राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी
अभी तो बहुत बारीक पीस रही है अमित शाह की चक्की
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भले ही जे.पी. नड्डा हों, लेकिन पार्टी के नेताओं में खौफ तो गृहमंत्री अमित शाह का ही है। यह शाह के आंखे तरेरने का ही असर है कि मध्यप्रदेश भाजपा ने एकदम गति पकड़ ली है। पिछले दिनों अपने भोपाल प्रवास के दौरान शाह ने एक नहीं अनेक मुद्दों पर मध्यप्रदेश के दिग्गज भाजपा नेताओं के सामने तीखे तेवर दिखाए थे।
शाह के पास जो फीडबैक था, उसके आधार पर उन्होंने एक के बाद एक कई सवाल दागे और जब संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो फटकारने में भी पीछे नहीं रहे। शाह की बात पर गौर करें तो मध्यप्रदेश में भाजपा चुनावी तैयारियों के मामले में अभी अप-टू-द मार्क नहीं है। देखते हैं आगे क्या होता है।
आखिर छलक ही गया ताई का दर्द
इंदौर से आठ बार सांसद रही सुमित्रा महाजन सार्वजनिक तौर पर कम ही टीका-टिप्पणी करती हैं, लेकिन जब भी बोलती हैं, चर्चा में आ जाती हैं। पिछले दिनों वे रेलवे के एक कार्यक्रम में शामिले होने सांसद शंकर लालवानी के साथ पहुंची थी। कार्यक्रम के बाद जब वे मीडिया से मुखातिब हुईं तो राजनीति में परिवारवाद का विषय भी चर्चा में आ गया।
ताई पहले तो सुनती रही, लेकिन जब बेटे मिलिंद महाजन के टिकट का मुद्दा उठा तो तपाक से बोली मैं तो सालों पहले भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव थी, चाहती तो तब ही बेटे को टिकट दिलवा देती। गौरतलब है कि इसी भूमिका में रहते हुए कैलाश विजयवर्गीय 2018 के चुनाव में बेटे आकाश का टिकट लाने में सफल रहे थे। वक्त-वक्त की बात है।
मायने रखता है नकुलनाथ का कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री कहना
यदि यह पूछा जाए कि प्रियंका गांधी की ग्वालियर यात्रा में खास क्या रहा, तो दो ही बात कह सकते हैं। एक तो अपने संबोधन में प्रियंका का यह कहना कि कमलनाथ जी जब आप मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनो तो यह काम जरूर कर देना ….।
दूसरा यह कि सांसद नकुलनाथ को लंबा भाषण देने का मौका मिला, जिसकी शुरुआत में उन्होंने प्रियंका गांधी के बाद अपने पिता का जिक्र करते हुए उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही भावी मुख्यमंत्री भी कहा। दोनों बातों को वर्तमान संदर्भ में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वैसे कमलनाथ की भावी भूमिका को देखते हुए जो कहा गया है, उसमें कुछ भी गलत नहीं है। बाकी तो दिग्विजय सिंह ही बता सकते हैं।
बड़ी खबर आ सकती है 27 सफदरजंग से
27 सफदरजंग यानि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का निवास। इस निवास पर 2019-20 के दौर को छोड़ दिया जाए तो सिंधिया परिवार का ही मुकाम रहा है। पहले माधवराव सिंधिया और बाद में सांसद बनते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां काबिज हुए।
2019 का चुनाव हारने के बाद जब सिंधिया को यह मकान खाली करना पड़ा तो उनका दर्द छलक पड़ा था। भीतरखाने से यह बात छनकर आ रही है कि आने वाले दिनों में यहां से कोई बड़ी खबर सुनने को मिल सकती है। खबर क्या रहेगी, इसकी बिलकुल भनक नहीं लग पा रही है। ठीक है थोड़ इंतजार और करते हैं।
हकीकत जानने का यह एक अलग अंदाज है
चुनाव के पहले अपनी मैदानी हकीकत जानने के लिए भाजपा और कांग्रेस के नेता अलग-अलग हथकंडे अपना रहे हैं। लेकिन पूर्व मंत्री और कटनी से विधायक संजय पाठक ने एक अलग ही राह पकड़ ली है। संजय ने तय किया है कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव की तर्ज पर मतदान करवाते हुए लोगों की राय लेंगे।
इस रायशुमारी में यदि उन्हें 51 प्रतिशत से कम मत प्राप्त हुए तो वे खुद को टिकट की दौड़ से ही बाहर कर लेंगे। है ना यह एक अलग अंदाज। अब देखना यह है कि रायशुमारी का नतीजा क्या आता है।
देखते हैं इस बार भी किसी को मौका मिलता है या नही
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जजों के रिक्त पद पर लंबे समय से वकील कोटे से नियुक्ति नहीं हुई है। मध्य प्रदेश से जो नाम आगे बढ़ाए गए थे वह आपसी खींचतान में ही उलझ कर रह गए और इसी बीच जज कोटे से दो बार नियुक्तियां हो गई। अब एक बार फिर वकील कोटे से नियुक्तियों को लेकर सुगबुहाट है। इंदौर से भी 2 वकीलों की इन पदों के लिए दावेदारी है देखते हैं किसे मौका मिल पाता है।
