जीत का तोहफा देने को अब तैयार है। इंदौर लोकसभा क्षेत्र में मध्यप्रदेश में सर्वाधिक करीब 25 लाख मतदाता हैं। यहां 60 फीसदी मतदान भी कमाल दिखा सकता है। अक्षय की यह कांति कब तक अपनी छटा बिखेरेगी, नहीं कहा जा सकता है। पर अब सबकी निगाहें जीतू पटवारी पर हैं। तो फिलहाल माना जा सकता है कि अब ‘क्षय’ की गुंजाइश नहीं बची, ‘बम’ के ‘अक्षय’ रहकर कांति बिखेरने के रास्ते खुल गए हैं…।