Now Bail is not Easy : जमानत को लेकर MP हाई कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देश, आपराधिक रिकॉर्ड पेश करना जरूरी!

याचिकाकर्ता को खुद अपना रिकॉर्ड पेश करना जरूरी, सुप्रीम कोर्ट का आदेश 1 मई से लागू होगा!

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Now Bail is not Easy : जमानत को लेकर MP हाई कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देश, आपराधिक रिकॉर्ड पेश करना जरूरी!

Indore : जमानत के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। अब अपराधियों को आसानी से जमानत नहीं मिल पाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट समेत सभी खंडपीठ के लिए नया फार्मेट जारी किया। हाई कोर्ट में अब जमानत याचिका लगाने वाले व्यक्ति को खुद अपने आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी कोर्ट के सामने रखनी पड़ेगी। अभी तक यह काम कोर्ट करता रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश से जुड़े जमानत के मामलों में यह महत्वपूर्ण आदेश दिया, जो 1 मई से यह व्यवस्था लागू होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर समेत इंदौर और ग्वालियर खंडपीठ को जमानत याचिका या अलग-अलग तरह के मामलों की सुनवाई करने को लेकर एक फॉर्मेट जारी किया। इसके चलते जिस भी व्यक्ति को किसी मामले में सजा हुई या फिर वह जमानत या अग्रिम जमानत को लेकर कोर्ट के समक्ष याचिका लगाता है, उसे अपने पिछले आपराधिक रिकॉर्ड की पूरी जानकारी जमानत याचिका के साथ कोर्ट के सामने प्रस्तुत करनी होगी। इसके बाद कोर्ट उस पूरे मामले में सुनवाई कर तय करेगा कि जमानत दी जाए या नहीं।

अपराधियों को मिलता है फायदा

अभी तक जो भी व्यक्ति अग्रिम जमानत, जमानत या सजा पर रोक के लिए याचिका कोर्ट के सामने प्रस्तुत करता है, कोर्ट संबंधित थाना पुलिस को निर्देश जारी कर उनसे संबंधित जानकारी मांगती है। इसके चलते पुलिस कई बार इस तरह की जानकारी कोर्ट के समक्ष तय समय में उपलब्ध नहीं करवा पाती जो याचिकाकर्ता के खिलाफ होती है। इसका फायदा संबंधित आरोपी को हो जाता है और उसे कई बार आसानी से जमानत मिल जाती है। ऐसे में कई अपराधी ऐसे भी होते हैं जिनके पिछले आपराधिक रिकॉर्ड में गंभीर मामले दर्ज होते हैं। लेकिन, जमानत को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश आ गए। अब संबंधित व्यक्ति को जमानत के लिए खुद अपने आपराधिक रिकॉर्ड को बताना होगा। आरोपी के बयान पर किसी को आरोपी नहीं बनाया जा सकता।

इंदौर के कुख्यात गुंडे को जमानत मिल गई 

पिछले दिनों इंदौर के एक कुख्यात गुंडे हेमंत यादव पर करीब एक दर्जन से अधिक प्रकरण दर्ज थे। लेकिन, पुलिस ने हेमंत यादव से संबंधित जानकारियां कोर्ट के सामने प्रस्तुत नहीं की। इसके चलते उसे आसानी से सजा के एक मामले में जमानत मिल गई थी। इस तरह की घटनाओं को देखते हुए अब सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर समेत इंदौर और ग्वालियर खंडपीठ को नए फॉर्मेट पर सुनवाई करने के आदेश दिए हैं। 1 मई से यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। यह व्यवस्था लागू होने के बाद कुख्यात आरोपियों को हाईकोर्ट से आसानी से जमानत नहीं मिल सकेगी।

थाना व FIR का नंबर बताना होगा

चार कॉलम के नए फॉर्मेट में याचिकाकर्ता को एफआईआर का नंबर, कौन सी धारा में केस दर्ज हुआ, थाना कौन सा है, यह सब बताना होगा। इससे गंभीर किस्म के अपराधी आसानी से जमानत का लाभ नहीं ले पाएंगे। जमानत, अग्रिम जमानत या सजा के खिलाफ याचिका दायर की जाती हैं, तो उसमें पुराने रिकॉर्ड का जिक्र नहीं किया जाता।

पुलिस भी अप्रत्यक्ष रूप से उनकी मदद करती है। कोर्ट को पुराने अपराधों के बारे में नहीं बताती है। अब 1 मई से नई व्यवस्था में खुद याचिकाकर्ता को पुराने रिकॉर्ड के बारे में बताना होगा। प्रासंगिक रूप में गुंडे हेमंत यादव का मामला सामने आया। उसके खिलाफ दर्जनों मामले दर्ज हैं, लेकिन हाल ही उसने जिस मामले में जमानत मांगी, उसमें पुराने रिकॉर्ड का कोई उल्लेख जिक्र नहीं किया गया था।