चलते-चलते
ढाई साल पहले जब शिवराजसिंह चौहान मुख्यमंत्री पद पर फिर से काबिज हुए थे, तब से मध्यप्रदेश में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का एकतरफा दबदबा रहा। उनकी इच्छा के बिना नौकरशाही में पत्ता भी नहीं खड़कता है। मंत्री और विधायक मुख्यमंत्री के सामने सिर पटक-पटक कर रह गए, लेकिन मुख्य सचिव ने जो चाहा वही किया। लेकिन रिटायरमेंट के पहले जब बैंस का सामना एक मामले में एक संवैधानिक प्रमुख से पड़ गया और जो तेवर माननीय ने दिखाए उसने मुख्य सचिव को भी बैकफुट पर ला दिया।
पुछल्ला
इंदौर नगर निगम चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय के गृह बूथ पर भाजपा उम्मीदवार मुन्नालाल यादव बहुत कम वोट से जीत पाए थे। पार्टी ने इसे बहुत गंभीरता से लिया और इसी का नतीजा है कि पिछले दिनों कैलाश जी के पुत्र विधायक आकाश विजयवर्गीय एक सप्ताह तक सब काम छोड़कर इस बूथ के घर-घर घूमे, कहीं चाय पी, कहीं नाश्ता किया, तो कहीं भोजन और यह जानने की कोशिश की कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। बात ज्यादा बड़ी नहीं है, पर इससे समझ में आता है कि दिल्ली में बैठे भाजपा के दिग्गजों की नजर कितनी पैनी है।
बात मीडिया की
कभी बेहतर वर्क कल्चर और संस्कारों के लिए पहचाने जाने वाले प्रमुख हिंदी दैनिक नईदुनिया में काम के बदतर हालातों की चर्चा तो थी, लेकिन अब असंतोष और हालात जाहिर होने लगे हैं। एक के बाद तमाम पुराने पत्रकार नईदुनिया छोड़ रहे हैं। आरोपों के घेरे में स्टेट एडिटर सद्गुरुशरण अवस्थी हैं। बीते सप्ताह में दो वरिष्ठ पत्रकारों ने संस्थान छोड़ दिया। पहले सिटी चीफ जितेंद्र यादव ने संस्थान छोडऩे की घोषणा करते हुए ईमेल कर दिया। उसके अगले दिन नगर निगम और कोर्ट बीट देखने वाले सीनियर रिपोर्टर कुलदीप भावसार ने काम खत्म कर घर जाते हुए इस्तीफा ईमेल कर दिया। दरअसल समूह संपादक अवस्थी ने बैठक में जाते हुए कुलदीप से पहले उनके बच्चों की उम्र पूछी और फिर कह दिया कि छुपकर मोबाइल क्यों देखते हो। इसके साथ ही कुछ ऐसी टिप्पणियां की जिससे आहत होकर भावसार ने इस्तीफा दे दिया। इससे पहले अवस्थी के व्यवहार, बदजुबानी, निजी मामलों में टीका टिप्पणी और काम में दखलंदाजी के चलते बीते दिनों सिटी चीफ अभिषेक चेंडके, नवीन यादव, गजेंद्र विश्वकर्मा, अमित जलधारी, देवेंद्र मीणा, विपीन अवस्थी और एकमात्र महिला रिपोर्ट सुमेधा पुराणिक भी नईदुनिया छोड़ चुकी हैं। डेस्क से मनीष जोशी, ऋषि यादव और आनंद भट्ट ने स्टेट एडिटर के रवैये से नाराज होकर संस्थान को अलविदा कह दिया। फ्रंट पेज देख रहे सीनियर सब एडिटर अमित भटनागर भी अवस्थी के बर्ताव से नाराज होकर छुट्टी पर चले गए हैं।
दैनिक भास्कर भोपाल के संपादक के दायित्व से मुक्त हो चुकी उपमिता वाजपेयी की नई भूमिका क्या होगी, इसे लेकर मीडिया जगत में बड़ी चर्चा है। एक खबर यह आ रही है कि वे अमर उजाला के वाराणसी संस्करण की संपादक हो सकती हैं। कुछ लोगों का कहना है कि लोकसभा चुनाव तक वे पीएमओ से संबंधित किसी महत्वपूर्ण असाईनमेंट पर काम करेंगी। उपमिता के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी सक्रिय होने की संभावना बताई जा रही है।
वरिष्ठ पत्रकार हेमन्त शर्मा ने एसीएन न्यूज को अलविदा कह दिया है। वे अब पीपुल्स समाचार के इंदौर संस्करण में संपादक और यूनिट हेड की भूमिका निभाएंगे। हेमन्त पहले भी पीपुल्स समाचार में सेवाएं दे चुके हैं।
अभी तक पीपुल्स समाचार में संपादक और यूनिट हेड की भूमिका निभा रही नेहा जैन अब इसी अखबार में एडिटर इनपुट की भूमिका में आ गई हैं। नेहा हेल्थ बीट की अच्छी रिपोर्टर मानी जाती है।
लंबे समय से संसद टीवी में सेवाएं दे रहे इंदौर के दो युवा पत्रकार पराक्रम सिंह शेखावत और संध्या शर्मा अब डीडी न्यूज की टीम का हिस्सा हो गए हैं। ये दोनों इंदौर में अलग-अलग मीडिया संस्थानों में सेवाएं दे चुके हैं।
कुछ साल पहले ट्रेनी रिपोर्टर के रूप में इंदौर में एबीपी न्यूज में सेवाएं देने वाले अजय दुबे ने अब अमर उजाला डिजिटल ज्वाइन कर लिया है। वे इंदौर के बाद महाराष्ट्र, तेलंगाना तथा उत्तर प्रदेश में एबीपी न्यूज में रिपोर्टर के रूप में सेवाएं दे चुके हैं।